नई दिल्ली: महाराष्ट्र में शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस की सरकार बनने का रास्ता लगभग साफ हो चुका है. सूत्रों के मुताबिक सरकार बनने के बाद कैबिनेट के पहले फैसले में किसानों की कर्जमाफी का एलान होगा. किसानों के तकरीबन तकरीबन 35 हजार करोड़ रुपये के कर्ज माफ किए जाएंगे. शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी की साझा सरकार बनने के बाद कैबिनेट की पहली मीटिंग में ही किसानों की कर्जमाफी का एलान सरकार करेगी. उसके लिए पूरी तैयारी कर ली गई है.
शिवसेना सूत्रों के मुताबिक अभी तक के आकलन के अनुसार तकरीबन 35 हजार करोड़ रुपये के किसानों के कर्जमाफ किए जाएंगे. अगर इससे भी ज्यादा रकम किसानों की कर्जा माफी के लिए खर्च करनी पड़े तो सरकार उसके लिए पूरी तरह से तैयार है.
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शिवसेना सूत्रों के मुताबिक सरकार और न्यूनतम साझा कार्यक्रम का फोकस गांव गरीब और किसान होगा. किसान की कर्जमाफी किसान के खेत तक पानी 24 घंटे बिजली आपूर्ति हर साल निश्चित रोजगार जैसे मुद्दे न्यूनतम साझा कार्यक्रम में शामिल किए गए किसानों की कर्जमाफी के लिए 7 बटा 15 के नियम को लागू किया जाएगा. यानी कर्जमाफी के लिए जो नियम अपनाए जाएंगे उसमें किसान की कर्जमाफी तभी पूरी मानी जाएगी जब कर्ज के लिए रखे गए जमीन की रजिस्ट्री के कागज किसान को लौटा दिए जाएंगे. इससे पहले जब भी सरकारों ने किसान की कर्जमाफी की है तो गिरवी रखे गए जमीन के कागज नहीं लौटाए. शिव सेना के सूत्रों के मुताबिक अगले तीन दिनों के भीतर सरकार शपथ ले लेगी.
सूत्रों के मुताबिक न्यूनतम साझा कार्यक्रम तकरीबन तैयार है. तीनों ही दल एक दूसरे के वैचारिक धरातल का सम्मान करते हुए आगे बढ़ेंगे. न तो कट्टर हिंदुत्व को बढ़ावा दिया जाएगा और न ही मुस्लिम तुष्टिकरण को बढ़ावा दिया जाएगा. इसके लिए बाकायदा 12 सदस्य कमेटी को-ऑर्डिनेशन कमेटी का गठन किया जाएगा. इस को-ऑर्डिनेशन कमेटी के ऊपर सुपर कमेटी होगी. इस कमेटी में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे और एनसीपी के प्रमुख शरद पवार होंगे.
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महत्वपूर्ण मसलों पर या टकराव वाले मसलों पर सुपर कमिटी आपस में एक दूसरे से चर्चा कर या बैठक करके मसले को सुलझाएगी. जबकि रोजमर्रा के मुद्दों पर 12 सदस्य को-ऑर्डिनेशन कमिटी की बैठकें होंगी. को-आर्डिनेशन कमेटी में तीनों दलों के चार-चार नेता शामिल होंगे. इसमें विधायक दल के नेता, प्रदेश अध्यक्ष, प्रदेश संगठन प्रभारी सहित पार्टी की ओर से नामांकित सदस्य होंगे. न्यूनतम साझा कार्यक्रम को लागू करने के लिए हर 15 दिन को-ऑर्डिनेशन कमेटी की बैठक होगी.
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