नई दिल्लीः विधानसभा चुनाव से पहले आज महाराष्ट्र सरकार ने बड़ा एलान किया है. महाराष्ट्र सरकार ने नए मोटर व्हीकल एक्ट को लागू करने से मना कर दिया है. महाराष्ट्र सरकार ने परिवहन मंत्री नितिन गडकरी को एक पत्र लिखा है और इस एक्ट पर पुनर्विचार की मांग की है.
केंद्र सरकार के मोटर व्हीकल्स एक्ट को महाराष्ट्र में लागू करने पर परिवहन मंत्री दिवाकर रावते ने स्थगन लगा दिया है. इस नए कानून में जुर्माने में हुई बढ़ोतरी की वजह से देशभर में आक्रोश देखा जा रहा है. इसके चलते परिवहन मंत्री दिवाकर रावते ने इस जुर्माने की रकम के बारे में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी को पत्र लिखकर फिर विचार करने की मांग की है. रावते ने ये स्पष्ट कर दिया है कि जब तक केंद्रीय मंत्री इस बारे में जवाब नहीं देते तबतक राज्य में कायदा लागू नहीं होगा. हालांकि विपक्ष आलोचना कर रहा है कि राज्य में आनेवाले चुनाव को मद्देनजर रखते हुए सरकार इस कानून को लागू करने से बच रही है.
ऐसा लगता है कि महाराष्ट्र सरकार को डर है कि मोटर व्हीकल एक्ट के चलते लगने वाले भारी-भरकम जुर्माने का निगेटिव असर जनता पर पड़ सकता है और आगामी विधानसभा चुनाव में लोग बीजेपी के खिलाफ वोट कर सकते हैं. बता दें कि इससे पहले गुजरात सरकार ने नए मोटर व्हीकल एक्ट के जुर्माने के प्रावधान को आधा कर दिया था. इन दोनों राज्यों में बीजेपी की सरकार है. इसके अलावा आज ही पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने इसे अपने राज्य में लागू करने से मना कर दिया है. उन्होंने कहा है कि नया मोटर व्हीकल एक्ट लोगों पर बोझ है.
केंद्रीय सड़क और परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने नए मोटर व्हीकल एक्ट में राज्यों के पलटी मारने और जुर्माना कम करने की घोषणा पर कहा है कि दबाव में राज्य सरकारें, जुर्माना कम न करें. जुर्माना कम करना ठीक नहीं है. लोगों में कानून के प्रति भय और सम्मान नहीं है. हालांकि मोटर व्हीकल एक्ट समवर्ती सूची में है और राज्य सरकारें इस कानून में बदलाव कर सकती है ये उनकी मर्जी है, लेकिन राज्यों को कानून में बदलाव नहीं करना चाहिए.
दुनिया में सबसे ज़्यादा सड़क दुर्घटनाओं से मौतें भारत में होती है, 2 फीसदी जीडीपी का नुकसान सड़क दुर्घटनाओं में होता हैं, जुर्माना कम करने या नया कानून लागू करने या न करने के बाद सड़क दुर्घटना में अगर लोगों की मौत होती है तो राज्य सरकार ज़िम्मेदार है. बच्चियों के साथ बलात्कार में फांसी की सज़ा के प्रवधान किया गया, हम किसी को फांसी नहीं देना चाहते हैं लेकिन इसलिए प्रावधान किया ताकि कोई भी ऐसा न करे लेकिन अब ऐसे भी लोग है जो फांसी की सज़ा के खिलाफ हैं. लोगों की जान बचाने की केवल भारत सरकार की ज़िम्मेदारी नहीं है,राज्य सरकार की भी ज़िम्मेदारी है.
नितिन गडकरी ने ये भी कहा कि 30 साल पहले 100 रुपये जनरल चालान था, अब 300 रुपये जनरल चालान है. 100 रुपये की कीमत आज 30 साल बाद क्या रह गयी है. नया कानून आने के बाद आरटीओ में लाइसेंस और प्रदूषण प्रमाणपत्र के लिए लंबी लंबी लाइन लगाई जा रही है. लोगों में नए कानून का सम्मान बढ़ रहा है. मेरा भी चालान हुआ है वीके सिंह का भी चालान नए एक्ट में हुआ है अब नए इंटेलिजेंस सिस्टम में कोई वीआईपी नहीं है और सभी को कानून का सम्मान करना चाहिए.