मुंबई: महाराष्ट्र में शिवसेना-कांग्रेस-एनसीपी नेताओं के बेतुके बयान राज्य की ठाकरे सरकार के लिए मुसीबत बन रहे हैं. पहले शिवसेना नेता, सांसद संजय राउत का देश की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के अंडरवर्ल्ड डॉन करीम लाला, हाजी मस्तान से मुलाक़ात पर दिया विवादित बयान, फिर मुसलमानों के कहने पर ठाकरे सरकार में शामिल होने के कांग्रेस नेता और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण के ग़ैर ज़िम्मेदाराना बयान के बाद अब अशोक चव्हाण के ही नए बयान ने सरकार को मुश्किल में लाकर खड़ा किया है. अशोक चव्हाण के ताज़ा बयान से मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और एनसीपी प्रमुख शरद पवार काफ़ी नाराज़ हैं और इस बयान को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से चर्चा करने वाले हैं. चव्हाण ने कहा है कि पार्टी हाई कमांड ने सरकार में शामिल होने से पहले राज्य के नेताओं को निर्देश दिए थे कि वो शिवसेना से लिखित आश्वासन ले कि वो संविधान के दायर में रहकर ही सरकार चलाएंगे.
क्या हैं ये बयान?
28 नवंबर 2019 को उद्धव ठाकरे के शपथ लेते ही राज्य में ठाकरे सरकार का उदय हुआ. एक महीने बाद उद्धव ठाकरे सरकार के मंत्रिमंडल का विस्तार हुआ. सभी 43 मंत्रियों का मंत्रिमंडल राज्य की सेवा में जुटेगा ऐसी उम्मीद थी. लेकिन काम से ज़्यादा बयानबाज़ी में इन नेताओं का ध्यान था. बयान की शुरुआती हुई शिवसेना सांसद संजय राउत से. संजय राउत ने पुणे के एक कार्यक्रम में अंडरवर्ल्ड के विषय में बात करते हुए गुंडों का सीधे देश की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से कनेक्शन जोड़ दिया. उन्होंने कहा ''अंडरवर्ल्ड डॉन करीम लाला, हाजी मस्तान देश की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से मुलाक़ात किया करते थे. 60-70 के दशक में मुंबई पुलिस कमिश्नर के पद पर कौन बैठेगा ये भी अंडरवर्ल्ड तय करता था. और तो और जब ये डॉन मंत्रालय आते थे तो पुरा मंत्रालय ख़ाली कराया जाता था.''
राउत के इस बयान ने कांग्रेस को काफ़ी नाराज़ किया. कांग्रेस हाई कमांड ने संजय राउत को रोकने के लिए खुद मुख्यमंत्री से कहा तो राज्य के कैबिनेट मंत्री नितिन राउत ने सरकार से बाहर निकलने की धमकी तक दे दी. राउत ने कहा कि ''अगर हमारे नेताओं पर इसी तरह के बयान शिवसेना की तरफ़ से दिए गए तो हम सरकार से पीछे हटने में कतराएंगे नहीं.'' दबाव के बाद संजय राउत ने अपने बयान पर माफ़ी मांगते हुए सफ़ाई भी दी. राउत ने कहा ''करीम लाला पठान नेता थे और पठान नेता के तौर पर ही इंदिरा जी से मिलते थे. मेरे इस बयान से किसी को ठेस पहुंची हो तो मैं खेद व्यक्त करता हूं.''
ये मामला शांत हुआ ही था कि राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और मौजूदा कैबिनेट मंत्री अशोक चव्हाण ने नांदेड़ की एक जनसभा में कह दिया कि मुसलमानों की वजह से वो इस सरकार में शामिल हुए. राज्य का मुसलमान ये चाहता था कि बीजेपी को सरकार से बाहर रखे तभी हम इस सरकार में शामिल हुए. अशोक चव्हाण के इस बयान की कड़ी आलोचना हुई. बीजेपी ने कांग्रेस पर निशाना साधा लेकिन अशोक चव्हाण ने बयान वापस नहीं लिया. उल्टा चव्हाण ने मीडिया पर ही ग़लत तरीक़े से बयान दिखाने का आरोप लगा दिया.
उद्धव ठाकरे और शरद पवार बेहद नाराज़ बताए जा रहे हैं
इस बयान से शिवसेना नाराज़ थी. शिवसेना ने अपनी नाराज़गी कांग्रेस के प्रभारी नेताओं तक पहुंचाई. इसके बाद कांग्रेस के महाराष्ट्र प्रभारी मल्लिका अर्जुन खड़गे दिल्ली से मुंबई आए. मुंबई आकर सभी मंत्री, नेता और प्रवक्ताओं से ज़िम्मेदारी से बयान देने के निर्देश दिए. लेकिन उसके कुछ ही दिन बाद अशोक चव्हाण ने ही एक और विवादित बयान दे दिया जिससे मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और एनसीपी प्रमुख शरद पवार बेहद नाराज़ बताए जा रहे हैं. अशोक चव्हाण ने कहा कि पार्टी हाई कमांड ने सरकार में शामिल होने से पहले राज्य के नेताओं को निर्देश दिए थे कि वो शिवसेना से लिखित आश्वासन ले कि वो संविधान के दायर में रहकर ही सरकार चलाएंगे. अगर ऐसा नहीं हुआ तो हम सरकार से बाहर आने में देर नहीं करेंगे.
अशोक चव्हाण के इस बयान से उद्धव ठाकरे, शरद पवार नाराज़ हैं. बताया जा रहा है कि इस विषय में ठाकरे और पवार सोनिया गांधी से बात करके अपनी आपत्ति जताने वाले हैं. एनसीपी नेता और कैबिनेट मंत्री नवाब मलिक ने अशोक
चव्हाण के बयान पर आपकी जतायी. उन्होंने कहा कि सरकार में रहकर इस तरह के बयान देना ग़लत है. सरकार कॉमन मिनिमम प्रोग्राम के तहत काम कर रही है. इस प्रकार के बयान देकर सरकार को नुक़सान पहुंचाना ग़लत है.
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