मुंबई: कोरोना वायरस को लेकर महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे की कुर्सी खतरे में हैं. अब इसे बचाने के लिए महाराष्ट्र कैबिनेट ने राज्यपाल से सिफारिश की है कि वे अपने कोटे से उद्धव ठाकरे को विधान परिषद सदस्य के रूप में नामित करें. महाराष्ट्र में राज्यपाल द्वारा मनोनीत होने वाली विधान परिषद की दो सीटें अभी खाली हैं.


दरअसल, उद्धव ठाकरे फिलहाल विधानमंडल के किसी भी सदन के सदस्य नहीं हैं. संविधान की धारा 164 (4) के मुताबिक सीएम पद पर बने रहने के लिए उन्हें छह महीने के अंदर, यानी 29 मई, 2020 से पहले राज्य विधानमंडल के किसी सदन की सदस्यता लेना अनिवार्य है. ऐसे में अब कैबिनेट के सदस्यों ने इसको लेकर राज्यपाल से सिफारिश की है. अगर राज्यपाल मान जाते हैं तो उद्धव ठाकरे की कुर्सी बच जाएगी.


यहां ये बता दें कि उद्धव ठाकरे ने आज तक कोई चुनाव नहीं लड़ा है. सीएम की कुर्सी पर बने रहने के लिए या तो उन्हें विधानसभा या फिर विधान परिषद का सदस्य बनना होगा. लेकिन कोरोना वायरस के खतरे और लॉकडाउन के विधान परिषद यानी एमएलसी के चुनाव को फिलहाल टाल दिया गया है.


पूरे देश में सबसे ज्यादा कोरोना वायरस के मामले महाराष्ट्र में ही है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक यहां पॉजिटिव मामलों का आंकड़ा एक हजार की संख्या को पार कर चुका है. अभी राज्य में कोविड-19 के कुल 1135 मामले सामने आ चुके हैं.


राज्यपाल वाले विकल्प के अलावे उद्धव ठाकरे के पास एक दूसरा विकल्प भी मौजद है लेकिन फिलहाल जैसे हालात हैं, उसमें ये थोड़ा मुश्किल मालूम पड़ता है. दूसरा विकल्प ये है कि उद्धव ठाकरे छह महीने का वक्त पूरा होने से पहले ही इस्तीफा दे दें और दोबारा से मुख्यमंत्री पद की शपथ लें. ऐसा करने के बाद उन्हें विधानमंडल के किसी सदन का सदस्य बनने के लिए छह महीने का समय फिर से मिल जाएगा.


लेकिन यहां समस्या ये है कि अगर ठाकरे इस्तीफा देते हैं तो इसे पूरी कैबिनेट का इस्तीफा माना जाएगा. इसके बाद दोबारा से कैबिनेट को भी शपथ दिलवानी पड़ेगी. ऐसे में कोरोना वायरस को लेकर महाराष्ट्र में जो हालात है, उसमें ये दूसरा विकल्प मुश्किल है.


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