मुंबई: महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे भगवान राम का दर्शन करने अयोध्या जाएंगे. उद्धव ठाकरे के इस अयोध्या दौरे को लेकर राजनीति खूब हो रही है. उद्धव ठाकरे का कहना है कि तीर्थ यात्रा में किसी तरह की राजनीति लाना उचित नहीं है. वहीं बीजेपी का कहना है कि ये दौरा धार्मिक नहीं, राजनीतिक है. शिवसेना को हिंदुत्व की अपनी जमीन खोने का डर सता रहा है तभी तो उद्धव ठाकरे रामलला का दर्शन करने अयोध्या जा रहे हैं.


उद्धव ठाकरे 7 मार्च को अयोध्या अपने पूरे परिवार के साथ जाएंगे. पहले रामलला का दर्शन करेंगे, फिर शाम में सरयू नदी की आरती करेंगे. लोकसभा चुनाव से पहले उद्धव ठाकरे अयोध्या आए थे और फिर उन्होंने लोकसभा चुनाव में मिली जीत के बाद अयोध्या का दौरा किया था. उस समय उद्धव ठाकरे बीजेपी के घटक पक्ष के नेता के तौर पर उद्धव अयोध्या आए लेकिन इस बार वो महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के तौर पर अयोध्या जा रहे है. इस दौरे के कई मायने हैं. सबसे महत्वपूर्ण है शिवसेना की हिंदुत्ववादी छवि को बरकरार रखना.


महाराष्ट्र में शिवसेना ने कांग्रेस एनसीपी के साथ मिलकर सरकार बनाई. सरकार बनते ही शिवसेना के विरोधियों ने शिवसेना पर हिंदुत्व की राह छोड़ने का आरोप लगाया. बीजेपी ने शिवसेना के सत्ता के लिए लाचार बताते हुए कांग्रेस एनसीपी की कठपुतली सरकार करार दिया. हाल ही में मुस्लिम आरक्षण को लेकर भी बीजेपी ने शिवसेना की जमकर आलोचना की. बीजेपी नेता प्रवीण दरेकर ने तो विधान भवन में ही शिवसेना से सवाल पूछा ‘मुसलमानों को आरक्षण देनेवाली शिवसेना अब हिंदुओं को भूल गई.’


इसके अलावा एनआरसी और सीएए के समर्थन में शिवसेना नहीं आई. शिवसेना जो पिछले 30 सालों से हिंदुत्व की राजनीति करती आ रही थी वो अचानक सरकार में शामिल होने सांप्रदायिक मुद्दों से बचने लगी. यह कहा जाने लगा है कि शिवसेना की इस बदलती राजनीति से हिंदुत्व के नाम पर उनके साथ जुड़ा उनका वोटर दूर होने लगा है. कई शिवसेना के नेता इस गठबंधन से नाखुश थे. तभी इन वोटर और नेताओं के विकल्प बनकर राज ठाकरे उभरे.


राज ठाकरे ने हिंदुत्व की राह थामी. अपनी पार्टी का झंडा बदला, कहा जाने लगा कि एमएनएस शिवसेना का वोटर अपने पास लाने के लिए हिंदुत्व के विचारधारा के साथ आगे जा रही है और ऐसा सब करने के पीछे बीजेपी है.


अपने राजनीतिक अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे राज ठाकरे ने ये मौक़ा देखा और राज ठाकरे का उदय होना ये शिवसेना के लिए घातक साबित हो सकता है. ऐसे में उद्धव ठाकरे ने हिंदू नेता की अपनी छवि बरकरार रखने के लिए और राज ठाकरे के ख़तरे को टालने के लिए अयोध्या जाने का निर्णय लिया.


राज ठाकरे की पार्टी के परिवर्तन के बाद उद्धव ठाकरे ने सार्वजनिक मंच पर कहा था ‘मेरा हिंदुत्व दिखाने का नहीं. हिंदुत्व हमारे खून में है और उसे हम कभी छोड़ेंगे नहीं.’ उसी के बाद संजय राउत ने ट्वीट कर कहा कि उद्धव ठाकरे सरकार के 100 दिन पूरे होने पर मुख्यमंत्री अयोध्या जाएंगे. लेकिन 100 दिन पूरे होने का इंतज़ार भी शिवसेना ने नहीं किया और उससे पहले ही वो अयोध्या दौरे पर चल पड़े.


जानकार मानते हैं कि बीजेपी इस विषय पर महाविकास गठबंधन की सरकार में दरार लाने की कोशिश में है और इसी बात को समझते हुए कांग्रेस, एनसीपी मुख्यमंत्री के इस दौरे पर किसी भी तरह की कोई टिप्पणी करने से बच रहे है.


कुछ नेताओं ने उद्धव ठाकरे के अयोध्या जाने का स्वागत भी किया है. एनसीपी के नेता मंत्री जितेंद्र अव्हाड ने कहा, ‘किस धर्म, किस भगवान की आराधना करनी है हर व्यक्ति का व्यक्तिगत विषय है. अगर मुख्यमंत्री की आस्था राम भगवान में है तो उनके वहां जाने पर किसी को क्या आपत्ति होगी?’


ये दौरा उद्धव ठाकरे और शिवसेना के लिए बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है. इस दौरे से शिवसेना को फ़ायदा होगा? क्या ठाकरे सरकार में दरार आएगा या और मज़बूत होगी? ये देखना दिलचस्प होगा.


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