जानिए- महाराष्ट्र की राजनीति में हलचल मचाने वाले अजित पवार कौन हैं?
1991 से लेकर अब तक अजित पवार बारामती सीट से 7 बार विधायक चुने गए. महाराष्ट्र की राजनीति में जिस तरह बदलाव हो रहा है देखना ये होगा कि अब अजित पवार अपना अगला दांव कौन सा खेलेंगे?
नई दिल्ली: अजित पवार वो शख्स हैं जिन्होंने रातों रात महाराष्ट्र की राजनीति में नई सरकार बनवा दी. कहा जा रहा है अजित पवार ने राजनीति में वही दांव खेला है जो उनके चाचा और गुरू शरद पवार खेलते आए हैं. अपने चाचा शरद पवार के नक्शेकदम पर ही अजित पवार ने राजनीति में एंट्री की थी. एनसीपी बनने के समय से अब तक अजित पवार शरद पवार के ही साथ थे.
अजित पवार शरद पवार के बड़े भाई अनंतराव पवार के बेटे हैं. अजित पवार ने 1982 में राजनीति में प्रवेश किया. उन्होंने शुरूआत कॉपरेटिव राजनीति से की. उस समय उनकी महज 20 साल की उम्र थी. उन्होंने एक चीनी सहकारी संस्था के लिए चुनाव लड़ा और बाद में पुणे जिला सहकारी बैंक के अध्यक्ष बने.
बारामती वो सीट है जिससे शरद पवार ने राजनीति की शुरूआत की. 1967 से लेकर 1990 तक इस सीट से शरद पवार जीतते रहे. 1991 से लेकर अब तक अजित पवार बारामती सीट से 7 बार विधायक चुने गए. 1991 में अजित पवार बारामती सीट से लोकसभा सांसद भी चुने गए लेकिन उपचुनावों में इस सीट को उन्होंने शरद पवार के लिए खाली कर दिया. अजित पहली बार 1992 में महाराष्ट्र सरकार में मंत्री बने. शरद पवार ने जब केंद्र की राजनीति में कदम बढ़ाए तो अजित पवार ने महाराष्ट्र की राजनीति में अपने पांव जमाने शुरू कर दिए. साल 2010 में जब एनसीपी-कांग्रेस ने मिलकर सरकार बनाई तो अजित पवार पहली बार उपमुख्यमंत्री बने. सितंबर 2012 में पृथ्वीराज चव्हाण सरकार में घोटाले के आरोप के बाद अजित पवार ने इस्तीफा दे दिया. इस इस्तीफे से चव्हाण सरकार खतरे में आ गई. तब शरद पवार को दखल देकर सरकार को बचाना पड़ा था.
अजित पवार का विवादों से भी नाता रहा है. उनका नाम महाराष्ट्र में 1500 करोड़ रुपये के सिंचाई घोटाले से भी जुड़ा और वे इस मामले में आरोपी हैं. साल 2013 में सूखे को लेकर 55 दिनों तक उपवास करने वाले किसान पर उन्होंने विवादित टिप्पणी की थी. बाद में उन्हें इसके लिए माफी भी मांगनी पड़ी थी. साल 2014 में ग्रामीणों को वोट के लिए धमकाने के लिए उन्हें दो दिन चुनाव प्रचार से रोका गया था.
महाराष्ट्र में एनसीपी पार्टी और विधायकों पर उनका जबरदस्त असर रहा है. इलाके में किसानों का मुद्दा वो लगातार उठाते रहे हैं. अब किसानों के नाम पर ही वो सरकार में शामिल हो गए. लेकिन महाराष्ट्र की राजनीति में जिस तरह बदलाव हो रहा है देखना ये होगा कि अब अजित पवार अपना अगला दांव कौन सा खेलेंगे?
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