मुंबई: किसी भी पार्टी की सरकार हो जनता के पैसे खुद पर खर्च करना उसे बखूबी आता है. ताजा उदाहरण है महाराष्ट्र की नई महाविकास गठबंधन की सरकार का. जिस महाराष्ट्र राज्य पर छह लाख करोड़ से ज्यादा का कर्ज है उस राज्यों के मंत्री अपने ऐशो-आराम के लिए करोड़ों रुपये खर्च कर रहे हैं.


31 सरकारी बंगलों की मरम्मत के लिए खर्च होंगे 15 करोड़


एबीपी न्यूज को मिली जानकारी के मुताबिक कुल 31 सरकारी बंगलों की मरम्मत के लिए 15 करोड़ खर्च होने जा रहे हैं. राज्य पीडब्ल्यूडी विभाग ने सरकारी बंगलों की मरम्मत करना भी शुरु कर दिया है वो भी सरकारी टेंडर मंजूर होने से पहले ही. यानी सरकारी बाबू अपने मंत्रियों को खुश करने के लिए नियमों को ताक पर रखकर जनता का पैसा उड़ा रहे हैं.


एबीपी न्यूज़ को मिली जानकारी के मुताबिक कुल 31 बंगलों पर 15 करोड़ रुपये खर्च होने हैं. मतलब एक बंगले पर 50 लाख से 1.5 करोड़ रुपये तक मरम्मत के लिए खर्च होंगे. इस सूची में सबसे उपर कांग्रेस के बालासाहेब थोराट का रॉयल स्टोन बंगला और एनसीपी के छगन भुजबल का रामटेक बंगला है.


इन बंगलों की होगी मरम्मत


रॉयल स्टोन पर 1 करोड़ 81 लाख तो रामटेक के लिए 1 करोड़ 48 लाख खर्च होने हैं. इनके अलावा मेघदूत एक करोड़ 30 लाख, सातपुड़ा पर एक करोड़ 33 लाख, शिवनेरी पर एक करोड़ 17 लाख, अग्रधुत पर एक करोड़ 22 लाख, ज्ञानेश्वरी पर एक करोड़ एक लाख, पर्णकुटी पर एक करोड़ 22 लाख और सेवासदन पर एक करोड़ पांच लाख रुपये खर्च होंगे. इसके अलावा विपक्ष के नेता राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के बंगले के लिए 92 लाख रुपये मंजूर किए गए हैं.


वहीं इस मामले पर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और मौजूदा पीडब्ल्यूडी मंत्री अशोक चव्हाण ने हैरान कर देने वाला बयान दिया है. उन्होंने कहा, "हम ये पैसे हमारी निजी संपत्ति पर खर्च नहीं कर रहे बल्कि सरकारी संपत्ति को ही अच्छा बना रहे हैं तो उसमें गलत क्या है."


बीजेपी ने सरकार को घेरा


इस मुद्दे को लेकर बीजेपी महाराष्ट्र सरकार की जमकर आलोचना कर रही है. विधान परिषद के विपक्ष के नेता प्रवीण दरेकर ने कहा "मुझे दिया गया सरकारी बंगला सरकार ने मुझ से लेकर अपने मंत्री को दिया. अब उस बंगले पर करोड़ों रुपये खर्च हो रहे हैं. इस सरकार को ना जनता की चिंता है ना ही जनता के पैसों की तभी खुलेआम अपने लिए ये रुपये खर्च किए जा रहे हैं."




फडणवीस सरकार में खर्च हुए थे 52 करोड़ रुपये


सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक 2014 में बनी देवेंद्र फडणवीस सरकार तो इस सरकार से भी एक कदम आगे थी. साल 2014 में सरकार ने करीब 22 करोड़ रुपये सरकारी बंगलों की मरम्मत पर खर्च किए थे. 14 अप्रैल 2016 को इसी विषय पर आई 'कैग' की रिपोर्ट में एक चौंकाने वाली बात सामने आई थी. राज्य के सरकारी बंगलों पर 5 साल में 10 गुना पैसे खर्च किए गए थे. पिछले पांच साल में पूरे 52 करोड़ रुपये खर्च होने की जानकारी कैग की रिपोर्ट के ज़रिए सामने आई थी.


इसी रिपोर्ट में ये कहा गया था कि अगर 40 साल पुराने बंगले गिराकर कर नए सिरे से बनाए जाते तो 37 करोड़ के बजट में सभी बंगले नए खड़े किए जा सकते थे. वहीं सिर्फ पिछले पांच साल में ही इनकी मरम्मत के लिए 52 करोड़ खर्च हुए यानि 15 करोड़ ज़्यादा और आगे भी ना जाने कितने खर्च होंगे. एक तरफ जहां सरकारी अस्पताल, स्कूल, पुलिसकर्मियों की इमारतें सभी जर्जर स्थिति में हैं. ऐसे में इस तरह मंत्रियों के बंगलों पर करोड़ों रुपये उड़ाना एक तरह से गलत कहा जाएगा.

अजीत पवार ने लौटाए थे रुपये

साल 2013 में भी इस विषय पर जमकर हंगामा भी हुआ था. उस समय के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने अपने देवगिरी बंगले की मरम्मत के 27 लाख रुपये खुद पीडब्ल्यूडी को दिए थे. क्या अजित पवार का आदर्श लेते हुए इस बार भी मंत्री ऐसा कोई कदम उठाएंगे या जनता के पैसों पर मंत्री मौज करेंगे. ये बड़ा सवाल है.


ये भी पढ़ें


मुंबई: NCB की छापेमारी से ड्रग्स रैकेट का खुलासा, देश सहित विदेश में भी गिरोह के तार

मुंबई: वन विभाग की टीम ने बंगले से बरामद किया हिरण, तस्करी गिरोह से तार जुड़ने का शक