महाराष्ट्र सरकार का फैसला, आर्थिक तंगी झेल रहे प्रवासी मजदूरों का यात्रा खर्च उठाएगी सरकार
प्रवासी कामगारों को उनके गृह राज्य तक पहुंचाने के लिए केंद्र सरकार ने ट्रेन चलाने का फैसला किया था. हालांकि इसमें मजदूरों से किराया वसूलने पर विवाद हुआ था, जिसके बाद रेलवे को सफाई जारी करनी पड़ी थी.
महाराष्ट्र सरकार ने फैसला किया कि प्रदेश में फंसे ऐसे कामगार जो पैसों की कमी से जूझ रहे हैं लेकिन अपने गृह राज्य लौटना चाहते है, उनकी यात्रा का खर्च वह खुद वहन करेगी. रविवार को जारी एक सरकारी आदेश में कहा गया कि प्रवासी कामगारों को स्थानीय पुलिस और जिलाधिकारी के पास रजिस्ट्रेशन करवाना होगा और आवश्यक स्वास्थ्य जांच करवानी होगी.
यात्रा के नए नियमों पर खरे उतरने पर रेलवे को उनकी यात्रा के लिए आवश्यक राशि भेज दी जाएगी. देश के अन्य हिस्सों में फंसे महाराष्ट्र के लोगों को भी इसी प्रक्रिया का पालन करना होगा. केंद्र सरकार ने लॉकडाउन के तीसरे फेज की शुरुआत के साथ ही दूसरे राज्यों में फंसे प्रवासी मजदूरों, कामगारों और छात्रों को उनके गृह राज्य पहुंचाने के लिए विशेष ट्रेन चलाने का फैसला किया था.
किराया वसूलने पर हुआ था विवाद हालांकि इस दौरान रेलवे की ओर से मजदूरों को किराया वसूलने को लेकर केंद्र सरकार को आलोचना झेलनी पड़ी और इस पर जमकर विवाद हुआ. हालांकि बाद में आदेश में बदलाव किया गया और रेलवे ने भी सफाई जारी कर कहा था कि मजदूरों से कोई किराया नहीं लिया जा रहा और सिर्फ 15 फीसदी राशि राज्य सरकारों से वसूली जाएगी.
महाराष्ट्र सरकार से पहले दिल्ली सरकार ने भी हाल ही में किराया देने का फैसला किया था. दिल्ली सरकार ने बिहार जा रहे हजार से ज्यादा श्रमिकों का किराया खुद रेलवे को देने का ऐलान किया था.
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