OPS: पुरानी पेंशन स्कीम को लागू करने की मांग को लेकर महाराष्ट्र में कर्मचारियों की हड़ताल, क्या बोले डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस?
Maharashtra Employees Strike: ओल्ड पेंशन स्कीम की मांग कर रहे कर्मचारियों का कहना है कि पंजाब, राजस्थान और हिमाचल ने जब इसे लागू करने का फैसला किया तो महाराष्ट्र में क्यों नहीं हो सकता है.
Maharashtra Govt Employees Strike For OPS: महाराष्ट्र में लगभग 18 लाख सरकारी कर्मचारी पुरानी पेंशन योजना लागू करने की मांग को लेकर सोमवार (13 मार्च) से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए. इससे पहले सरकार और कर्मचारी यूनियन के बीच बैठक भी हुई, लेकिन वह बेनतीजा रही. महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की ओर से कर्मचारियों की हड़ताल को लेकर बयान भी आया है.
पुरानी पेंशन योजना 2005 में बंद हुई थी. कर्मचारियों का कहना है कि वे लंबे समय से सरकारी सेवा में लगे हैं, इसलिए सामान लाभ के हकदार हैं. हड़ताली कर्मचारियों की ओर से कहा गया कि पंजाब, राजस्थान और हिमाचल प्रदेश जैसे राज्यों ने पुरानी पेंशन योजना लागू करने का फैसला लिया, जबकि उन राज्यों की आमदनी महाराष्ट्र के मुकाबले कम है.
ऐसे में महाराष्ट्र सरकार योजना को लागू क्यों नहीं कर रही है? बता दें कि सरकारी कर्मचारियों की हड़ताल का असर सरकारी अस्पतालों, स्कूलों, कॉलेजों, नगरपालिका और ज्यादातर सरकारी विभागों पर देखने को मिल सकता है.
'आर्थिक स्थिति की कमर तोड़ कर रखने वाला फैसला'
सरकारी कर्मचारियों की हड़ताल को लेकर महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री और वित्त मंत्री देवेंद्र फडणवीस ने विधान परिषद में कहा कि यह मुद्दा सरकार के लिए ईगो का नहीं है. फडणवीस ने अर्थशास्त्री मोंटेक सिंह अहलूवालिया के बयान का समर्थन करते हुए कहा कि ओपीएस को फिर से लागू करना वित्तीय दिवालियापन का एक तरीका होगा.
उन्होंने आगे कहा कि वेतन, मेहनत और पेंशन पर पहले ही राज्य सरकार का वित्तीय खर्च 58 फीसदी है और यह 62 फीसदी तक पहुंच रहा है जो अगले वित्तीय वर्ष में लगभग 68 फीसदी तक पहुंच जाएगा. उन्होंने कहा कि 2005 में बंद हुई इस योजना को अगर लागू किया जाता है तो सरकार की तिजोरी पर 110,000 करोड़ का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा. यह सरकार की आर्थिक स्थिति की कमर तोड़ कर रखने वाला फैसला होगा.
'फैसला जल्दबाजी में नहीं होना चाहिए'
सरकार का मानना है कि दूसरे राज्यों की तरह अगर महाराष्ट्र में भी पुरानी पेंशन योजना लागू की जाती है तो ज्यादा से ज्यादा 2030 तक ही उसे बरकरार रखा जा सकेगा. सरकार का कहना है कि मौजूदा आमदनी में से 56 फीसदी की उसकी देनदारी है. अगर कोई नई भर्ती नहीं भी की जाती है तो भी देनदारी बढ़कर 83 फीसदी हो जाएगी, इसलिए पुरानी पेंशन योजना के संबंध में फैसला जल्दबाजी में नहीं होना चाहिए.
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