केंद्र, राज्य की साझेदारी में बने कर्ज माफी की योजना : महाराष्ट्र सरकार
नई दिल्ली : महाराष्ट्र सरकार ने केंद्र से किसानों के कर्ज माफी के लिए एक नयी योजना शुरु करने की अपील की है. इसमें केंद्र और राज्य सरकार दोनो की ही हिस्सेदारी होगी. महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस एक प्रतिनिधिमंडल के साथ वित्त मंत्री अरुण जेटली से मिलने पहुंचे. बैठक में कृषि व किसान कल्याण मंत्री राधामोहन सिंह भी मौजूद थे. बैठक के बाद फडणवीस का कहना था कि यदि राज्य सरकार कर्ज माफी के लिए खुद ही संसाधन जुटाती है तो उसके पास विकास कार्यों पर खर्च के लिए एक पैसा नहीं बचेगा. ऐसे में जरुरत है कि केंद्र सरकार कर्ज माफी के लिए नयी योजना तैयार करे जिसमें राज्य सरकार भी सहयोग करेगी. महाराष्ट्र में 1.08 करोड़ किसान है. इन्होंने खेती बाड़ी के विभिन्न बैंकों से करीब 64 हजार करोड़ रुपये का कर्ज ले रखा है. इसमें से करीब साढ़े 31 लाख किसानों का बैंकों पर करीब 30 हजार 500 करोड़ रुपये बकाया है. दूसरी ओर राज्य सरकार ने खेती बाड़ी और उससे जुड़े क्षेत्रों में 19 हजार 400 करोड़ रुपये से ज्यादा का निवेश किया है. यही नहीं, पैदावार बढ़ाने पर करीब साढ़े 11 हजार करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं. यही सब मिलाकर कुल निवेश 30 हजार करोड़ रुपये के ऊपर चला जाता है. फडणवीस का कहना है कि अगर कर्ज माफी पर ही साढ़े 31 हजार करोड़ रुपये खर्च कर दिया जाए तो फिर निवेश के लिए पैसे का इंतजाम कहां से होगा. राज्य सरकार का ये भी कहना है कि खेती बाड़ी के लिए बीमा सुविधा पर 2 हजार करोड़ रुपये और प्राकृतिक आपदा से प्रभावित किसानों को 8 हजार करोड़ रुपये का मुआवजा दिया गया है. राज्य में विपक्ष का कहना है कि यूपीए सरकार ने कर्ज माफी की योजना का ऐलान किया था जिससे किसानों का काफी फायदा हुआ. लेकिन मौजूदा बीजेपी सरकार का कहना है कि पिछली कांग्रेस-एनसीपी सरकार ने 7 हजार करोड़ रुपये की कर्ज माफी का ऐलान किया, उसके बावजूद किसानों की आत्महत्या में कोई कमी नहीं हुई. 2009 से लेकर अब तक 16 हजार किसान आत्महत्या कर चुके हैं. ऐसे में कर्ज माफी की स्वरुप पर नए सिरे से सोचे की जरुरत है. महाराष्ट्र सरकार की ये अपील ऐसे समय में आयी है जब उत्तर प्रदेश में प्रचंड बहुमत से जीती भाजपा राज्य में छोटे व सीमांत किसानों के लिए कर्ज माफी लाने की तैयारी में है. भाजपा आलकमान तो यहां तक कह चुका है कि नयी सरकार की पहली कैबिनेट बैठक में ही इस पर फैसला किया जाएगा. भाजपा ने अपने संकल्प पत्र में कर्ज माफी योजना लाने की बात कही थी. कर्ज माफी के मुद्दे पर गुरुवार को संसद में भी चर्चा हुई थी जिसमें विभिन्न राजनीतिक दलों का कहना था कि अगर उत्तर प्रदेश में कर्ज माफी की योजना लायी जा सकती है तो देश के बाकी हिस्सों में क्यों नहीं. उधर, केंद्र सरकार के उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि राज्य सरकार अपनी वित्तीय स्थिति को देखते हुए अपने स्तर पर कर्ज माफी की योजना ला सकती है. हालांकि सरकारी बैंक कर्ज माफी को लेकर उत्साहित नहीं है.