Maharashtra Coal Crisis: महाराष्ट्र में पावर कट का खतरा, राज्य को कोयले की मांग का 50 फीसदी हिस्सा ही मिल पा रहा
Maharashtra Coal Crisis: महाराष्ट्र में प्रतिदिन लगभग डेढ़ लाख मेट्रिक टन कोयले की जरूरत है. लेकिन मौजूदा परिस्थितियों में महल 75 हजार मैट्रिक टन ही आपूर्ति हो पा रही है.
Maharashtra Coal Crisis: कोयले की कमी की वजह से पैदा हुए संकट का असर महाराष्ट्र पर भी पड़ रहा है. हालात यह हैं कि प्रतिदिन कोयले की मांग का केवल 50 फ़ीसदी ही कोयला महाराष्ट्र सरकार को मिल पा रहा है. बिजली उत्पादन करने वाली कंपनियों के सामने इस संकट ने बड़ी चुनौती पैदा कर दी है. उधर सरकार कह रही है की हर कोशिश कर लोगों को इस संकट से बचाने की कोशिश की जाएगी.
रोशनी का त्योहार दीपावली क्या इस बार महाराष्ट्र के लोगों को अंधेरे में बिताना पड़ेगा. दरअसल यह सवाल इसलिए उठ रहा है. क्योंकि कोयले की भारी कमी से इन दिनों महाराष्ट्र को दो-चार होना पड़ रहा है. बिजली निर्माण पर कमी का खासा असर पड़ा है. महाराष्ट्र में पावर जनरेशन के 6 बड़े प्लांट हैं. अधिकतर जगह कोयले की मदद से ही बिजली की निर्मित होती है. लेकिन विश्व स्तर पर पैदा हुए कोयले के संकट ने महाराष्ट्र को भी नहीं छोड़ा है.
महाराष्ट्र में प्रतिदिन लगभग डेढ़ लाख मेट्रिक टन कोयले की जरूरत है. लेकिन मौजूदा परिस्थितियों में महल 75 हजार मैट्रिक टन ही आपूर्ति हो पा रही है. असर यह हो रहा है कि महाराष्ट्र सरकार को दूसरी ग्रिड से लगभग दोगुने दामों पर बिजली खरीदनी पड़ रही है. वही जानकारी के मुताबिक नागपुर से सटे कॉरिडोर थर्मल पावर प्लांट के 6 यूनिट, चंद्रपुर के 4 यूनिट और नासिक के 4 यूनीट प्राप्त परिस्थिति की वजह से बंद है.
जानकारी के मुताबिक महाराष्ट्र पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी ग्राहकों को 7 रुपये प्रति यूनिट के हिसाब से बिजली बेच रही है, लेकिन पैदा हुए संकट ने दूसरी ग्रिड से सरकार को 20 रुपये प्रति यूनिट के हिसाब से बिजली खरीदने पर मजबूर कर दिया है.
पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी दोहरे संकट में है. एक तरफ कोयले का तो संकट है ही, दूसरी तरफ ग्राहकों से समय पर भुगतान की वसूली ना होने की वजह से भी कोयला खरीदी के लिए लगने वाली पूंजी नहीं मिल पा रही है. जानकारी के मुताबिक एक तरफ बिजली उपभोक्ताओं पर 73000 करोड़ रुपये की राशि बकाया है. इसके अलावा 12351 करोड़ रुपये विलंब शुल्क आना भी बाकी है. पैदा हुए कोयले के संकट से निपटने के लिए सरकार ने स्पेशल कोर मैनेजमेंट टीम का गठन किया है, जिसका काम कोल स्टॉक की निगरानी और उसका प्रबंध करना होगा. साफ़ है कि दिवाली के पहले अगर कोयले के संकट को दूर करने में सरकार को सफलता प्राप्त नहीं होती है तो लोगों की यह दिवाली अंधेरे में कटने का ख़तरा मंडरा रहा है.
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