महाराष्ट्र: बहुत पहले की बात नहीं है जब दाल की कीमत पर देश में घमासान मचा था. सरकार ने दाल उत्पादन बढ़ाने के लिए किसानों से अपील की थी. जिसके बाद किसानों ने सरकार की बात मानते हुए दाल का बंपर उत्पादन किया. लेकिन अब महाराष्ट्र के उस्मानाबाद, लातूर और वर्धा सहित कई जिलों में किसान अपनी दाल बेचने के लिए दर-दर भटक रहे हैं.
'मन की बात' कार्यक्रम में पीएम मोदी ने किसानों को धन्यवाद दिया था
मन की बात कार्यक्रम में पीएम मोदी ने कहा था, ''मेरी एक प्रार्थना को, मेरी एक विनती को मेरे देश को किसानों ने जिस प्रकार से सर आंखों पर बिठा कर के मेहनत की और दालों का रिकॉर्ड उत्पादन किया इसके लिए मेरे किसान भाई-बहन विशेष धन्यवाद के अधिकारी हैं.''
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जानें दाल उत्पादन के बाद किसानों का दर्द
किसानों ने दाल उत्पादन के इस साल सारे रिकॉर्ड तोड़ दिये लेकिन जमीन पर उन्हें क्या मिला? यह जानने के लिए हम आपको लेकर चलते हैं महाराष्ट्र के उस्मानाबाद की दाल खरीद मंडी मे. जिन किसानों ने इतनी मेहनत से दाल का उत्पादन किया उनकी दाल इस सरकारी बिक्री केंद्र पर नहीं बिक पा रही है. सरकारी बिक्री केंद्र के बाहर कई दिनों से दाल से भरी गाडियां खड़ी हैं. लेकिन इनकी कोई सुनने वाला नहीं है. ना तो गोदाम में दाल रखने की जगह बची है, ना ही बोरियां जिनमें ये दाल सुरक्षित रखी जा सके.
किसानों की आंख में 'अरहर के आंसू'
किसानों की मानें तो आज गोदामों मे 99 प्रतिशत व्यापारियों का माल है और किसानों का माल सिर्फ एक प्रतिशत है. पिछले शनिवार से अब तक किसानों की एक भी गाड़ी को खाली नहीं किया गया. पूरी गाड़ियां गोदामों के बाहर खड़ी हैं.किसानों की ये समस्या किसी एक मंडी की नहीं है. देश की अरहर दाल की सबसे बड़ी मंडी लातूर का भी यही हाल है. मराठवाड़ा की लातूर की मंडी इन दिनों दिन रात किसानों के शोर शराबे में डूबी हुई है. किसानों का आरोप है कि खाद्य संग्रहण, वितरण और भंडारण का काम देखने वाली सरकारी एजेंसी नाफेड के केंद्र पर किसानों की बजाय व्यापारियों की दाल खरीदी जा रही है. यही हालात वर्धा समेत राज्य के कई जिलों में हैं.राज्य के करीब 135 केंद्र बंद किये जा चुके हैं.
लचर व्यवस्था की वजह से नहीं बिका किसानों का दाल
सरकार ने दाल उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए अरहर का न्यूनतम समर्थन मूल्य 5 हजार 50 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया था. किसानों ने जमकर उत्पादन तो किया. लेकिन सरकारी अव्यवस्था की वजह से किसानों की दाल खरीद नहीं हो पाई है. स्थानीय निकाय के चुनाव में सारा सरकारी अमला करीब एक महीने तक जुटा रहा जिसके चलते किसानों से दाल खरीदने की उचित व्यवस्था नहीं हो सकी.
पूरे मामले पर अधिकारी का बयान
लेकिन इस मामले पर अधिकारी का कहना है कि अरहर दाल को रखने के लिए कुछ जगह पर थैलियों की समस्या होगी. कुछ जगह गोदाम की समस्या हो सकती है. वहां पर जगह न होने के कारण ये समस्या हो रही है. जहां थैली और गोदाम उपलब्ध हैं वहां अरहर की खरीदी जारी है.
किसानों का करीब 375 करोड़ रुपया बकाया
महाराष्ट्र में इस साल रिकॉर्ड 50 लाख क्विंटल अरहर दाल का उत्पादन हुआ है. जिन किसानों की दाल खरीदी भी गई है उनके करीब 375 करोड़ रुपये बकाया हैं. हालांकि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भरोसा दिया है कि किसानों को एक हफ्ते के भीतर उनका बकाया मिल जाएगा.