Maharashtra-Karnataka Border Dispute: महाराष्ट्र और कर्नाटक के बीच सीमा विवाद को लेकर टकराव जारी है. राज्य विधानमंडल में सोमवार (26 दिसंबर) को कर्नाटक-महाराष्ट्र सीमा विवाद पर प्रस्ताव को लेकर अनिश्चितता के बादल मंडरा रहे हैं. प्रस्ताव को लेकर सत्तारूढ़ बालासाहेबची शिवसेना (BSS) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) की अलग-अलग राय है. हालांकि, बीएसएस ने शुक्रवार (23 दिसंबर) को सोमवार को प्रस्ताव लाने की घोषणा की, लेकिन बीजेपी का राज्य नेतृत्व कथित तौर पर इसके लिए इच्छुक नहीं है.
महाराष्ट्र सरकार में आबकारी मंत्री और मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले बीएसएस गुट के शंभुराज देसाई ने सोमवार को 'मजबूत और आक्रामक' संकल्प लाने की घोषणा की थी. इस मुद्दे पर गुरुवार (22 दिसंबर) को कर्नाटक विधानसभा में पारित एक प्रस्ताव के बाद यह घोषणा की गई. हालांकि, सोमवार के लिए विधानमंडल के दोनों सदनों के एजेंडे में प्रस्ताव का कोई उल्लेख नहीं है. बीएसएस के नेताओं के अनुसार, बीजेपी तुरंत प्रस्ताव लाने के लिए बहुत उत्सुक नहीं है, जिसके कारण प्रस्ताव लाने में देरी हुई है. प्रस्ताव पर दोनों ही दलों की राय अलग है. ऐसे में अटकलें लगाई जा रही हैं कि टकराव से गठबंधन पर संकट पैदा हो सकता है.
BJP पर चुनावी फायदे का आरोप
बीएसएस के एक नेता ने हिदुस्तान टाइम्स को नाम न छापने की शर्त पर बताया कि प्रस्ताव को सोमवार को तुरंत पटल पर रखे जाने की संभावना नहीं क्योंकि यह दिन के ऑर्डर में शामिल नहीं है. बीजेपी को अगले साल की शुरुआत में होने वाले विधानसभा चुनावों में विवाद से कर्नाटक में फायदा होने की उम्मीद है. महाराष्ट्र बीजेपी के नेता विवाद पर जवाबी समाधान को लेकर असमंजस में हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि इससे पड़ोसी राज्य में पार्टी की चुनावी संभावनाओं को नुकसान पहुंचेगा. हालांकि, अभी तक कोई अंतिम चर्चा नहीं हुई है, प्रस्ताव शीतकालीन सत्र में हफ्ते के अंत में आ सकता है.
बीएसएस नेता ने कहा कि मुख्यमंत्री प्रस्ताव के लिए बहुत उत्सुक हैं क्योंकि उन्हें विपक्ष के हमलों का सामना करना पड़ रहा है. विपक्ष मुख्यमंत्री पर उनके कर्नाटक समकक्ष की तुलना में नरम रुख के लिए उन्हें दोषी ठहराया रहा है.
बीजेपी ने प्रस्ताव पर क्या कहा?
बीजेपी के एक सीनियर नेता ने कहा कि प्रस्ताव पर फैसला दो सत्ताधारी दलों के वरिष्ठ नेताओं के बीच बैठक के बाद लिए जाने की उम्मीद है. प्रस्ताव जल्द लाया जा सकता है. पार्टी सावधान रहना चाहती है क्योंकि प्रस्ताव को लेकर वह किसी भी राज्य में अपनी सरकारों के लिए समस्या नहीं चाहती है.
विपक्ष ने की ये मांग
दूसरी ओर विपक्ष ने सोमवार को एनआईटी भूमि आवंटन, फोन टैपिंग समेत अन्य मुद्दों को लेकर सत्तारूढ़ दलों के खिलाफ हमले तेज करने का फैसला किया है. विपक्ष ने विधान परिषद में स्थगन प्रस्ताव पेश किया है, जिसमें अन्य कार्यों को अलग रखकर सीमा विवाद पर बहस की मांग की गई है.
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