पुणे: महाराष्ट्र के एक 75 साल के किसान ने अपनी 2 करोड़ की प्रॉपर्टी इस शर्त पर अपने बेटों के नाम की कि वह उसे हर महीने 5 हजार रुपए देंगे. 75 साल के बबन का कहना है कि उसके तीनों बेटों ने हर महीने 5 हजार देने का वायदा किया था जिससे अब वो लोग मुकर गए हैं. अब जीवन जीने के लिए मुश्किलों का सामना कर रहे बबन दिवाकर और उनकी पत्नी सरस्वती ने इंसाफ के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है.
अंग्रेजी अखबार मिड-डे की खबर के मुताबिक बबन और सरस्वती कर्दे गांव के रहने वाले हैं और रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करने लिए दूसरे के खेतों में काम करना पड़ा रहा है. उनका कहना है कि जिन दिनों में काम नहीं होता है उन्हें भीख मांगने को मदबूर होना पड़ता है.
बबन और सरस्वती ने अपने तीनों बेटों बालासाहेब, कृष्ण और चंद्रकांत के खिलाफ केस दर्ज करवाया है. बबन के बड़े दो बेटे उनकी पहली पत्नी के हैं जबकि छोटा बेटा उनकी दूसरी पत्नी सरस्वती का है.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक बबन शिरूर में 19 एकड़ जमीन के मालिक थे. इस जमीन को उन्होंने अपने तीनों बच्चों में बराबर हिस्सों में बांट दिया था. सभी बच्चों ने वादा किया था कि वह हर महीने उन्हें 5 हजार रुपए देंगे.
बबन का कहना है कि 24 अगस्त को 2016 को उन्होंने अपनी प्रॉपर्टी को अपने बेटों के नाम कर दिया था. पहले दो महीने तो सभी ने मुझे पैसे भेजे लेकिन इसके बाद बंद कर दिए. जब मैं उनसे बात करने उनके घर गया तो वह मुझे एक-दूसरे के घर भेजने लगे. उन्होंने कहा कि यह हैरान करता है कि प्रॉपर्टी नाम होने से पहले वो सभी मेरे सामने कितने अच्छे से पेश आते थे.
उन्होंने बताया है कि बच्चों को बड़ा करने में उन्हें बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ा और उनका बड़ा बेटा टीचर है और 50 हजार रुपए महीने के कमा लेता है. मुझे टीबी की बीमारी है जिसकी दवाईयों में हर महीने 2 से 3 हजार खर्च हो जाते हैं.
उनका कहना है कि पिछले 7 महीनों से उन्हें दूसरों के खेत में काम करके या फिर भीख मांगकर अपना जीवन गुजारना पड़ रहा है. उन्होंने बताया कि गांव के कुछ लोगों ने मदद के लिए कुछ हाथ भी आगे बढ़ाया है.
बबन की पत्नी सरस्वती का कहना है कि उनकी बेटी सीमा शादीशुदा होने के बावजूद हमारी मदद कर रही है. उन्होंने बताया कि तीन बेटों को इतने प्यार और तकलीफों से पालने के बाद भी हमारे साथ यह होना बड़ा ही दुखद है.
इस मामले पर बबन के दो बेटों बालासाहेब और कृष्ण का कहना है कि यह कोई गलतफहमी का मामला है. जबकि चंद्रकांत का कहना है कि वह एक किसान है और उसे भारी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है, इसलिए मैं उन्हें पैसे नहीं भेज पा रहा हूं, मैंने उनसे मेरे यहां आकर रहने को कहा है और जब भी मेरे पास पैसे होंगे सबसे पहले उन्हें ही भेज दूंगा.