महाराष्ट्र सरकार ने महाराष्ट्र स्टेट कॉपरेटिव बैंक (MSCB), मुंबई बैंक और नांदेड़ और उस्मानाबाद जिले के केंद्रीय सहकारी बैंक को लगभग 3 हजार करोड़ रुपये के भुगतान के लिए एक कार्य योजना का प्रस्ताव तैयार करने के लिए प्रमुख सचिव (वित्तीय सुधार) राजगोपाल देवड़ा के नेतृत्व में एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया है.
हाल ही में यह पाया गया कि 57 सहकारी चीनी मिलों ने इन बैंकों से लोन लिया था लेकिन लोन चुका नहीं पाए. राज्य सरकार लोन के लिए गारंटर बनी थी. नतीजतन, अब उसे कर्ज चुकाना होगा. इसके अलावा, सहकारी मिलों के खिलाफ बकाया लोन 800 करोड़ रुपये था. अब सरकार को यह राशि सहकारी बैंकों को भी देनी होगी.
जल्द रिपोर्ट पेश करेगी समिति
आयुक्त शेखर गायकवाड़, सहयोग आयुक्त अनिल कावड़े, एमएससीबी के अध्यक्ष विद्याधर अनस्कर, एमडी एआर देशमुख और संयुक्त निदेशक मंगेश टिटकरे 22 जुलाई को वित्त विभाग द्वारा गठित समिति के अन्य सदस्य हैं. समिति को एक रिपोर्ट पेश करने के लिए कहा गया है. कहा गया है कि तीन महीने के भीतर सरकार को लोन चुकाना होगा. एक अधिकारी ने कहा, "राज्य को इंट्रेस्ट के साथ लोन राशि का भुगतान करना होगा, जिनमें महाराष्ट्र स्टेट कॉपरेटिव बैंक को 2,500 करोड़ रुपये, मुंबई बैंक को 350 करोड़ रुपये और नांदेड़ और उस्मानाबाद जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों के लिए 150 करोड़ रुपये शामिल हैं."
साल 2011 में भी आई थी ऐसी स्थिति
यह पहली बार नहीं है जब ऐसी स्थिति पैदा हुई है. साल 2011 में भी महाराष्ट्र राज्य सहकारी बैंक ने 2,029 करोड़ रुपये की वसूली के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, जब सहकारी चीनी मिल लोन चुकाने में विफल रहे थे. तब भी राज्य गारंटर था. सुप्रीम कोर्ट ने 29 जून, 2019 को राज्य के महाराष्ट्र राज्य सहकारी बैंक को 1,049 करोड़ रुपये का भुगतान करने को कहा था.
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