Maharashtra Hospital Death: महाराष्ट्र के नांदेड़ और छत्रपति संभाजीनगर (पूर्व औरंगाबाद) के सरकारी अस्पतालों में हाल ही में कई मरीजों की मौत हुई है. बॉम्बे हाईकोर्ट ने इस मामले पर स्वत: संज्ञान लिया है. हाईकोर्ट ने कहा है कि महाराष्ट्र सरकार सरकारी अस्पतालों में मरीजों की हुई मौत से बच नहीं सकती है. दोनों शहरों में 20 से ज्यादा मरीजों के जान गंवाने के मामले सामने आए हैं. विपक्ष ने इस मुद्दे पर सरकार को घेरते हुए लापरवाही की बात कही है.
चीफ जस्टिस डीके उपाध्याय ने कहा, 'आप ये कहकर बच नहीं सकते हैं कि हमारे ऊपर बोझ है. आप एक राज्य हैं. आप अपनी जिम्मेदारियों को प्राइवेट प्लेयर को नहीं सौंप सकते हैं.' उन्होंने आगे कहा, 'इसे कैसे मजबूत करें? इस बात की जानकारी पेपर में मौजूद हैं. लेकिन अगर वह जमीन तक नहीं पहुंच रहा है, तो फिर कोई मतलब नहीं हुआ.' दरअसल, हाईकोर्ट की तरफ से ये फटकार ऐसे समय पर लगाई गई है, जब सरकार ने दवाओं, बेड आदि के कम होने की बात कही.
NHRC ने भी सरकार को भेजा नोटिस
इंडिया टुडे के मुताबिक, महाराष्ट्र के एडवोकेट जनरल ने कहा कि हाल ही में अस्पताल में हुई मौतों की वजह बड़ी पैमाने पर हुई लापरवाही नहीं लगती है. एडवोकेट जनरल ने कहा, 'ऐसा नहीं लगता है कि अस्पतालों के जरिए कोई बड़ी लापरवाही बरती गई है. ये दुख की बात है कि यहां जो कुछ हुआ और फिर लोगों की मौत हुई.' महाराष्ट्र सरकार मरीजों की मौत को लेकर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) की तरफ से नोटिस भी मिला है. चार हफ्ते में सरकार से जवाब भी मांगा गया है.
सरकार से मांगा गया स्वास्थ्य पर खर्च का ब्यौरा
बॉम्बे हाईकोर्ट ने बुधवार (4 अक्टूबर) को अस्पतालों में मरीजों की हुई मौतों का स्वतः संज्ञान लिया. डॉक्टरों का कहना था कि इन मौतों की वजह बेड, स्टाफ और जरूरी दवाओं की कमी है. हालांकि, अदालत ने साफ कर दिया कि इन वजहों को स्वीकार नहीं किया जा सकता है. हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार से इस मामले पर एक विस्तृत रिपोर्ट भी मांगी है. महाराष्ट्र सरकार से अदालत ने राज्य में स्वास्थ्य पर खर्च किए जाने वाली राशि का ब्यौरा भी मांगा है.