मुंबई: राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) में बगावत कर बीजेपी के साथ हाथ मिलाने वाले अजित पवार ने उपमुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है. उन्होंने अपना इस्तीफा देवेंद्र फडणवीस को सौंपा है. अब फडणवीस दोपहर साढ़े तीन बजे प्रेस कॉन्फ्रेंस करेंगे. इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में फडणवीस भी अपने इस्तीफे का एलान कर सकते हैं. आज जब सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया तो अजित पवार मुंबई स्थित मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के आवास पर गए थे. वहां कुछ देर रुकने के बाद अजित पवार निकले.


सुप्रीम कोर्ट ने कल तक फ्लोर टेस्ट कराए जाने का आदेश दिया है. यहां ध्यान रहे कि अजित पवार ने आज शरद पवार से भी मुलाकात की थी. सूत्रों के मुताबिक, इस दौरान शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले, एनसीपी विधायक दल के नेता जयंत पाटिल मौजूद थे. बैठक में अजित पवार से कहा गया कि वापस आ जाएं. उनसे कहा गया कि इस्तीफा दे दें या कल विधानसभा की बैठक से बाहर रहें. सूत्रों ने बताया कि अगर अजित पवार ऐसा नहीं करते हैं तो एनसीपी के पास ऑप्शन B तैयार है.


अजित पवार ने 23 नवंबर की सुबह को बीजेपी को समर्थन देने का एलान किया था और उन्होंने उप-मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी. राज्यपाल ने दवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई थी. राज्यपाल के फैसले को कांग्रेस-एनसीपी-शिवसेना ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी.


महाराष्ट्र फ्लोर टेस्ट: क्या अजित पवार अभी भी विधानसभा में एनसीपी के नेता हैं?


सुप्रीम कोर्ट ने राज्यपाल को कल तक फ्लोर टेस्ट कराने के लिए कहा. जस्टिस एन वी रमण, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस संजीव खन्ना की पीठ ने कहा कि महाराष्ट्र विधानसभा में शक्ति परीक्षण के दौरान गुप्त मतदान नहीं हो और विधानसभा की पूरी कार्यवाही का सीधा प्रसारण किया जाए.


शीर्ष अदालत ने राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को निर्देश दिया कि वह यह भी सुनिश्चित करें कि सदन के सभी निर्वाचित सदस्य बुधवार को ही शपथ ग्रहण करें. अदालत ने कहा कि समूची प्रक्रिया पांच बजे तक पूरी हो जानी चाहिए. इस बीच बहुमत नहीं मिलता देख अजित पवार ने इस्तीफा दे दिया है.


सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद दिल्ली में भी बीजेपी नेताओं की बैठक हुई. इस बैठक में पीएम मोदी, अमित शाह, जेपी नड्डा समेत कई नेता मौजूद थे.


अजित पवार के इस्तीफे के बाद साफ है कि अब सूबे में कांग्रेस-एनसीपी और शिवसेना आसानी से सरकार बना लेगी. तीनों दलों ने चुनाव बाद गठबंधन किया है. दरअसल, 24 अक्टूबर को जब चुनाव नतीजों की घोषणा हुई तो शिवसेना ने बीजेपी से मुख्यमंत्री पद की मांग कर डाली. बीजेपी ने इससे इनकार कर दिया.


इसी आधार पर शिवसेना ने बीजेपी से 30 साल पुराना गठबंधन तोड़ लिया. शिवसेना ने कांग्रेस-एनसीपी से बातचीत शुरू की. 22 नवंबर को शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस सरकार बनाने के लिए सहमत हो गई. लेकिन अचानक सभी को चौंकाते हुए अजित पवार ने बीजेपी से हाथ मिला लिया और 23 नवंबर को उन्होंने उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली.


सूबे में कुल 288 सीटें हैं और सरकार गठन के लिए 145 विधायकों की जरूरत होती है है. 24 अक्टूबर को आए चुनाव नतीजों के मुताबिक, बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी और उसके पास 105 विधायक हैं. शिवसेना दूसरी सबसे बड़ी पार्टी है और उसके पास 56 विधायक हैं. एनसीपी तीसरी सबसे बड़ी पार्टी है और उसके पास 54 विधायक हैं. वहीं चौथी सबसे बड़ी पार्टी है और उसके पास 44 विधायक हैं.