मुंबई: महाराष्ट्र में शुक्रवार की रात तक ये तय माना जा रहा था कि राज्य में शिवसेना-एनसीपी और कांग्रेस की सरकार बनने जा रही है. कल पहली बार उद्धव ठाकरे ने कांग्रेस के साथ बैठक की थी. बैठक में तीनों दलों के विधायकों ने एकमत से उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री पद के लिए चुना. सभी इस बात को लेकर आश्वस्त थे कि सूबे में एक महीने तक चले सियासी ड्रामे का अंत हो रहा है. शनिवार की सुबह आई अखबारों की हेडलाइन्स भी इसी की तस्दीक कर रहे थे. लेकिन अचानक सब कुछ बदल गया.


शरद पवार के परिवार में फूट पड़ गई. उनके भतीजे अजित पवार बागी हो गए और बीजेपी को समर्थन दे दिया. फिर क्या था सुबह पांच बजकर 47 मिनट पर सूबे से राष्ट्रपति शासन हटा दिया गया. करीब साढ़े सात बजे राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री और अजित पवार को उपमुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई. इस आश्चर्यजनक उलटफेर की खबर से सभी भौंचक रह गए. 10 प्वाइंट्स में पढ़ें दिनभर का सियासी घटनाक्रम-


1. सुप्रीम कोर्ट पहुंचा मामला: देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार को शपथ दिलाए जाने के राज्यपाल के फैसले को कांग्रेस-शिवसेना और एनसीपी ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी. तीनों दलों की याचिका पर रविवार को सुनवाई होगी. विशेष बेंच इस मामले की सुनवाई सुबह 11:30 बजे करेगी. याचिका में आरोप लगाया कि राज्यपाल ने ‘भेदभावपूर्ण व्यवहार’ किया और ‘‘बीजेपी द्वारा सत्ता पर कब्जा किए जाने में उन्होंने खुद को मोहरा बनने दिया.’’


2. अजित पवार पर कार्रवाई: बीजेपी के साथ हाथ मिलाने के बाद एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने अजित पवार पर विश्वासघात का आरोप लगाया और विधायक दल की बैठक बुलाई. इस बैठक में अजित पवार को विधायक दल के नेता पद से बर्खास्त कर दिया गया. उनकी जगह एनसीपी के प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटिल को अंतरिम नेता चुना गया है. अजित पवार को चुनाव नतीजों के बाद विधायक दल का नेता चुना गया था.


3. अब एनसीपी के साथ कितने विधायक?: शरद पवार के साथ 42 विधायक हैं. अभी तक के जो नंबर सामने आए हैं, उसके मुताबिक 42 विधायक बैठक में शामिल थे. एनसीपी का दावा है कि सात विधायक उनके संपर्क में हैं. अजित पवार को मिलाकर पांच विधायक अब भी बागी हैं. यहां ध्यान रहे कि सुबह शपथ ग्रहण के दौरान अजित पवार के साथ कम से कम 12 विधायक थे. लेकिन शाम होते होते सात विधायक शरद पवार की तरफ से बुलाए गए मीटिंग में पहुंचे और उन्हें अपना समर्थन जताया.


4. विधायकों को होटल में शिफ्ट करना शुरू: कांग्रेस-एनसीपी और शिवसेना ने अपने-अपने विधायकों को होटल में शिफ्ट कर दिया है. तीनों दलों का कहना है कि बीजेपी हॉर्स ट्रेडिंग की कोशिश कर रही है. कांग्रेस अपने विधायकों को जयपुर भेज रही है. जबकि एनसीपी और शिवसेना दोनों ने अपने विधायकों को मुंबई के ही होटलों में रखा है. यहां ध्यान रहे कि जब महाराष्ट्र में चुनाव नतीजों को घोषणा हुई थी तो एनसीपी ने अपने विधायकों को होटल में नहीं रखा था. जबकि शिवसेना और एनसीपी दोनों ने अपने विधायकों को होटल में भेज दिया था.


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5. विपक्ष का अटैक: कांग्रेस ने पूरे घटनाक्रम पर कहा कि बीजेपी और अजीत पवार ने 'दुर्योधन और शकुनि' की तरह जनादेश का ‘‘चीरहरण’’ किया है. पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने यह भी कहा कि 23 नवंबर के दिन महाराष्ट्र और देश के लोकतांत्रिक इतिहास में एक काले अध्याय के तौर पर दर्ज होगा, जब संविधान को पाँव तले रौंद दिया गया. शिवसेना, एनसीपी और अन्य विपक्षी दलों ने संविधान की धज्जियां उड़ाने का आरोप लगाया. पार्टी ने पूछा कि राज्यपाल ने राष्ट्रपति शासन हटाने की अनुशंसा कब की? कैबिनेट की बैठक कब हुई और इसमें कौन कौन शामिल थे? राष्ट्रपति शासन हटाने की अनुशंसा कितने बजे की गयी ? राष्ट्रपति ने अनुशंसा कितने बजे स्वीकार की?


