नई दिल्ली: महाराष्ट्र में सरकार को लेकर तस्वीर अभी भी साफ नहीं है. एनसीपी,कांग्रेस और शिवसेना के नेता कह रहे हैं कि आपसी बातचीत चल रही है, कॉमन मिनिमम प्रोग्राम के आधार पर सरकार बनाने का रास्ता साफ हो जाएगा. सामने आ रही जानकारी के मुताबिक, इस कॉमन मिनिमम प्रोग्राम में जिक्र किया गया है कि उन मुद्दों से दूर रहा जाए जो तीनों में से किसी भी पार्टी के भीम मत रहे हो या किसी भी पार्टी के लिए परेशानी पैदा कर सकते हैं.


शिवसेना ने लोकसभा में की सावरकर को भारत रत्न देने की मांग
वीर सावरकर को भारत रत्न देने का मुद्दा एक ऐसा ही मुद्दा है. जिसपर शिवसेना अभी भी अपने पुराने रुख पर कायम है. शिवसेना सांसद संजय राउत ने जहां 2 दिन पहले ही वीर सावरकर को भारत से देने की बात कही तो गुरुवार को लोकसभा में शिवसेना से ही सांसद राजेंद्र डेडवा गावित ने लोकसभा में वीर सावरकर के लिए भारत रत्न की मांग कर दी.


'गठबंधन का मतलब यह नहीं कि अपनी मांग से मुकर जाएं'
वीर सावरकर को भारत रत्न देने का मुद्दा एक ऐसा मुद्दा है जिस पर कांग्रेस शुरू से ही आपत्ति दर्ज करवाती रही है. लेकिन शिवसेना सांसद राजेंद्र डेडवा का कहना है कि सावरकर को भारत रत्न देने की बात शिवसेना शुरुआत से करती रही है जबकि एनसीपी कांग्रेस के साथ गठबंधन अब हो रहा है और ऐसे में शिवसेना अपने शुरुआत से चले आ रहे रुख को बदल नहीं सकती.


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विपरीत विचारधाराओं के मिलन का नाम होगा यह गठबंधन
वीर सावरकर को भारत रत्न देने का मुद्दा तीनों तीनो राजनीतिक दलों के मत भिन्नता वाले मुद्दों में से एक रहा है. हालांकि कई और भी ऐसे मुद्दे हैं जिन पर कॉमन मिनिमम प्रोग्राम में एक आम राय बनाने की कोशिश जरूर की गई है लेकिन शिवसेना और कांग्रेस-एनसीपी की राजनीतिक विचारधारा भी पूरी तरह से अलग रही है. ऐसे में अब जब ये तीनों ही दल एक साथ आने की बात कर रहे हैं तो निश्चित तौर पर तीनों के लिए ही दो विपरीत विचारधाराओं का मिलन आसान नहीं रहेगा और अगर अभी सरकार बन भी जाती है तो भविष्य में भी ये अलग अलग विचारधारा कहीं ना कहीं तीनों ही दलों के आड़े आती रहेंगी.


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