'चिट्ठी बम' के बाद हरकत में महाराष्ट्र सरकार, HC के पूर्व जज की निगरानी में कमेटी बनाने पर विचार- सूत्र
जानकारी के मुताबिक महाविकास अघाड़ी के तीनो दलों के नेता एकजुट होकर स्थिति का मुकाबला करने पर एकमत हुए है. अघाड़ी सरकार के सूत्रों ने यह भी संकेत दिया कि अब गृह मंत्री अनिल देशमुख अपने पद से नहीं हटेंगे.
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मुंबई: मुंबई पुलिस के पूर्व कमिश्नर परमबीर सिंह के लेटर बम के बाद अब महाराष्ट्र सरकार हरकत में आई है. सूत्रों के मुताबिक राज्य सरकार परमबीर द्वारा लगाए गए आरोपों की जांच करने के लिए एक जांच समिति का गठन करने का विचार कर रही है. राज्य सरकार इस समिति पर हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की नियुक्ति करने की संभावना पर विचार कर रही है.
इसके साथ ही आने वाले कुछ दिनों में उद्धव ठाकरे महाविकास अघाड़ी सरकार की समन्वय समिति की संभावित बैठक बुला रहे हैं. बैठक में इस स्थिति से निपटने के विकल्पों पर चर्चा की जा सकती है. आने वाले शुक्रवार को परमबीर की याचिका सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के लिए आ सकती है.
जानकारी के मुताबिक महाविकास अघाड़ी के तीनो दलों के नेता एकजुट होकर स्थिति का मुकाबला करने पर एकमत हुए है. अघाड़ी सरकार के सूत्रों ने यह भी संकेत दिया कि अब गृह मंत्री अनिल देशमुख अपने पद से नहीं हटेंगे.
देशमुख से छीना जा सकता है गृह मंत्रालय- सूत्र अप्रैल के पहले हफ्ते में महाराष्ट्र में मंत्रीमंडल का विस्तार हो सकता है. इस विस्तार में अनिल देशमुख से गृहमंत्रालय वापस लिया जा सकता है. इसके साथ ही कांग्रेस के कुछ अन्य विधायकों को मंत्री में शामिल कराया जा सकता है. परमबीर सिंह की चिट्ठी के बाद उद्धव सरकार और खासकर एनसीपी पर देशमुख को गृहमंत्रालय से हटाने का दबाव बढ़ता जा रहा है.
देशमुख पर लगे हैं वाजे के जरिए 100 करोड़ की वसूली के आरोप आरोप और प्रत्यारोप की इस लड़ाई में मुंबई के पूर्व कमिश्नर परमबीर सिंह के आरोप उद्धव सरकार के खिलाफ दिख रहे हैं. परमबीर का आरोप है कि देशमुख और वाजे फरवरी के मध्य में मिले थे. मध्य मतलब 15 फरवरी जब देशमुख डिस्चार्ज हो चुके थे. परमबीर का दावा है कि एक मुलाकात फरवरी के आखिर में भी हुई थी. मतलब जब देशमुख के होम आइसोलेशन की मियाद खत्म होती है. परमबीर सिंह के लेटर बम के बाद धमाके ने महाराष्ट्र की सियासत को हिला कर रख दिया है.
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