महाराष्ट्र: अजान प्रतियोगिता को लेकर घमासान, BJP ने शिवसेना के हिंदुत्ववादी पार्टी होने पर उठाए सवाल
महाराष्ट्र में अजान को लेकर राजनीति गर्माते हुई दिख रही हैं. शिवसेना के दक्षिण मुंबई विभाग प्रमुख पांडुरंग सकपाल अजान वाले बयान के बाद बीजेपी ने तीखा वार कर दिया है.
महाराष्ट्र: राज्य में इस वक्त सियासत का मुद्दा मस्जिद से नमाजियों को बुलाने के लिये दी जाने वाली अजान है. शिवसेना के दक्षिण मुंबई विभाग प्रमुख पांडुरंग सकपाल ने एक कार्यक्रम में कहा था कि मस्जिद से दी जाने वाली अजान की आवाज उन्हें मीठी लगती है. बच्चों के खातिर अजान प्रतियोगिता आयोजित की जानी चाहिये. इस बात पर बीजेपी ने आपत्ति उठाते हुए कहा कि शिवसेना हिंदुत्व छोड़ चुकी है.
दक्षिण मुंबई के एक कार्यक्रम के दौरान स्थानीय चैनल को दिये इंटरव्यू में सकपाल ने कहा कि “अजान से जितने लोगों को समस्या है वो नमक के बराबर हैं. अजान की आवाज में इतनी मिठास है कि सुनकर लगता है कि कितने घंटों में ये वापस फिर होगी और हम फिर कब इसे सुनेंगे. मेरे मन में विचार है कि एक मुस्लिम बच्चों के लिये अजान का कंपीटीशन रखा जाये. वे किस तरह से अजान देते हैं, कितने मिनट में देते हैं, कैसा उच्चारण करते हैं इसको परखा जाये. जो अच्छी अजान देगा उसे ईनाम दिया जाये. इसके लिये जो भी खर्चा आयेगा वो हम शिवसेना की तरफ से देंगें”.
शिवसेना ने सत्ता में बरकरार रहने के लिये हरा झंडा हाथ में उठा लिया है- बीजेपी
जैसे ही सकपाल का ये वीडियो वायरल हुआ, बीजेपी की ओर से आक्रमक प्रतिक्रिया आई. बीजेपी के प्रवक्ता अतुल भतखलकर ने कहा, “शिवसेना ने सत्ता प्राप्ति के लिये भगवा झंडा छोड़ दिया था और अब सत्ता में बरकरार रहने के लिये हरा झंडा हाथ में उठा लिया है. शिवसेना का ये रूप देखकर औवेसी भी शर्मा गया होगा कि इतना दोगलापन शिवसेना सत्ता के लिये दिखा रही हैं.”
सकपाल के बयान पर शिवसेना को घिरता देख एनसीपी उसके बचाव में आई. एनसीपी नेता और महाराष्ट्र सरकार में मंत्री नवाब मलिक ने कहा कि अजान प्रतियोगिता के आयोजन में कुछ गलत नहीं है. जब एक मुस्लिम लड़की भगवत गीता पाठ की प्रतियोगिता जीत सकती है तो फिर बच्चों के लिये अजान प्रतियोगिता आयोजित करने में क्या गलत है.
गठबंधन सरकार बनाने से पहले शिवसेना लाऊडस्पीकर से अजान का विरोध करते आई है
दरअसल शिवसेना लाउडस्पीकर से अजान और सड़क पर नमाज का विरोध करते आईं है. 2019 में कांग्रेस और एनसीपी के साथ गठबंधन सरकार बनाने के पहले न्यूनतम साझा कार्यक्रम की प्रस्तावना में सेक्युलर शब्द को शिवसेना ने स्वीकार कर लिया. जिससे ये संदेश गया कि ये पार्टी अब अपना कट्टर हिंदुत्ववादी एजेंडा छोड़ रही है, हालांकि शिवसेना इससे इंकार करती है.
अजान के मसले पर विवाद बढ़ते देख सकपाल ने अपने बयान पर सफाई दी और कहा कि वे कोविड को लेकर किस तरह से ये आयोजन सुरक्षित तरह से किया जाये इसके बारे में सुझाव दे रहे थे. उधर शिवसेना की ओर से कुछ ऐसी तस्वीरें जारी की गईं जिनमें देवेंद्र मोदी और नरेंद्र मोदी मुसलिम नेताओं से मिलजुल रहे हैं.
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