Eknath Shinde Breaks Down: महाराष्ट्र विधानसभा ( Maharashtra Assembly Election) में आज शिवसेना-बीजेपी (Shiv Sena BJP) ने मिलकर बहुप्रतीक्षित फ्लोर टेस्ट (Floor Test) को पास कर लिया. एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) की सरकार के पक्ष में 164 विधायकों ने वोट किया. वहीं, उनके विपक्ष में 99 वोट पड़े. इसको लेकर महाराष्ट्र (Maharashtra) के सीएम एकनाथ शिंदे ने महाराष्ट्र विधानसभा में सभी को धन्यवाद दिया. 


इस दौरान एकनाथ शिंदे हादसे में जान गवां चुके अपने बच्चों का जिक्र करते हुए भावुक हो गए. उन्होंने कहा कि मेरे दो बच्चों की मृत्यु हो गई थी (मुख्यमंत्री रोने लगे) उस समय आनंद दिघे ने मुझे समझाया. तब सोचता था कि किसके लिए जीना है, मैं परिवार के साथ रहूंगा. अपने संबोधने में सीएम एकनाथ शिंदे ने कहा कि बालासाहेब ठाकरे और आनंद दिघे के आशीर्वाद से आज एकनाथ शिंदे ने सरकार बनाई है. मेरे साथ पिछले 15 से 20 दिनों तक शिवसेना के 40 विधायकों, 11 निर्दलीय विधायकों ने मुझपर विश्वास रख कर जो इतना बड़ा निर्णय लेने की हिम्मत की इसके लिए मैं उनको धन्यवाद देता हूं. 






'विश्वास नहीं हो रहा कि मैं सीएम बन गया' - एकनाथ शिंदे
एकनाथ शिंदे ने कहा कि मुझे अभी भी विश्वास नहीं हो रहा कि मैं आज बतौर मुख्यमंत्री इस सभागार में बोल रहा हूं, क्योंकि अगर महाराष्ट्र की अलग-अलग घटनाओं को देखें तो लोक प्रतिनिधि विपक्ष से सत्ता की तरफ जाते हैं लेकिन आज यह ऐतिहासिक घटना है जिसे देश और राज्य देख रहा है.


मुझ पर विश्वास जताने के लिए शिवसैनिकों का शुक्रिया-एकनाथ शिंदे
शिंदे ने कहा कि मुझे देवेंद्र जी ने बताया कि 33 देश इस कार्यवाही को देख रहे हैं. हमारे साथ में कई मंत्री थे जो अपना मंत्रिपद छोड़कर हमारे साथ आए. 50 विधायक हमारे साथ आए. मेरे जैसे किसी कार्यकर्ता पर शिवसेना के नेताओं ने जो विश्वास दिखाया है उसके लिए मैं उन सबका धन्यावाद देता हूं. जब हमने इस मिशन की शुरुआत की तब मुझसे किसी ने नहीं पूछा कि हम कहां जा रहे हैं और कब तक जा रहे हैं. विधानसभा में विधान परिषद चुनाव के दिन जिस तरह मुझसे बर्ताव किया गया उसे कई विधायकों ने देखा. जो बर्ताव किया गया वो मुझसे सहन नहीं हुआ और मुझे फोन आने लगे. सभी ने मेरे साथ चलने की बात की. 


उद्धव ठाकरे ने फोन कर पूछा कि कहां जा रहे हो?
उस समय मेरे पास सीएम उद्धव का फोन आया उन्होंने मुझसे पूछा कि कहां जा रहे हो मैंने कहा कि पता नहीं, कब आओगे, मैंने कहा कि पता नहीं लेकिन इसके बावजूद किसी विधायक ने मुझसे पूछा नहीं कि वो सीएम से मिलकर जाएंगे. सुनील प्रभु को पता है कि मुझसे कैसा बर्ताव किया गया. मेरे साथ क्या किया गया. मैंने कहा मैं शहीद होने को तैयार हूं लेकिन अब मैं कदम उठाऊंगा. मेरे साथियों ने कहा कि तुम चिंता मत करो तुम पर कोई परेशानी नहीं आने देंगे. 


