मुंबई: ठाकरे सरकार के घटक दलों के बीच चल रहे विवाद की ताजा कड़ी में अब एक और मामला जुड़ गया है. अहमदनगर जिले की पारनेर नगर पंचायत के 5 शिवसेना पार्षद हाल ही में पार्टी छोड़ एनसीपी में शामिल हो गये. इसके बाद शिवसेना ने भी पलटवार करते हुए कल्याण पंचायत समिति के चुनाव में विपक्षी पार्टी बीजेपी से हाथ मिला कर एनसीपी को गच्चा दे दिया.


पिछले साल नंवबर में जब शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस की गठबंधन सरकर बनीं तब ये कहा गया था कि तीनों पार्टियां भविष्य के सभी चुनाव साथ मिलकर लड़ सकती हैं लेकिन ऐसा होता नजर नहीं आ रहा.


बीते शनिवार को पारनेर नगर पंचायत के पांच शिवसेना पार्षद इस बिनाह पर एनसीपी में शामिल हो गए कि वे पार्टी के स्थानीय नेतृत्व से खुश नहीं थे. एनसीपी में उनका स्वागत करने वालों में खुद पार्टी के प्रमुख नेता और महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजीत पवार थे.


शिवसेना के लिए यह एक झटका माना जा रहा है क्योंकि पारनेर नगर पंचायत शिवसेना का गढ़ मानी जाती रही है. वहीं अपने पार्षदों के इस तरह से दलबदल की वजह से शिवसेना खासी नाराज है. शिवसेना की ये नाराजगी मुंबई से सटे कल्याण में पता चली. यहां की नगर पंचायत में शिवसेना ने बीजेपी से हाथ मिला लिया. नगर पंचायत के प्रमुख और उपप्रमुख पद के लिए एनसीपी ने अपने उम्मीदवार उतारने का फैसला किया था, लेकिन बीजेपी के समर्थन से शिवसेना ने इन दोनो पदों का चुनाव जीत लिया.


ये दोनों ही मामले उस कड़वाहट की कड़ी हैं जो कि महाराष्ट्र सरकार के घटक दलों के बीच बीते चंद महीनों से देखी जा रही है. पहले कांग्रेस ने शिकायत की थी कि उसे सरकार में होते हुए भी अहमियत नहीं दी जा रही, जिस पर शिवसेना ने तीखी प्रतिक्रिया दी और कांग्रेस की तुलना पुरानी खटिया से कर दी जो बेवजह आवाज करती रहती है. उद्धव ठाकरे ने बाद में कांग्रेस के नेताओं से मुलाकात कर मामले को शांत किया.


सरकार अभी इस विवाद से उबरी भी न थी कि मुंबई में डीसीपी रैंक के अफसरों के तबादले को लेकर बवाल मच गया. मुंबई के पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह ने शहर के 10 डीसीपी का तबादला कर दिया लेकिन शिवसेना इससे खफा हो गई. शिवसेना का कहना था कि इतना बड़ा फैसला लेने से पहले उसे बताया जाना चाहिए था. 2 दिन बाद ही गृहमंत्री अनिल देशमुख जो कि ने तबादलों को वापस लेने का ऐलान किया. बता दें अनिल देशमुख एनसीपी से हैं. दोनो पार्टियों के बीच चल रहे इस विवाद को लेकर उद्धव ठाकरे और शरद पवार के बीच दो बार बैठकें भी हो चुकी हैं.


बीजेपी इस घटनाक्रम पर बारीकी से नजर बनाए हुए है. पार्टी का मानना है कि ठाकरे सरकार अपने अंतर्विरोधों के चलते ज्यादा दिन तक नहीं टिकेगी. महाराष्ट्र में अगला बड़ा चुनाव साल 2022 में मुंबई महानगरपालिका का है. ये देखना दिलचस्प होगा कि तब तक तीनों पार्टियों की यह सरकार टिकती है या नहीं और क्या तीनों पार्टियां गठबंधन करके चुनाव लड़ेंगी.


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