मुंबई: महाराष्ट्र में इन दिनो साढ़े तीन सौ साल पुराने इतिहास के दो पात्रों को लेकर सियासत हो रही है. ये पात्र हैं मुग़ल शासक औरंगज़ेब और मराठा शासक छत्रपति संभाजी. शिव सेना महाराष्ट्र के शहर औरंगाबाद का नाम बादल कर संभाजीनगर करना चाहती है लेकिन कांग्रेस को इस पर ऐतराज है.


मध्य महाराष्ट्र के मराठवाड़ा इलाक़े में बसे औरंगाबाद का ऐतिहासिक महत्व है. पहले इस शहर का नाम फ़तहनगर था. औरंगज़ेब ने इस पार क़ब्ज़ा करके इसका नाम औरंगाबाद रख दिया. मुग़ल सल्तनत के दौरान औरंगाबाद दक्खन क्षेत्र की राजधानी हुआ करता था. औरंगज़ेब की कब्र भी औरंगाबाद में ही है. औरंगज़ेब के शासनकाल का एक बड़ा हिस्सा मराठाओं से संघर्ष में गुजरा. औरंगज़ेब की भिड़ंत पहले मराठा राज्य के संस्थापक छत्रपति शिवाजी के साथ हुई और फिर उनके बेटे छत्रपति संभाजी के साथ. लड़ाई के दौरान संभाजी मुग़लों की गिरफ़्त में आ गए. क्रूरता से संभाजी की हत्या कर दी गयी. शिव सेना उन्ही का नाम इस शहर को देना चाहती है.


दरअसल, 1 99 5 में जब शिव सेना-बीजेपी की गठबंधन सरकार महाराष्ट्र की सत्ता में आयी थी तब मुख्यमंत्री मनोहर जोशी की कैबिनेट ने औरंगाबाद का नाम बदलकर संभाजीनगर करने का प्रस्ताव पास कर दिया था, लेकिन उस प्रस्ताव को अदालत में चुनती दी गयी. मामला पहले हाई कोर्ट में गया, फिर सप्रीम कोर्ट में. इससे पहले कि अदालत कोई फ़ैसला सुना पाती महराष्ट्र में सत्ता परिवर्तन हो गया. 1 999 में शिव सेना-भाजपा की गठबंधन सरकार की जगह कांग्रस- एनसीपी की सरकार आ गयी। नए मुख्यमंत्री विलासराव देशमुख ने अदालत में सरकार का पक्ष बदल दिया और नामांतरण नहीं हो पाया.


अब फिर एक बार नामांतरण की बात इसलिए हो रही है क्योंकि चंद महीने बाद ही औरंगाबाद महानगरपालिका के चुनाव होने वाले हैं. फ़िलहाल यहां शिव सेना की सत्ता है और नामांतरण के बहाने शिव सेना मराठी अस्मिता और हिंदुत्व का कार्ड खेल कर सत्ता में बनी रहना चाहती है. अपने अख़बार सामना के औरंगाबाद संस्करण में शिव सेना औरंगाबाद को संभाजीनगर ही लिखती है। शिव सेना सांसद संजय राउत ने हाल ही में कहा कि बालासाहब ठाकरे ने ३० साल पहले हाई औरंगाबाद का नाम संभाजीनगर कर दिया था, अब सिर्फ़ काग़ज़ पर नाम बदलना रह गया है.


कांग्रेस के लिए नामांतरण का विरोध करना मजबूरी है. औरंगाबाद में बड़े पैमाने पर मुस्लिम रहते हैं और यहाँ असदउद्दिन ओवैसी की पार्टी mim ने अपना दबदबा बना लिया है. यहां के सांसद इम्तियाज़ जलील mim से ही हैं. अपना अल्पसंख्यक वोट बैंक फिर से हासिल करने के लिए कांग्रेस नामांतरण का विरोध कर रही है.