उच्चतम न्यायालय ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिया था कि कोरोना वायरस के मद्देनजर जेलो में से भीड़-भाड़ कम करने के वास्ते कैदियों को पेरोल पर छोड़ने पर विचार करने के लिए एक समिति गठित की जाए.
इसके बाद राज्य सरकार ने कहा था कि जिनकी सजा की अवधि सात साल से कम है, ऐसे करीब 11,000 कैदियों को अस्थायी रूप से रिहा किया जाएगा. कारावास विभाग के एक अधिकारी ने पीटीआई-भाषा से कहा कि लॉकडाउन से पहले राज्य की 60 जेलों में 35,000 से ज्यादा कैदी थे और हमने 7,200 से अधिक कैदियों को अस्थायी रूप से छोड़ दिया है ताकि जेलों में भीड़ कम हो जाए."
17,000 कैदियों को रिहा किया जाएगा
उन्होंने कहा कि करीब 17,000 कैदियों को अस्थायी जमानत या पेरोल पर रिहा किया जाएगा. उन्होंने बताया कि राज्य सरकार ने हाल ही में एक उच्चस्तरीय समिति नियुक्त की थी, जिसने राज्य की विभिन्न जेलों से 50 फीसदी कैदियों को रिहा करने का फैसला किया है और यह संख्या करीब 17,000 है.
मध्य मुंबई की आर्थर रोड जेल में 100 से ज्यादा कैदियों और स्टाफ के कोरोना वायरस से संक्रमित होने के बाद समिति का यह फैसला आया. उन्होंने बताया कि लॉकडाउन से पहले आर्थर रोड जेल में 2,300 कैदी थे जिनमें से करीब 700 को रिहा कर दिया गया है. अधिकारी ने बताया कि वहां अब 1572 कैदी हैं.
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