मुंबई: महाराष्ट्र, राष्ट्रपति शासन की ओर बढ़ता नजर आ रहा है. कांग्रेस का कन्फ्यूजन शिवसेना की राह का रोड़ा बनता दिख रहा है. शिवसेना नेताओं के साथ आदित्य ठाकरे, राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से मिलने के लिए राजभवन पहुंचे थे और दो दिन का वक्त मांगा था. लेकिन राज्यपाल ने और वक्त देने से इंकार कर दिया है. वहीं दूसरी ओर कांग्रेस ने भी बयान जारी कर कहा है कि वो अभी एनसीपी से बात कर रही है. हालांकि इससे पहले खबर थी कि एनसीपी और कांग्रेस का समर्थन शिवसेना को मिल गया है. तो इस बेहद कन्फ्यूजन वाला हालात में सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगेगा?
शिवसेना को कांग्रेस-एनसीपी के समर्थन वाले पत्र अब तक नहीं मिले है- भाजपा सूत्र
महाराष्ट्र में अगली सरकार बनाने के लिए दावा पेश करने के वास्ते कांग्रेस और एनसीपी के समर्थन वाले पत्र अभी तक शिवसेना को नहीं मिले हैं. भाजपा के सूत्रों ने सोमवार की शाम यह दावा किया. राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने शिवसेना को "सरकार बनाने की अपनी इच्छाशक्ति जताने के लिए" सोमवार की शाम साढ़े सात बजे तक का समय दिया था.
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सूत्रों ने बताया कि उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली पार्टी इस समय सीमा तक ऐसा करने में विफल रही है. सूत्रों ने बताया कि शिवसेना के नेताओं आदित्य ठाकरे, एकनाथ शिंदे और अन्य ने शाम साढ़े सात बजे से पहले राज्यपाल से मुलाकात की. हालांकि उनके पास सरकार बनाने के लिए कांग्रेस और एनसीपी के समर्थन वाले पत्र नहीं थे.
शिंदे को शिवसेना के विधायक दल के नेता के रूप में चुना गया है. पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे के पुत्र आदित्य ठाकरे पिछले महीने हुए विधानसभा चुनावों में मध्य मुंबई की वर्ली सीट से निर्वाचित हुए हैं.
महाराष्ट्र में 288 सदस्यीय सदन में शिवसेना की 56 सीटें है और उसे राज्य में सरकार बनाने के लिए एनसीपी (54 सीट) और कांग्रेस (44 सीट) के समर्थन की जरूरत है. बहुमत का आंकड़ा 145 है.