6. राष्ट्रपति शासन कैसे हटा? गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि भारत सरकार के (कार्य संचालन) नियमों के एक विशेष प्रावधान का इस्तेमाल करते हुए केंद्र सरकार ने महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन हटाने के लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी दी. इस नियम के तहत प्रधानमंत्री के पास विशेष अधिकार होते हैं. आमतौर पर राष्ट्रपति शासन हटाने के लिए, राष्ट्रपति को केंद्रीय मंत्रिमंडल की सिफारिश की आवश्यकता होती है. चूंकि, केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक नहीं हुई इसलिए केंद्र सरकार ने भारत सरकार के (कार्य संचालन) नियमों (12) को लागू किया.


7. पीएम मोदी ने क्या कहा? राष्ट्रपति शासन हटने के बाद राज्यपाल ने देवेंद्र फडणवीस को सीएम और अजित पवार को डिप्टी सीएम पद की शपथ दिलाई. फडणवीस के दोबारा मुख्यमंत्री बनने के बाद प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री अमित शाह ने बधाई दी. पीएम ने कहा, ‘‘महाराष्ट्र के देवेंद्र फड़णवीस और अजित पवार को क्रमश: मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री के तौर पर शपथ लेने के लिए बधाई. मुझे भरोसा है कि वे महाराष्ट्र के उज्ज्वल भविष्य के लिए कड़ी मेहनत से काम करेंगे.’’ वहीं कांग्रेस समते अन्य विपक्षी दलों ने राज्यपाल के फैसले की कड़ी आलोचना की है.


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8. शरद पवार ने बनाई दूरी: शपथ ग्रहण समारोह के ठीक बाद शरद पवार ने ट्वीट कर अजित पवार के कदम से दूरी बना ली और कहा कि फडणवीस का समर्थन करना उनका निजी फैसला है न कि पार्टी का. इसके बाद दोपहर 12 बजे वाईबी चव्हाण सेंटर में कांग्रेस-एनसीपी और शिवसेना की बैठक हुई. इस बैठक में कांग्रेस के अहमद पटेल, शरद पवार और उद्धव ठाकरे मौजूद रहे. बैठक के बाद शरद पवार और उद्धव ठाकरे ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर एक बार फिर कहा कि महाराष्ट्र में विकास आघाड़ी (कांग्रेस-एनसीपी-शिवसेना) की सरकार बनेगी. उन्होंने दावा किया कि बीजेपी नीत नई सरकार विधानसभा में बहुमत साबित नहीं कर पाएगी. शरद पवार ने कहा कि जिन विधायकों ने दल-बदल किया है उनकी विधानसभा की सदस्यता छिन जाएगी और जब उपचुनाव होंगे, तब कांग्रेस-एनसीपी-शिवसेना गठबंधन उनकी हार सुनिश्चित करेंगे. शरद ने कहा कि उन्हें नहीं पता कि क्या उनके भतीजे ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के डर से बीजेपी का समर्थन करने का फैसला लिया.


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9. शरद पवार का विश्वास: इस प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद उद्धव ठाकरे अपने विधायकों के बीच पहुंचे. उन्होंने विधायकों से पूछा कि आप डरे हैं? विधायकों ने कहा कि बिल्कुल नहीं डरे हैं. उन्होंने कहा कि सभी शांत रहें हमारा सपना पूरा होगा. कांग्रेस-एनसीपी हमारे साथ है. हालात बदले लेकिन असर नहीं पड़ेगा. वहीं शरद पवार ने विधायकों की बैठक में कहा कि दहशत में न आएं, ऐसे कई हालात हमने संभाले हैं. वहीं अहमद पटेल ने अपने विधायकों के साथ बैठक में कहा कि मोदी-शाह से हमारी लड़ाई है. सभी एकजुट रहें.


10. क्या है सीटों का गणित?: महाराष्ट्र में 21 अक्टूबर को चुनाव हुए थे और 24 अक्टूबर को वोटों की गिनती. इस चुनाव में बीजेपी और शिवसेना गठबंधन कर उतरी थी. 288 सदस्यीय सदन में बीजेपी ने 105 और शिवसेना ने 56 सीटों पर जीत दर्ज की थी जो बहुमत से अधिक था. शिवसेना ने मुख्यमंत्री पद की मांग कर डाली. बीजेपी इसपर राजी नहीं हुई और 30 साल पुराना गठबंधन टूट गया. कांग्रेस-एनसीपी ने भी चुनाव पूर्व गठबंधन किया था. कांग्रेस ने 44 और एनसीपी ने 54 सीटों पर जीत दर्ज की थी. बीजेपी का दावा है कि उसके पास 170 विधायकों का समर्थन है. बीजेपी को 30 नवंबर को विधानसभा में बहुमत साबित करना है.