Veer Savarkar Gaurav Yatra: महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने सोमवार (3 अप्रैल) को मुंबई में बीजेपी की 'वीर सावरकर गौरव यात्रा' के कार्यक्रम के दौरान स्वतंत्रता सेनानी विनायक दामोदर सावरकर को लेकर अहम टिप्पणी की. उन्होंने सावरकर के अंग्रेजों को पत्र लिखने वाले कथित विवाद को लेकर बयान दिया. उन्होंने दावा किया कि सावरकर की ओर से अंग्रेजों से माफी मांगने वाली बात गलत है. इसी के साथ फडणवीस ने यह भी बताया कि सावरकर ने अंग्रेजों को पत्र क्यों लिखा था.


कार्यक्रम में मौजूद लोगों को संबोधित करते हुए डिप्टी सीएम फडणवीस ने कहा, ''आपने कहा कि वीर सावरकर ने माफी मांगी और अंग्रेजों को पत्र लिखा. नहीं, ये बात गलत है. सावरकर ने पत्र लिखा क्योंकि वह जानते थे कि अंग्रेज उन्हें रिहा नहीं करेंगे. इसलिए उन्होंने लिखा- मुझे रिहा मत करो लेकिन उन बंदियों को रिहा कर दीजिए जिन्होंने आपके (अंग्रेज) के खिलाफ कुछ नहीं किया है.''






'...महात्मा गांधी ने पत्र लिखा था'


फडणवीस ने आगे कहा, ''उनके (सावरकर) के साथ जेल में कई वर्षों तक रहे रिश्तेदारों को महात्मा गांधी ने पत्र लिखा था और कहा था कि अन्य बंदियों को रिहा कर दिया गया. तब उन्होंने सावरकर से कहा था कि उन्हें भी अंग्रेजों से कह देना चाहिए कि आपने उन्हें (अन्य बंदियों को) रिहा किया, मुझे भी रिहा कर दें.''


सावरकर को लेकर क्यों गरमाया हुआ है राजनीतिक माहौल?


बता दें कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी और विपक्ष के कुछ नेताओं के सवारकर पर बयानों को लेकर बीजेपी और महाराष्ट्र सरकार आक्रामक है, इसलिए राज्य में सत्तारूढ़ गठबंधन वीर सावरकर गौरव यात्रा निकाल रहा है. राहुल गांधी ने अपनी संसद सदस्यता जाने के बाद हाल में मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए भी सावरकर के नाम का जिक्र करते हुए टिप्पणी की थी. 25 मार्च को जब राहुल गांधी से पूछा गया कि क्या मानहानि वाले केस में वह अदालत में माफी मांगेंगे? इस पर राहुल ने जवाब दिया था, ''मैं सावरकर नहीं हूं, मैं गांधी हूं और गांधी माफी नहीं मांगता.''


इससे पहले पिछले साल कांग्रेस की 'भारत जोड़ो यात्रा' के दौरान नवंबर 2022 में बीजेपी और आरएसएस पर निशाना साधते हुए राहुल गांधी ने सावरकर पर बयान दिया था, जिसके चलते राजनीतिक माहौल गरमा गया था. यात्रा के दौरान महाराष्ट्र के वाशिम जिले में बिरसा मुंडा जयंती के मौके पर बोलते हुए राहुल गांधी ने कहा था कि एक तरफ बिरसा मुंडा जैसी शख्सियत है, जो अंग्रेजों के सामने झुके नहीं और डटकर मुकाबला किया, दूसरी ओर सावकर हैं, जिन्होंने अंग्रेजों को चिट्ठी लिखनी शुरू कर दी कि हमें माफ कर दो.


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