शिंदे ने कहा कि मुझे बदनाम किया गया एक तरफ लोगों को मुझसे बात कर समझाने भेजा दूसरी ओर मुझे पद से निकाला. उन्होंने मेरे घर पर पत्थर फेंकने की बात की मेरे घर पर पत्थर फेंकने वाला कोई पैदा नहीं हुआ है. बालासाहेब के विचार से प्रभावित होकर और दिघे साहेब से मिलकर मैं शिवसेना में शामिल हुआ. दिघे साहेब ने मुझे 18 साल की उम्र में शाखा प्रमुख बनाया.  मैं 97 में पार्षद बना92 में बन सकता था लेकिन बीजेपी के साथ गठबंधन की वजह से 92 में मैंने इस पद को छोड़ दिया. कभी पद के लिए कुछ नहीं किया है.


महिला विधायकों को वेश्या कहा गया - शिंदे
अभी हमारे बाप का नाम ले रहे हैं, गंदी-गंदी बात की गई. महिला विधायकों को वेश्या कहा गया. हमारे बाप के बारे में कहा गया, पोस्टमार्टम के बारे में कहा गया लेकिन हमने कुछ नहीं कहा. मेरे पिता के बारे में कहा गया, मेरे पिता जीवित हैं मेरी मां की मृत्यु हो गई है. 


एक बार उद्धव ठाकरे ने मुझे फोन किया था. मैंने मेरी माँ को फोन दिया और उद्धव ठाकरे से कहा कि मेरे बच्चे को संभालो. माँ पिता को समय नहीं दे पाया. जब मैं आता था तब वो सोए रहते थे और जब उठता था तब वो काम पर जाते थे. शिवसेना को समय देने के वजह से मैं अपने बेटे श्रीकांत को समय नहीं दे पाया.


बच्चों का जिक्र कर भावुक हुए शिंदे
मेरे दो बच्चों की मृत्यु हो गई थी (मुख्यमंत्री रोने लगे) उस समय आनंद दिघे ने मुझे समझाया. तब सोचता था कि किसके लिए जीना है, मैं परिवार के साथ रहूँगा लेकिन दिघे साहेब 5 बार घर आए मैंने साहब से कहा कि मैं अब काम नहीं कर सकता लेकिन दिघे साहेब ने मुझे कहा कि तुमको अपने आंख के आंसू पोंछ कर दूसरे के आंसुओं को मिटाना है.


लेकिन साहब ने मुझे संभाला और मुझे सभागृह का नेता बनाया. रात 11 बजे तक मेरे दफ्तर पर लोग रहते थे. दिघे साहब के जाने के बाद जिस तरह ठाणे के वागले इस्टेट में जो डांस बार था वो बहुत ज़्यादा था, लेकिन हमने उसे भी खत्म किया.


गुरू आनंद दिघे की मौत के बाद मेरी हिम्मत खत्म हो गई- एकनाथ शिंदे
16 बार को बंद करने का काम मैंने किया है, सैंकड़ों मामले मुझपर दर्ज है. मैं यह सब इसलिए कह रहा हूँ क्योंकि शिवसेना के लिए दिन रात मैंने काम किया है. धर्मवीर आनंद दिघे के मृत्यु के बाद मेरी हिम्मत खत्म हो गई. हम सभी पागल हो गए थे कि हम क्या करें, हमें संभालने वाला गया. दिघे साहब के मृत्यु के बाद लोगों ने अस्पताल जलाया हमने सिलिंडर जलने से बचाया नहीं तो सैंकड़ो लोग मरते.


करीब 150 लोगों पर कार्रवाई हुई, तब भी मैंने कहा कि यह सब केवल दिघे साहब के प्यार के लिए किया गया. उस समय सबको लगा कि ठाणे की शिवसेना खत्म होगी लेकिन शिवसेना को बढ़ाने और दिघे साहब के मामले में गिरफ्तार सभी लोगों को बाहर निकाला और अब आप ठाणे, पालघर सब देखिए, हर जगह शिवसेना के लोग हैं.


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