महाराष्ट्र सरकार के गृह मंत्रालय ने बड़ा फैसला लेते हुए केंद्र सरकार के साथ 'जनरल कंसेंट' करार खत्म करने का आधिकरिक पत्र जारी किया है. महाराष्ट्र सरकार के यह करार खत्म होने के बाद अब सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन यानी सीबीआई को महाराष्ट्र में किसी भी केस की जांच के लिए महाराष्ट्र के गृह मंत्रालय की इजाज़त लेनी होगी.


इसके पहले सीबीआई को महाराष्ट्र में आकर बिना इजाज़त केस के जांच करने का अधिकार था

महाराष्ट्र के गृहमंत्री अनिल देशमुख ने कहा की, सीबीआई का उपयोग राजनैतिक भावना से प्रेरित होकर हो रहा ऐसी आशंका है. ऐसी सभी मे धारणा है कि सीबीआई का राजनैतिक फायदे के लिए दुरूपयोग होता है. अनिल देशमुख ने कहा कि पश्चिम बंगाल, सिक्किम, राजस्थान, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़ जैसे कई राज्यो ने भी इस तरह का कंसेंट खत्म किया है.

टीआरपी घोटाले की जांच मुम्बई पुलिस कर रही है. ऐसा ही मामला यूपी के लखनऊ में हुआ है. एक बार फिर टीआरपी केस को किसी कारण से सीबीआई को देने का प्रयास था. अब सीबीआई को राज्य सरकार इज़ाजत लेनी होगी. महाराष्ट्र पुलिस ने गैंगवार, अंडरवर्ल्ड खत्म किया, महाराष्ट्र पुलिस सक्षम है.

महाराष्ट्र सरकार के इस फैसले पर बीजेपी नेताओ ने एक सुर में विरोध किया. बीजेपी प्रवक्ता राम कदम ने कहा की, महाराष्ट्र सकरार का यह फैसला तुगलकी फैसला है. राज्य सरकार को अपने देश की जांच एजेंसी से किस बात का डर सता रही है. पालघर साधुओं की हत्याकांड में राज्य सरकार की लीपापोती साफ दिख रही है, क्या इसी प्रकार की सच्चाई दफनाने का यह प्रयास है?

सीबीआई आ गई तो घोटाले बाहर आ जाएंगे उनकी गुंडा गर्दी रुक जाएगी- बीजेपी

बीजेपी नेता किरिट सोमैया ने कहा की, 'सीबीआई को नो इंट्री. शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी को इतना डर लगता है कि अगर सीबीआई आ गई तो घोटाले बाहर आ जाएंगे. उनकी गुंडा गर्दी रुक जाएगी, कोई भी पत्रकार उनके खिलाफ बोलता है तो उसे जेल में भेज देते है. कोई एक्टिविस्ट बोलता है तो उनके गुंडे मारपीट करते है और इन सबको रोकने के लिए सीबीआई को नो इंट्री.'

कानून के जानकारों की माने तो इस फैसले से सीबीआई पर पाबंदी नही लग गई लेकीन उन्हे बिना इजाजत काम करनी की छूट दी गई थी, उसे हटा दिया है. वरिष्ठ वकील उज्वल निकम ने कहा की, कानुनी तौर पर हर राज्य मे सीबीआय को जांच शुरू करने से पहले अनुमती लेना अनिवार्य होता है. सुप्रीम कोर्ट ने पहले भी सीबीआई को बोलती तोता कहा था, तो साफ है की कही ना कही यह मामला राजनिती से जुड़ा हो सकता है. लेकीन इस तरह केंद्रीय जांच एजन्सी और राज्य सरकार के बीच बढ़ता मनमुटाव देश की सार्वभौमता के लिए सही नहीं है.

सरकार ने यह फैसला मजबूर होकर लिया है, देश के लिए अच्छा नहीं- पूर्व आईपीएस

पूर्व आईपीएस योगेश प्रताप सिंह का मानना है कि महाराष्ट्र सरकार का यह फैसला दुर्भाग्यपूर्ण पर सरकार ने यह फैसला मजबूर होकर लिया. देश के लिए यह अच्छा फैसला नही है.  ऐसे हालात में अगर इजाज़त लेकर भी सीबीआई जांच करती है तो जांच पर असर पड़ेगा. गौरतलब है कि बीते दिनों राज्य सरकार की जांच और सीबीआई की जांच के टकराव के कई विषय सामने आए हैं. अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की खुदकुशी मामला हो या टीआरपी घोटाले की जांच का मामला हो, महाराष्ट्र सरकार और सीबीआई में खींचतान नज़र आई है.

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