Shivaji Birth Anniversary: पुरंदर की संधि के बाद 1666 में छत्रपति शिवाजी अपने बेटे संभाजी के साथ मुगल बादशाह औरंगजेब के बुलावे पर आगरा पहुंचे थे. औरंगजेब ने धोखे से उन्हें बेटे समेत कैद करवा दिया. शिवाजी भी हार मानने वालों में नहीं थे. उन्होंने वो कर दिखाया, जिसकी कल्पना औरंगजेब ने भी नहीं की होगी. कैद से निकलकर वे फरार हो गए.


अब साढ़े तीन सौ साल बाद उसी आगरा के किले में छत्रपति का जन्मदिन मनाने की मंजूरी मांगी गई है. 19 फरवरी को शिवाजी महाराज 393वां जन्मदिन मनाया जाएगा. महाराष्ट्र सरकार इस अवसर पर आगरा के लाल किले में कार्यक्रम आयोजित करना चाहती है. इसके लिए पुरातत्व विभाग से अनुमति मांगी गई है. 


मंजूरी पर फैसला बाकी
फिलहाल इसमें समस्या यह है कि किले के दीवान-ए-आम, जहां ये आयोजन किया जाना है, की छत में दरारें आने के बाद इसे पर्यटकों के लिए बंद कर दिया गया है. एक अन्य संस्था की ऐसी ही मांग को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने मंजूरी नहीं दी थी.


महाराष्ट्र सरकार की मांग पर फैसला क्या होगा, ये अभी आना बाकी है. वैसे, हाल ही में 11 फरवरी को जी-20 डेलीगेशन के स्वागत में यहां कार्यक्रम का आयोजन किया गया था. जिसके चलते महाराष्ट्र सरकार को इजाजत मिलने की उम्मीद जगी है. 


सीएम योगी को भी निमंत्रण
जानकारी के अनुसार, आगरा किले में प्रस्तावित कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्रियों सहित कैबिनेट मंत्रियों को आमंत्रित किया गया है. आगरा का प्रशासनिक अमला भी 19 जनवरी को शिवाजी जयंती मनाने की तैयारी कर रहा है.


महाराष्ट्र सरकार के प्रधान सचिव विकास खरगे हाल ही में शिवाजी जयंती पर आगरा किले के दीवान-ए-आम में 2,000 मेहमानों की की मेजबानी करने के लिए एएसआई महानिदेशक विद्यावती से अनुमति लेने के लिए दिल्ली आए थे. आवेदन संस्कृति विभाग, महाराष्ट्र सरकार के निदेशक द्वारा किया गया था.


जब औरंगजेब ने कर लिया था कैद
पुरंदर की संधि के बाद औरंगजेब की तरह से शिवाजी को मिलने के लिए आगरा आने का संदेश भेजा गया. इसमें उन्हें पूरा सम्मान देने और सुरक्षित वापस जाने देने का भरोसा दिया गया. हालांकि, शिवाजी को औरंगजेब पर भरोसा नहीं था, लेकिन सलाहकारों के कहने पर 9 साल के बेटे संभाजी के साथ आगरा पहुंचे. दरअसल, औरंगजेब की पूरी योजना शिवाजी को धोखे से गिरफ्तार करने की थी. हुआ भी यही, औरंगजेब ने शिवाजी को अपमानित करने के लिए उन्हें 5 हजारी मनसबदारों की लाइन में खड़ा करवा दिया. इससे शिवाजी भड़क उठे और दरबार छोड़कर बाहर निकल आए.


औरंगजेब ऐसे ही मौके की तलाश में था. उसने शिवाजी को बेटे संभाजी समेत आगरा शहर से बाहर जयपुर की सराय में कैद कर लिया. औरंगजेब की योजना थी कि शिवाजी जोश में कोई गलती करें और उसे उन्हें मारने का बहाना मिल जाए, लेकिन शिवाजी पुराने खिलाड़ी थे. 


मिठाई और फलों की टोकरी में निकल भागे
शिवाजी औरंगजेब की नीति समझ गए और उन्होंने शांत रहना शुरू कर दिया. वे उनकी निगरानी करने वाले सैनिकों से हंसी मजाक करने लगे. इस दौरान औरंगजेब को महसूस कराते रहे कि वह यहां बहुत खुश हैं. कुछ महीने बीतने के बात शिवाजी ने बीमार होने का नाटक किया. वे जोर-जोर से कराहते. इस दौरान वे ठीक होने के लिए ब्राह्मणों और गरीबों को फल और मिठाइयां दान करने लगे.


काफी समय तक तो इन टोकरियों की जांच पहरेदार करते रहे, लेकिन फिर ऐसा होना बंद हो गया. ऐसे ही एक दिन शिवाजी महाराज मौका देखकर इन टोकरियों में बैठकर कैद से बाहर निकल गए. एक टोकरी में शिवाजी खुद बैठे और दूसरी में उनके बेटे संभाजी निकलने में कामयाब रहे.


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