कोरोना संकट की सबसे ज्यादा मार झेलने वाले महाराष्ट्र में स्थिति भयावह बनी हुई है. कोरोना के चलते सबसे ज्यादा यहीं पर मौत हुई है. वहीं, दूसरी तरफ राज्य के उप-मुख्यमंत्री और वित्त मंत्री अजित पवार की सोशल मीडिया पर छवि चमकाने के लिए 6 करोड़ रुपये प्राइवेट कंपनी पर खर्च करने के फैसले पर किरकिरी के बाद महाराष्ट्र सरकार ने इसे वापस ले लिया है. मीडिया में खबर आने के बाद डीएमसी ऑफिस ने प्रेस नोट जारी कर यह फैसला लिया.
कोरोना काल में महाराष्ट्र सरकार के कई विभाग कंगाल
गौरतलब है कि महाराष्ट्र में कोरोना के चलते राज्य सरकार की तरफ से सख्त लॉकडाउन लगाया गया है. संक्रमण की रोकथाम के कई प्रयास किए जा रहे हैं. राज्य सरकार के मुताबिक, सरकारी खजाना खाली हो चुका है और कई मंत्रालय और उनके विभागों ने यहां तक कह दिया है कर्मचारियों को वेतन तक देने के लिए उनके विभाग के पास पैसे नहीं बचे हैं. ऐसे में महाराष्ट्र सरकार के इस फैसले की काफी आलोचना की जा रही थी.
क्या था महाराष्ट्र सरकार का आदेश?
दरअसल, आदेश में यह कहा गया था कि प्राइवेट एजेंसी अजित पवार के ट्विटर, फेसबुक, ब्लॉगर, यूट्यूब, इंस्टाग्राम और व्हाट्सएप जैसे सोशल मीडिया एकाउंट्स देखेगी. चौंकाने वाली बात यह है कि इस आर्डर कॉपी में साफ तौर पर लिखा है कि खुद महाराष्ट्र सरकार की संचार व जनसंपर्क विभाग ना काबिल है.
विपक्ष का महाराष्ट्र सरकार पर हमला
इस मुद्दे को लेकर बीजेपी प्रवक्ता राम कदम ने एबीपी न्यूज़ से बातचीत में कहा की, राज्य सरकार कहती है की वैक्सीन के लिए पैसे नही है वही अघाड़ी सरकार उपमुख्यमंत्री की पीठ थपथपाने के लिए यह पैसा खर्च करने जा रही है. गौरतलब है कि महाराष्ट्र सरकार के डीजीआईपीआर यानी संचार व जनसंपर्क विभाग के पास 1200 लोगों का स्टाफ है जिसका सालाना बजट लगभग डेढ़ सौ करोड़ रुपए का है. ऐसे में अजित पवार के लिए अलग से 6 करोड़ रुपए देकर सोशल मीडिया पर छवि चमकाने की बात हैरान करने वाली थी.
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