Border Dispute Row: 'नाइंसाफी रोक दें तो कब्जे वाले क्षेत्रों को केंद्रशासित प्रदेश बनाने की नहीं करेंगे मांग', सीमा विवाद पर बोले संजय राउत
Border Dispute: संजय राउत ने कहा कि अगर कर्नाटक सरकार कब्जे वाले इलाकों के लोगों के साथ नाइंसाफी बंद कर दे तो उन क्षेत्रों को केंद्रशासित प्रदेश बनाने की मांग नहीं करेंगे.
Maharashtra Karnataka Border Dispute: महाराष्ट्र-कर्नाटक सीमा विवाद को लेकर शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) नेता संजय राउत (Sanjay Raut) ने नया बयान दिया है. राउत ने शुक्रवार (30 दिसंबर) को कहा कि उनकी सरकार सीमावर्ती क्षेत्रों के लिए केंद्र शासित प्रदेश के दर्जे की मांग नहीं करेगी अगर उस राज्य की सरकार वहां रह रहे स्थानीय मराठी भाषी लोगों के साथ निष्पक्ष व्यवहार करती है.
महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) ने सोमवार (26 दिसंबर) को राज्य विधान परिषद में केंद्र सरकार से कहा था कि ‘कर्नाटक के कब्जे वाले महाराष्ट्र के क्षेत्रों’ को केंद्रशासित प्रदेश घोषित कर देना चाहिए. इसके साथ ही उन्होंने उच्च सदन में अपनी बात रखते हुए कहा था कि यह केवल भाषा और सीमा का नहीं, बल्कि ‘मानवता’ का मामला भी है. उद्धव की इस बात का पलटवार करते हुए कर्नाटक के कुछ नेताओं ने कहा था कि मुंबई को केंद्रशासित प्रदेश बना दिया जाए.
'मराठी लोगों से किया जाता है भेदभाव'
राउत ने कहा, ‘‘हम कर्नाटक में बेलगावी और आसपास के मराठी भाषी क्षेत्रों को केंद्र शासित प्रदेश घोषित करने की मांग इसलिए करते हैं क्योंकि मराठी लोगों, उनकी भाषा और उनकी संस्कृति के साथ भेदभाव किया जाता है.’’ राज्यसभा सदस्य राउत ने कहा, ‘‘यदि कर्नाटक सरकार और स्थानीय संगठन नाइंसाफी रोक देते हैं तो हम अपनी मांग वापस ले लेंगे.’’
कब से चल रहा है विवाद?
महाराष्ट्र और कर्नाटक के बीच सीमा को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है. यह विवाद राज्यों के गठन के समय से चला आ रहा है. यह पूरा विवाद बेलगाम यानी बेलगावी जिला केंद्र पर है क्योंकि महाराष्ट्र दावा करता रहा है कि 1960 के दशक में राज्यों के भाषा-आधारित पुनर्गठन के समय ये मराठी-बहुल क्षेत्र कर्नाटक को गलत तरीके से दिया गया था. महाराष्ट्र ने दावा किया कि सीमा पर 865 गांवों का महाराष्ट्र में विलय कर दिया जाना चाहिए, जबकि कर्नाटक का दावा है कि 260 गांवों में कन्नड़ बोलने वाली आबादी है.
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