Border Dispute: महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने शनिवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को महाराष्ट्र-कर्नाटक सीमा विवाद पर अपना रुख स्पष्ट करना चाहिए. उन्होंने न्यायाधीशों की नियुक्ति की कॉलेजियम प्रणाली का भी बचाव किया. इसके साथ ही उन्होंने केंद्र सरकार पर "न्यायपालिका पर दबाव डालने" और इसे अपने नियंत्रण में लाने की कोशिश करने का आरोप लगाया.
उद्धव ठाकरे ने शनिवार को जालना जिले के संत रामदास कॉलेज में 42वें मराठवाड़ा साहित्य सम्मेलन के उद्घाटन के मौके पर कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नागपुर-मुंबई एक्सप्रेसवे का उद्घाटन करने आ रहे हैं और हम उनका स्वागत करते हैं. अपनी यात्रा के दौरान, उन्हें महाराष्ट्र-कर्नाटक सीमा विवाद पर अपना रुख स्पष्ट करना चाहिए.
कॉलेजियम प्रणाली पर बोले ठाकरे
ठाकरे ने केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रीजीजू और उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ की कॉलेजियम प्रणाली के खिलाफ बयान देने के लिए आलोचना की. बताते चलें कि रीजीजू ने पिछले महीने कहा था कि कॉलेजियम प्रणाली संविधान के प्रति ‘सर्वथा अपिरचित’ शब्दावली है. वहीं धनखड़ ने राज्यसभा में अपने पहले भाषण में राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (एनजेएसी) कानून को रद्द करने के लिए न्यायपालिका की आलोचना की, इसे 'संसदीय संप्रभुता के साथ गंभीर समझौते' का उदाहरण बताया.
कॉलेजियम प्रणाली के खिलाफ दिए गए बयानों की आलोचना करते हुए ठाकरे ने पूछा कि अगर न्यायाधीश ही न्यायाधीशों की नियुक्ति नहीं कर सकते तो क्या प्रधानमंत्री उन्हें चुन सकते हैं. उन्होंने दावा किया कि आठ साल बाद भी, उच्चतम न्यायालय 500 रुपये और 1,000 रुपये के नोटों को बंद करने के केंद्र सरकार के विवादास्पद फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है.
गृह मंत्री अमित शाह से मिल चुका है प्रतिनिधिमंडल
अपने संबोधन के दौरान ठाकरे ने कहा कि कर्नाटक के मुख्यमंत्री के बारे में पीएम को बोलना चाहिए जो महाराष्ट्र के कुछ गांवों पर दावा कर रहे हैं. इससे पहले एनसीपी सांसद सुप्रिया सुले की अगुवाई में महा विकास आघाड़ी में शामिल दलों (एनसीपी, कांग्रेस और शिवसेना) के एक प्रतिनिधिमंडल ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी. इस दौरान प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि कर्नाटक और महाराष्ट्र के सीमावर्ती जिले बेलगावी की घटनाओं को देखते हुए केंद्र तत्काल दखल दे.
क्या है ये पूरा विवाद?
असल में महाराष्ट्र चाहता है कि बेलगावी कर्नाटक में नहीं, उसके राज्य में शामिल होना चाहिए. इसके अलावा महाराष्ट्र 814 अन्य गांवों पर भी अपना हक मानता है. लेकिन कर्नाटक को ये स्वीकार नहीं है और इसी वजह से ये सीमा विवाद खड़ा हुआ है. इसी बीच कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने कुछ दिनों पहले कह दिया कि महाराष्ट्र के कुछ गांवों को कर्नाटक में शामिल किया जाएगा. जिसके बाद बवाल बढ़ता चला गया.