Maharashtra MLC List Row: महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी (Maharashtra Governor Bhagat Singh Koshyari) ने सोमवार को उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) के नेतृत्व वाली महा विकास अघाड़ी (MVA) द्वारा प्रस्तावित विधान परिषद (MLC Seats) के नामांकन के लिए 12 नामों वाली लिस्ट को वापस लेने की अनुमति दे दी.


बता दें कि वर्तमान मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे (CM Eknath Shinde) ने पिछले महीने राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को एक चिट्ठी लिखकर पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे द्वारा विधान परिषद के रिक्त सीटों के लिए प्रस्तावित 12 नामों को रद्द करने का अनुरोध किया था. जिसके बाद, राज्यपाल ने सीएम शिंदे के अनुरोध को स्वीकार करते हुए आज इसे मंजूरी दे दी.


सीएम एकनाथ शिंदे ने राज्यपाल को पत्र लिखकर की मांग


हांलाकि, इससे पहले एमवीए सरकार और तत्कालीन विपक्षी बीजेपी के बीच जमकर घमासान भी हुआ. तत्कालीनी उद्धव ठाकरे सरकार के कई मंत्रियों और नेताओं ने राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी पर बीजेपी के इशारों पर नामों को वापस लेने का आरोप भी लगाया. बता दें कि एमवीए सरकार द्वारा प्रस्तावित नामों को राज्यपाल द्वारा विधान परिषद में नामित किए बिना दो  साल से अधिक समय तक रखा गया था.


एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली वर्तमान महाराष्ट्र सरकार ने राज्यपाल कोश्यारी को एक पत्र लिखकर पिछली सरकार द्वारा साल 2020 में भेजे गए एमएलसी नामांकन के लिए 12 नामों की लिस्ट को वापस लेने की मांग की गई. बता दें कि महाराष्ट्र की वर्तमान सरकार ने राजभवन को सूचित किया है कि वह जल्द ही एमएलसी नामांकन के लिए कए नई लिस्ट भेजेगी. 


राज्यपाल ने MVA सरकार की लिस्ट पर नहीं दिया कोई जवाब


बता दें कि महाराष्ट्र के पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे ने साल 2020 में राज्यपाल को विधान परिषद में नामांकन के लिए 12 प्रतिष्ठित व्यक्तियों की एक लिस्ट सौंपी थी. हांलाकि, राज्यपाल कोश्यारी ने न तो नामंकन खारिज किए और न ही स्वीकार किया. इस लिस्ट में शिवसेना नेता एवं एक्ट्रेस उर्मिला मातोंडकर, विजय शंकर, नितिन बांगुडे-पाटिल और चंद्रकांत रघुवंशी के नाम शामिल थे. इनके अलावा इस लिस्ट में किसान नेता राजू शेट्टी, पूर्व मंत्री एकनाथ खडसे, यशपाल भिंगे, एनसीपी नेता और लोक गायक आनंद शिंदे, कांग्रेस के रजनी पाटिल, सचिन सावंत, अनिरुद्ध वंकर और मुजफ्फर हुसैन के नामं शामिल थे. 


हांलाकि, जब इस मामले में राज्यपाल की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई तो इस संबंध में बॉम्बे हाईकोर्ट के समक्ष एक जनहित याचिका दायर की गई लेकिन अदालत ने राज्यपाल को कोई भी निर्देश देने इनकार कर दिया. एमवीएन नेताओं ने इस मुद्दे को पीएम मोदी के संज्ञान में भी लाया और आरोप लगाया कि राज्यपाल जानबूझकर एमएलसी की नियुक्ति नहीं कर रहे हैं.


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