महाराष्ट्र: सरकार बनाने से पहले इन प्रमुख मुद्दों पर शिवसेना से स्पष्टता चाहती है कांग्रेस
शिवसेना महाराष्ट्र में कांग्रेस और एनसीपी के साथ सरकार बनाना चाहती है. तीनों पार्टियां फिलहाल सरकार गठन के लिए कॉमन मिनिमम प्रोग्राम पर चर्चा कर रही हैं.
मुंबई: महाराष्ट्र में कांग्रेस, शिवसेना और एनसीपी के पास इतने आंकड़े मौजूद हैं कि वो आसानी से सरकार गठित कर सकती है. तीनों पार्टियों के पास 154 का आंकड़ा है फिर भी राज्य में सरकार बनाने में देरी हो रही है. तीनों पार्टियां बैठक पर बैठक कर रही हैं. सवाल उठता है कि ऐसा क्यों हो रहा है?
दरअसल, कांग्रेस समान नागरिक संहिता, उग्र राष्ट्रवाद और मराठी मानुष जैसे कुछ जटिल मुद्दों पर उद्धव ठाकरे की पार्टी के रुख को लेकर स्पष्टता चाहती है. कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता के मुताबिक, सरकार गठन को लेकर साझा न्यूनतम कार्यक्रम तैयार करने के साथ उन मुद्दों को लेकर भी कोई न कोई रास्ता निकाला जाएगा जो कांग्रेस की विचारधारा से पूरी तरह मेल नहीं खाते हैं.
कांग्रेस के नेताओं का यह भी कहना है कि वे सरकार बनाने के लिए किसी जल्दबाजी में नहीं हैं और राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में अपने सियासी समीकरणों को ध्यान में रखकर ही फूंक-फूंकर कदम उठा रही है.
सरकार गठन की कवायद में विलंब से जुड़े आरोप पर कांग्रेस के एक नेता ने कहा, ‘‘अगर किसी तरह का कोई विलंब हुआ है तो उसके लिए कांग्रेस जिम्मेदार नहीं है. शिवेसना की ओर से समर्थन का प्रस्ताव सोमवार दोपहर आया. इसके कुछ घंटे में ही समर्थन का फैसला कर लेना कैसे संभव है जब दोनों पार्टियों में विचारधारा के स्तर पर काफी विषमता है.’’
उन्होंने कहा, ‘‘अब कांग्रेस ने शिवसेना के साथ सरकार बनाने के लिए कदम बढ़ा लिया है, लेकिन हम किसी जल्दबाजी में नहीं है. साझा न्यूनतम कार्यक्रम बनेगा तथा कुछ जटिल मुद्दों जैसे समान नागरिक संहिता, उग्र राष्ट्रवाद और मराठी मानुष जैसे मुद्दों पर स्पष्टता भी चाहेंगे. उम्मीद है कि अगले कुछ दिनों में सरकार गठन का मार्ग पूरी तरह प्रश्स्त हो जाएगा.’’
उधर, कांग्रेस महासचिव अविनाश पांडे ने बुधवार को मुंबई में कहा कि कांग्रेस न्यूनतम साझा कार्यक्रम के आधार पर तथा अपने मूल सिद्धांतों व मूल्यों को बनाए रखते हुए महाराष्ट्र में शिवसेना व एनसीपी के साथ सरकार बनाने में अपनी मुख्य भूमिका निभाएगी.
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गौरतलब है कि शिवसेना देश में समान नागरिक संहिता की मुखर समर्थक रही है, जबकि कांग्रेस का रुख इसके विपरीत रहा है. शिवसेना उग्र राष्ट्रवाद एवं प्रखर हिंदुत्वादी रुख के लिए जानी जाती है तो कांग्रेस हमेशा से सभी धर्मों एवं वर्गों को साथ लेकर चलने की बात करती आई है. शिवसेना महाराष्ट्र में मराठी अस्मिता की बड़ी पैरोकार मानी जाती है तो कांग्रेस देश के सभी हिस्सों को समान दृष्टि से देखने की बात करती रही है.
विचारधारा के स्तर पर इस विषमता के बारे में पूछे जाने पर महाराष्ट्र कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘‘अयोध्या के मामले को लेकर दोनों पार्टियों के रुख में अंतर था, लेकिन अब न्यायालय ने राम मंदिर का रास्ता साफ कर दिया. ऐसे में यह मुद्दा खत्म है. कुछ दूसरे मुद्दे हैं जिन पर अपनी विचारधारा से समझौता किए बिना हम रास्ता निकाल लेंगे.’’
कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी ने शिवसेना के साथ सरकार गठन के लिए साझा न्यूनतम कार्यक्रम तय करने के मकसद से एक संयुक्त समिति भी बनाई है जिसमें राज्य के दोनों पार्टियों के वरिष्ठ नेता शामिल हैं.
दरअसल, कांग्रेस नेताओं अहमद पटेल, के सी वेणुगोपाल और मल्लिकार्जुन खड़गे की एनसीपी प्रमुख शरद पवार के साथ बैठक हुई थी जिसमें शिवसेना के साथ सरकार गठन के लिए ‘न्यूनतम साझा कार्यक्रम’ (सीएमपी) तैयार करने पर सहमति बनी थी. बाद में उद्धव ठाकरे और अहमद पटेल की मुलाकात भी हुई. इस बीच, पिछले कुछ दिनों से राजस्थान के एक रिजॉर्ट में ठहरे कांग्रेस के सभी 44 विधायक महाराष्ट्र पहुंच गए हैं.