सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश को लेकर असमंजस में महाराष्ट्र सरकार
6 जुलाई 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि जिन लोगों ने फर्जी प्रमाणपत्र के जरिए नौकरी ली है या किसी संस्थान में दाखिला लिया है तो उनकी डिग्री या नौकरी रद्द की जाए.
महाराष्ट्र: पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि जिन लोगों ने फर्जी प्रमाण पत्र के जरिए नौकरी या दाखिला ली है, तो उनकी नौकरी या डिग्री रद्द की जाए. कोर्ट के इस फैसले से महाराष्ट्र सरकार इस समय मुश्किल में आ गई है. अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया की एक खबर के मुताबिक महाराष्ट्र में अनुसूचित जाति(एसटी) कोटे के तहत 11,700 लोगों ने फर्जी प्रमाण पत्र के जरिए नौकरी ली हैं. अब सरकार ये नहीं समझ पा रही है कि इतने लोगों के साथ क्या किया जाए.
अधिकारियों और सरकार के सामने यह एक बड़ा सवाल है कि आखिर इतने सारे लोगों ने फर्जी प्रमाण पत्र के जरिए कैसे नौकरी ले ली. इस मामले में महाराष्ट्र सरकार की चौतरफा आलोचना भी हो रही है और प्रशासन को ये भी नहीं समझ आ रहा है कि आखिर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को कैसे लागू किया जाए.
खास बात ये है कि इन कर्मचारियों में से ज्यादातर लोग 20 साल से भी ज्यादा समय से सरकारी नौकरी में हैं. आलम ये है कि कई लोग तो क्लर्क से प्रमोशन हो कर उप सचिव के पद तक पहुंच गए हैं. हालांकि कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि इससे फर्क नहीं पड़ेगा कि कोई भी शख्स कितने समय से नौकरी में है. अगर कोई भी इस मामले में पकड़ा जाता है तो उस पर कार्रवाई जरूर होगी. बात दें कि छह जुलाई 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि जिन लोगों ने फर्जी प्रमाणपत्र के जरिए नौकरी ली है या किसी संस्थान में दाखिला लिया है तो उनकी डिग्री या नौकरी रद्द की जाए.
हालांकि सुप्रीम कोर्ट का आदेश बिल्कुल स्पष्ट है लेकिन राज्य सरकार इतने ज्यादा कर्मचारियों की नौकरी रद्द करने में सावधानी से विचार कर रही है. सरकार ने कानून और न्यायपालिका विभाग से इस मसले पर उनकी राय मांगी है. इस पर सरकार नें एडवोकेट जनरल से भी संपर्क किया है. हालांकि सरकार को इन दोनों जगहों से अपने समस्या का समाधान नहीं मिल पाया.
अखबार के अनुसार इस मसले पर 20 जनवरी को मुख्य सचिव सुमित मलिक की अध्यक्षता में बैठक हुई थी. एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, " कानून विभाग और एडवोकेट जनरल दोनों ने ही कहा कि कोर्ट का फैसला इस मामले में बिल्कुल स्पष्ट है. इन कर्मचारियों को बचाने का कोई रास्ता नहीं है." हालांकि मुख्य सचिव ने कहा कि हम सुप्रीम कोर्ट के फैसले को फॉलो करेंगे.
वहीं नागपुर से बीजेपी विधायक विकास कुंभारे सोमवार को मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडनवीस से मिलेंगे और उनसे सही आदिवासियों के खिलाफ किसी भी प्रकार का अन्याय नहीं करने की गुजारिश करेंगे.