महाराष्ट्र में पतंजलि के 'कोरोनिल' को नहीं मिलेगी बिक्री की इजाजत, गृहमंत्री अनिल देशमुख ने बताई ये वजह
महाराष्ट्र के गृहमंत्री ने कहा कि कोरोनिल को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने सवाल उठाए हैं. ऐसे में डब्ल्यूएचओ और आईएमए से बिना उचित प्रमाणीकरण के कोरोनिल को महाराष्ट्र में बिक्री की इजाजत नहीं दी जाएगी.
मुंबई: महाराष्ट्र के गृहमंत्री अनिल देशमुख ने कहा है कि पतंजलि की कोरोनिल दवा की बिक्री को महाराष्ट्र में विश्व स्वास्थ्य संगठन और आईएमए से उचित प्रमाणीकरण के बिना अनुमति नहीं दी जाएगी. देशमुख ने ट्वीट करते हुए ये बात कही है. राज्य के गृहमंत्री की प्रतिक्रिया एसे समय में आई है जब इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने कोरोनिल टैबलेट पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन से स्पष्टीकरण की मांग की है.
अनिल देशमुख ने अपने दूसरे ट्वीट में कहा, "कोरोनिल के तथाकथित परीक्षण पर आईएमए ने सवाल उठाए हैं और डब्ल्यूएचओ ने कोविड के उपचार के लिए पतंजलि आयुर्वेद को किसी भी प्रकार कि स्वीकृति देने से इंकार किया है. ऐसे में जल्दीबाज़ी में किसी भी दवा को उपलब्ध करवाना और दो वरिष्ठ केंद्रीय मंत्रियो द्वारा सराहना उचित नहीं."
क्या है पूरा मामला?
पतजंलि की कोरोनिल टैबलेट को विश्व स्वास्थ्य संगठन से प्रमाण पत्र मिलने की बात को इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने सोमवार को सरासर झूठ करार देते हुए आश्चर्य प्रकट किया और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्ष वर्धन से इस बाबत स्पष्टीकरण की मांग की. पतंजलि का दावा है कि कोरोनिल दवा कोविड-19 को ठीक कर सकती है और साक्ष्यों के आधार पर इसकी पुष्टि की गई है.
डब्ल्यूएचओ ने स्पष्ट किया है कि उसने किसी भी पारंपरिक औषधि को कोविड-19 के उपचार के तौर पर प्रमाणित नहीं किया है. योग गुरु रामदेव के पतंजलि आयुर्वेद ने 19 फरवरी को कहा था कि डब्ल्यूएचओ की प्रमाणन योजना के तहत कोरोनिल टेबलेट को आयुष मंत्रालय की ओर से कोविड-19 के उपचार में सहायक औषधि के तौर पर प्रमाण पत्र मिला है.
हालांकि, पतंजलि के प्रबंध निदेशक आचार्य बालकृष्ण ने बाद में ट्वीट कर सफाई दी थी और कहा था, “हम यह साफ कर देना चाहते हैं कि कोरोनिल के लिए हमारा डब्ल्यूएचओ जीएममी अनुपालन वाला सीओपीपी प्रमाण पत्र डीजीसीआई, भारत सरकार की ओर से जारी किया गया. यह स्पष्ट है कि डब्ल्यूएचओ किसी दवा को मंजूरी नहीं देता. डब्ल्यूएचओ विश्व में सभी के लिए बेहतर भविष्य बनाने के वास्ते काम करता है.”
सोमवार को आईएमए की ओर से जारी एक बयान में कहा गया, “देश का स्वास्थ्य मंत्री होने के नाते, पूरे देश के लोगों के लिए झूठ पर आधारित अवैज्ञानिक उत्पाद को जारी करना कितना न्यायसंगत है. क्या आप इस कोरोना रोधी उत्पाद के तथाकथित क्लिनिकल ट्रायल की समयसीमा बता सकते हैं?”
आईएमए ने कहा, “देश मंत्री से स्पष्टीकरण चाहता है. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन, राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग को स्वतः संज्ञान लेने के लिए भी पत्र लिखेगा. यह भारतीय चिकित्सा परिषद के नियमों का उल्लंघन है.” आईएमए ने कहा, “डब्ल्यूएचओ से प्रमाणन की सरासर झूठी बात पर गौर करके इंडियन मेडिकल एसोसिशन स्तब्ध है.” गौरतलब है कि हरिद्वार स्थित पतंजलि आयुर्वेद ने कोविड-19 के उपचार के लिए कोरोनिल के प्रभावकारी होने के संबंध में शोध पत्र जारी करने का दावा भी किया था.