मुंबई: देश में सबसे बड़े उद्योगपति मुकेश अंबानी के घर एंटीलिया के पास मिली विस्फोटक से भरी स्कॉर्पियों कार मिलने के मामले में नए खुलासे हुए हैं. एंटीलिया केस की जांच कर रही एनआईए को मनसुख मर्डर केस में अहम सुराग हाथ लगे हैं. एनआईए ने दावा किया है कि पांच मार्च को मनसुख हिरेन का शव मिलने से पहले इसकी गैमुख इलाके में 30 मिनट तक लोकेशन मिली थी.
मनसुख की कार में हत्या की गई- एनआईए को शक
एनआईए को शक है कि इसी इलाके में मनसुख की कार में हत्या की गई. मुंबई से सटे मुम्ब्रा रेतीबंदर की खाड़ी से 5 मार्च को मनसुख का शव बरामद हुआ था. इसी केस में एनआईए ने एपीआई सचिन वाजे की निशानदेही पर मीठी नदी से काफी सारा सामान बरामद किया था, इसी सामान में नंबर प्लेट भी थीं. इनमें से एक नंबर प्लेट MH-20 FP-1539 भी थी. जांच में पता चला कि ये नंबर प्लेट औरंगाबाद की मारुति ईको कार की है.
आगे की जांच में पता चला कि कार जालना कें समाज कल्याण विभाग में क्लर्क विजय रनाडे की है. ये कार 16 नवंबर, 2020 को चोरी हो गई थी. इस बारे में सिटी चौक पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज किया गया है. अदालत को एक रिपोर्ट सौंपी गई है कि पुलिस ने वाहन की जांच नहीं की. इसके साथ ही एनआईए मिले कंप्यूटर, हार्ड डिस्क और डीवीआई की फोरेंसिक जांच करा रही है. इससे उसे वाजे के खिलाफ कुछ और पुख्ता सबूत हासिल हो सकते हैं.
एंटीलिया के बाहर खड़ी स्कॉर्पियो कार की चोरी की खबर झूठी
वहीं, एंटीलिया के बाहर खड़ी स्कॉर्पियो कार की चोरी की खबर झूठी थी. इस मामले की जांच कर रही एटीएस जल्द ही इस मामले में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल कर सकती है. एटीएस ने खुलासा किया है कि कार चोरी नहीं हुई थी. बल्कि कार चोरी की झूठी रिपोर्ट कार के मालिक मनसुख हिरेन ने दर्ज कराई थी.
एटीएस ने सीसीटीवी तस्वीरों की जांच के बाद जो रिपोर्ट तैयार की है, उसमें मनसुख हिरेन और कार के हर मूवमेंट की जानकारी दर्ज है. घटना वाले दिन शाम 7 बजे मनसुख अपनी स्कॉर्पियो विक्रोली में खड़ी करने के बाद ओला पकड़कर रात 8 बजकर 25 मिनट के करीब डीसीपी जोन-1 के ऑफिस के पास पहुचता है. जहां पर सिग्नल के पास सड़क क्रॉस करता हुआ वो सीसीटीवी कैमरे में कैद हुआ है. यहीं पर सचिन वाझे की मर्सिडीज़ गाड़ी पहुंचती है. रात करीब 8 बजकर 26 मिनट पर मनसुख उस मर्सिडीज़ कार में बैठता है जहां दोनों के बीच 9 मिनट की मीटिंग चलती है. मीटिंग खत्म होने के बाद 8 बजकर 35 मिनट पर मर्सिडीज़ से बाहर निकलता है और टैक्सी में बैठकर निकल जाता है. बाद की जांच के आधार पर एटीएस ने पाया कि इसी मुलाकात में स्कॉर्पियो की चाभी मनसुख ने वाझे को दी. उसके बाद वाजे किसी ड्राइवर को चाभी देकर स्कॉर्पियो अपनी सोसाइटी साकेत में ले खड़ी करवा देता है.
एनआईए की कस्टडी में हैं सचिन वाजे
ये स्कॉर्पियो गाड़ी 17 फरवरी से लेकर 20 फरवरी तक साकेत सोसाइटी में और फिर 20 से लेकर 24 फरवरी तक कमिश्नर ऑफिस के कंपाउंड में खड़ी थी. जिसके बाद इस गाड़ी को 24 फरवरी को कमिश्नर ऑफिस से निकालकर ले जाया जाता है और फिर यही स्कॉर्पियो कार 25 फरवरी को इनोवा के साथ एंटीलिया के पास खड़ी मिलती है. असिस्टेंट इंस्पेक्टर सचिन वाजे इस मामले में एनआईए की कस्टडी में हैं.
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