महाराष्ट्र फ्लोर टेस्ट: क्या अजित पवार अभी भी विधानसभा में एनसीपी के नेता हैं?
पिछले दिनों अजित पवार ने एनसीपी में बगावत कर दी और अपने चाचा शरद पवार के रुख से अलग बीजेपी के साथ सरकार बना ली. जिसके बाद एनसीपी ने अजित पवार को पार्टी विधायक दल के नेता पद से हटा दिया और उनकी जगह जयंत पाटिल को चुना.
मुंबई: शनिवार यानि 23 नवंबर को महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ लेने वाले एनसीपी नेता अजित पवार अभी भी पार्टी के विधायक दल के नेता हैं या नहीं, इस पर स्थिति स्पष्ट नहीं है. इस संबंध में विधानसभा अधिकारियों और संविधान विशेषज्ञों ने भी अलग अलग राय जाहिर की है .
प्रदेश विधानसभा के प्रभारी सचिव राजेंद्र भागवत ने बताया कि यह निर्णय करने का अधिकार विधानसभा अध्यक्ष को है कि क्या जयंत पाटिल को एनसीपी के विधायक दल का नया नेता माना जाना चाहिए. उन्होंने कहा, ‘‘एनसीपी से उनके नये नेता के बारे में हमें एक पत्र प्राप्त हुआ है लेकिन विधानसभा अध्यक्ष (हरिभाऊ बागडे) इस पर निर्णय करेंगे .’’
विधान भवन के एक सूत्र ने बताया कि विधानसभा अध्यक्ष ने अबतक अजित पवार को हटा कर जयंत पाटिल को विधायक दल का नेता बनाये जाने के एनसीपी के निर्णय को स्वीकार नहीं किया है. पिछले हफ्ते पार्टी से बगावत कर अजित पवार द्वारा प्रदेश में सरकार बनाने के लिए बीजेपी को समर्थन देने के बाद एनसीपी ने उन्हें विधायक दल के नेता पद से हटा दिया था और इस पद के सभी अधिकार जयंत पाटिल को सौंप दिए थे.
बीजेपी नेता बागड़े विधानसभा के पिछले कार्यकाल में 2014 से 19 तक सदन के अध्यक्ष रह चुके हैं . वह अब भी विधानसभा के अध्यक्ष हैं, हालांकि किसी विधायक ने अब तक शपथ नहीं ली है. मुंबई बीजेपी के पूर्व प्रमुख आशीष शेलार ने कहा कि नयी विधानसभा अभी शुरू नहीं हुई है इसलिए ‘‘अजित पवार एनसीपी के विधायक दल के नेता हैं और सरकार बनाने के लिए भारतीय जनता पार्टी को समर्थन देने का उनका निर्णय सर्वोच्च माना जाना चाहिए .’’
उन्होंने कहा, ‘‘इस पर कोई विवाद नहीं हो सकता है .’’ हालांकि, संविधान विशेषज्ञ उल्हास बापट ने कहा कि अगर एनसीपी ने अजीत पवार को हटा कर जयंत पाटिल को विधायक दल का नेता नियुक्त किया है तो पाटिल को ही विधानसभा में एनसीपी विधायक दल का नेता समझा जाना चाहिए .
बापट ने कहा कि यह सच है कि विधानसभा अध्यक्ष के पास विवेकाधीन शक्तियां हैं लेकिन वह (बागड़े) अजित पवार को हटा कर जयंत पाटिल को सदन में विधायक दल का नेता नियुक्त किए जाने के पार्टी के फैसले की अनदेखी नहीं कर सकते हैं .
उन्होंने कहा, ‘‘जब संविधान तैयार किया जा रहा था, तो उसमें इसका स्पष्ट उल्लेख किया गया कि पार्टी को एक व्यक्ति के हित से अधिक महत्वपूर्ण समझा जाना चाहिए . इसलिए, प्रदेश में बीजेपी की सरकार को समर्थन दिये जाने के मामले में अगर एनसीपी की राय अजित पवार से अलग है तो पार्टी का निर्णय सर्वोच्च होगा .’’