महाराष्ट्र के कोल्हापुर जिले में एक ग्राम पंचायत ने मिसाल कायम की है. शिरोल तालुका की हर्वर्ड ग्राम पंचायत ने बुधवार को एक प्रस्ताव पास किया, जिसमें विधवावन से जुड़े संस्कारों पर बैन लगा दिया गया. इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक ग्राम पंचायत की ओर से पास प्रस्ताव में कहा गया, 'हमारे गांव में किसी भी महिला को विधवावन के दर्द भरे संस्कारों से  नहीं गुजरना होगा. अगर पति मर जाता है तो महिला को मंगलसूत्र उतारने, चूड़ियां तोड़ने और मांग से सिंदूर मिटाने को कहा जाता है. यह प्रक्रिया उसके लिए काफी दर्दनाक होती है और विधवा को किसी भी धार्मिक या सामाजिक आयोजन में आने नहीं दिया जाता. इस क्रूर और अनावश्यक प्रकिया को हम अपने गांव में बैन कर रहे हैं. '


गांव के सरपंच श्रीगोंडा पाटिल ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि कोविड-19 के समय कई लोगों की गांव में असमय मृत्यु हुई थी, जिसके बाद यह कदम उठाया गया. उन्होंने कहा, '25 साल के युवा लोगों की जान चली गई और उनकी पत्नियों को विधवापन से जुड़े रीति-रिवाजों को अपनाना पड़ा. इन विधवाओं को जो कष्ट सहना पड़ा, उसे देखते हुए हमें यह प्रस्ताव लाना पड़ा.'


श्रीगोंडा पाटिल ने कहा, महात्मा फुले सोशल फाउंडेशन के प्रमोद झिंगाडे को सबसे पहले इस प्रस्ताव का आइडिया आया था. उन्होंने कहा, 'हर परिवार ने इन लड़कियों का दुख देखा है इसलिए पंचायत की मीटिंग में बिना किसी विरोध के यह पास हो गया.' उन्होंने यह भी कहा कि विधवा विवाह अब कोई बैन नहीं है. अधिकतर महिलाएं और युवा बच्चे इन रीति-रिवाजों के कारण फिर से शादी नहीं करते. 


श्रीगोंडा पाटिल ने कहा, 'विधवापन के रीति-रिवाज किसी भी महिला के लिए टॉर्चर जैसा होता है. जैसे ही अंतिम रीति-रिवाज कराए जाते हैं, महिला को सुहाग की सभी निशानियां छोड़नी पड़ती हैं. यह दिल तोड़ने वाली प्रक्रिया है'


सरपंच ने कहा कि ग्रामीण इलाकों में विधवाओं को अभी भी एकांत का जीवन जीने के लिए मजबूर किया जाता है और यहां तक कि उनके अपने रिश्तेदार भी अक्सर सामाजिक या धार्मिक कार्यों के दौरान उनसे दूर रहते हैं. उन्होंने कहा, "यह विधवाओं को उनकी ऐसी गलती के लिए दोषी महसूस कराता है, जो उन्होंने की ही नहीं.' वहीं, जिला प्रशासन ने भी इस संकल्प के लिए गांव की सराहना की है.


इस कदम का स्वागत करते हुए गृहराज्य मंत्री सतेज पाटिल ने कहा, 'हर्वर्ड गांव ने न सिर्फ कोल्हापुर बल्कि पूरे महाराष्ट्र को गौरवान्वित महसूस कराया है. छत्रपति शिवाजी महाराज की धरती पर महिलाओं को हमेशा ऊंचा दर्जा दिया गया है. यह उन सभी लोगों के लिए मुंहतोड़ जवाब है, जो जनता का ध्रुवीकरण करके नकली नैरेटिव चलाते हैं, ताकि देश का माहौल खराब किया जा सके.'


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