MHADA Housing Department: म्हाडा यानी महाराष्ट्र हाउसिंग एंड एरिया डेवलपमेंट डिपार्टमेंट (MHADA) की लापरवाही का नतीजा आज 75 लोग भुगत रहे हैं. 6 लाख में मिलने वाला म्हाडा का घर, अब ग्राहकों को 60 लाख में दिया जा रहा है. दरअसल, म्हाडा की लॉटरी में इन सभी लोगों का नाम आया था, लेकिन 20 साल बीत जाने के बाद भी पीड़ित घर का इंतजार कर रहे हैं. अपने आशियाने का इंतजार करते-करते वर्तमान में कई लोग रिटायर हो गए हैं. पीड़ितों के सामने जो सबसे दिक्कत है वो ये कि 6 लाख का घर अब 60 लाख में मिल रहा है ऐसे में ये 10 गुने बढ़े दाम पर अपना घर कैसे लेंगे.


20 साल से अब तक इंतजार...


म्हाडा में घर की लॉटरी लगने की चाहत सबकी इसलिए होती है क्योंकि उन्हें इस स्कीम में घर थोड़ा सस्ता मिल जाता है. 20 साल पहले करीब 75 लोगों ने म्हाडा की स्कीम के तहत घर बुक कराया था. उस समय इन्हें 6 लाख में घर मिलना था, इन लोगों ने पूरी रकम का 10 परसेंट की रकम जमा भी करवा दी थी. लेकिन 20 साल बाद भी उन्हें घर नहीं मिला. इस वजह से ये लोग 20 साल तक सरकार की घर के लिए सरकारी योजना का लाभ भी नहीं उठा पाए.


न तो नौकरी, न ही बैंक से लोन मिलेगा


20 साल बाद म्हाडा जब उन्हें घर देने की बात कर रहा है तो वह 6 लाख के घर की कीमत 60 लाख वसूल रहा है. लेकिन, इन घरों की बुकिंग करने वाले बहुत सारे लोग 20 साल इंतजार करने के बाद अब रिटायर हो गए हैं. बूढ़े हो होने के साथ ही उनकी आमदनी का जरिया भी खत्म हो गया है. पीड़ितों में पुरुष और महिलाएं दोनों शामिल हैं. इसमें ज्यादातर सरकारी कर्मचारी रह चुके हैं, जिनमें कोई पुलिस अधिकारी, कोई फायर ऑफिसर, कोई बिजली विभाग में था तो कोई आर्मी मैन. अब इनके सामने समस्या ये है कि 6 लाख के घर के लिए 10 गुना कीमत ये कहां लाएंगे से दें, इनके पास अब न तो नौकरी है और न ही उन्हें बैंक से लोन मिलेगा.


पीड़ित ने कहा...


म्हाडा की स्कीम से पीड़ितों में से बीएमसी में नौकरी करके रिटायर हो चुके आरडी तेलंग ने बताया, "2005 में घर की बुकिंग कराई थी, लेकिन 2022 तक हमें घर नहीं मिला. जो घर मिलना था वो हमें 6 लाख में मिलना था. साल 2013 तक वहां पर बिल्डिंग भी बना दी गई, लेकिन घर नहीं मिला. आज जब घर मिल रहा है तो म्हाडा ने उस घर की कीमत 60 लाख तय कर दी है. आरडी तेलंग ने कहा, हमारा दर्द ये है कि रिटायर हुए 6 साल हो गए हैं, बैंक अब हमें लोन भी नहीं देगा. अब हम म्हाडा की गलती का भुगतान कैसे करें?


बता दें कि साल 2000 से 2005 तक म्हाडा ( कोंकण मंडल) ने ठाणे जिले के बालकुम्ब में घर के लिए लॉटरी निकाली थी. इसमें करीब 75 लोगों ने उस समय घरों के लिए 10 फीसदी रकम का म्हाडा के बैंक खाते में जमा करवा दी थी. वहीं, इन 20 सालों में हजारों लोगों को म्हाडा ने घर बनाकर दे दिए लेकिन इन लोगों का नंबर अबतक नहीं आया. इन पीड़ितों का दर्द ये भी है कि इन 20 सालों तक म्हाडा के चक्कर और कानून में फसे रहे और दूसरे घर के लिए अप्लाई तक नहीं कर सके.


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