Governor vs Thackeray Govt: जानें फिर क्यों भड़का राज्यपाल बनाम ठाकरे सरकार विवाद और राजभवन में वो फाइल जहां दबे हैं 12 नाम
Governor vs Thackeray Govt: ये देखा गया है कि जिन राज्यों में गैर-बीजेपी की सरकार है वहां से राज्यपाल और राज्य सरकार के बीच भिड़ंत की खबरें अक्सर आती हैं. महाराष्ट्र भी इससे अछूता नहीं है.
Governor vs Thackeray Govt: जिन राज्यों में गैर-बीजेपी पार्टियों की सरकारें हैं वहां से अक्सर राज्यपाल और सरकार के बीच भिड़ंत की खबरें आती रहती हैं. पश्चिम बंगाल में सीएम ममता बनर्जी और राज्यपाल के बीच घमासान, दिल्ली में भी अरविंद केजरीवाल सरकार और उपराज्यपाल के बीच खींचतान हो चुकी है. महाराष्ट्र की तीन पार्टियों की उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) सरकार इसका अपवाद नहीं है जिसका टकराव आये दिन राज्यपाल भगतसिंह कोश्यारी से होते रहता है. ताजा विवाद कोश्यारी के महाराष्ट्र के कुछ जिलों में दौरे को लेकर है जिसपर ठाकरे सरकार ने आपत्ति जताई है.
राज्यपाल कोश्यारी महाराष्ट्र में सत्ता के दो केंद्र बनाने की कोशिश कर रहे हैं और चुनी हुई सरकार के संवैधानिक अधिकारों का हनन कर रहे हैं, ये आरोप लगाया महाराष्ट्र सरकार के मंत्री नवाब मलिक ने लगाया है.
नवाब मलिक का राज्यपाल पर ये हमला कोश्यारी और ठाकरे सरकार के बीच चल रही उस तनातनी की ताजा कड़ी है जो बीते डेढ़ साल से चल रही है. दरअसल कोश्यारी ने आनेवाली 5, 6 और 7 तारीख को राज्य के हिंगोली और नांदेड जिले का दौरा रखा है. इस दौरान वे नांदेड में अल्पसंख्यक विभाग के एक हॉस्टल का उद्घाटन करेंगे और जिलाधिकारियों की बैठक बुलाकर रिव्यू करेंगे. इस दौरे के लिये राज्यपाल की ओर से सीधे अल्पसंख्यक विभाग के सचिव और जिलाधिकारियों से संपर्क किया गया था.
जब इसकी जानकारी सीएम उद्धव ठाकरे और उपमुख्यमंत्री अजित पवार को मिली तो वे खफा हो गये. कैबिनेट की बैठक में राज्यपाल के इस व्यवहार पर चर्चा हुई, जिसके बाद मंत्री नवाब मलिक ने मीडिया के सामने आकर राज्यपाल कोश्यारी को कोसा. ये तय किया गया कि सरकार की ओर से नाराजगी का संदेश लेकर मुख्य सचिव को राज्यपाल के पास भेजा जायेगा.
इससे पहले राज्यपाल पिछले हफ्ते कोंकण के बाढ़ प्रभावित महाड और चिपलून का दौरा कर चुके हैं. उन्होंने ये दौरा शरद पवार के उस बयान को अनसुना करके किया कि राजनेताओं को बाढ़ प्रभावित इलाकों में जाने से बचना चाहिये, इससे राहत के काम में जुटे प्रशासन को दिक्कत होती है.
महाराष्ट्र की ठाकरे सरकार जबसे आयी है तबसे ही उसका राज्यपाल कोश्यारी के साथ छत्तीस का आंकड़ा रहा है. सत्ताधारी तीनों दल यानी शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी सरकार बनने से पहले ही राज्यपाल के आचरण से खफा थे.
जिस तरह नंवबर 2019 की एक सुबह राज्यपाल ने अचनाक राष्ट्रपति शासन हटाकर देवेंद्र फडणवीस को सीएम और अजित पवार को उपमुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई थी, उसे ये तीनों दल अब तक भूले नहीं हैं. शिवसेना सांसद संजय राऊत ‘सामना’ में आये दिन कोश्यारी के खिलाफ अपनी कलम चलाते रहते हैं.
ठाकरे सरकार का कोश्यारी पर गुस्सा 12 लोगों की उस लिस्ट को लेकर भी है जो राजभवन की फाइलों में कहीं दबी पड़ी है. ये लिस्ट विधानपरिषद के लिये राज्यपाल की ओर से मनोनीत किये जाने वाले नामों की है.
चलन के मुताबिक सरकार की ओर से नाम मिलने के बाद राज्यपाल उन्हें मनोनीत करते हैं. तीनों ही पार्टियों ने अपनी ओर से 4-4 नाम राज्यपाल के पास भेज दिये. लेकिन राज्यपाल उनपर कोई फैसला ही नहीं ले रहे. बार बार सरकार की ओर से याद दिलाये जाने के बाद भी उनकी ओर से हरकत नहीं हो रही जिससे सरकार की खींझ और बढ़ गई है. उम्मीदवारों की लिस्ट में शिवसेना की ओर से अभिनेत्री उर्मिला मातोंडकर का भी नाम है लेकिन उनका विधायक बनने का नंबर ही नहीं लग पा रहा.
राज्यपाल कोश्यारी की ओर से भी सरकार को घरेन की कोशिश होती रहती है. हाल ही में महाराष्ट्र विधिमंडल का दो दिवसीय मानसून सत्र आयोजित हुआ. कोश्यारी ने सत्र शुरू होने से पहले मुख्यमंत्री ठाकरे को खत लिखकर सत्र और लंबा रखने की सलाह दी और साथ ही कहा कि विधानसभा स्पीकर पद जो कि बीते दो सत्रों से खाली पड़ा है, उसके चुनाव कराए जायें लेकिन ठाकरे सरकार ने उनकी दोनों सलाहों को अनसुना कर दिया.
केंद्र और राज्य में जब अलग अलग पार्टियों की सरकारें हों तो अक्सर राज्यपाल का राज्य सरकारों से टकराव होता है. इसके पीछे कारण ये है कि राज्यपाल केंद्र सरकार की मर्जी के नियुक्त होते हैं और अक्सर उनका व्यवहार ऐसा होता है जो केंद्र की नीतियों के अनुकूल हों.
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