आर्मी की पाबंदी के बाद भी जवानों की कॉम्बैट यूनिफॉर्म बेच रहे थे नक्काल, पुलिस ने रैकेट का किया भंडाफोड़
Indian Army News: सेना की वर्दी बेचने के नियम हैं और उनके मुताबिक इन्हें सिर्फ भारतीय सेना के जरिए ऑपरेट होने वाली कैंटीन में ही बेचा जा सकता है.
Indian Army Fake Uniform: भारतीय सेना की फर्जी यूनिफॉर्म यानी वर्दी बेचने का मामला सामने आया है. सेना की नकली वर्दी बेचने वाले एक गिरोह का फंडाफोड़ किया गया है और एक आरोपी गिरफ्तार हुआ है. दरअसल, सेना के 'सदर्न कमांड' मिलिट्री इंटेलिजेंस, पुणे और महाराष्ट्र के अहमदनगर के भिंगर कैंप पुलिस ने ज्वाइंट ऑपरेशन चलाया. इस दौरान एक आरोपी को गिरफ्तार किया गया और उसके पास से 40 फर्जी यूनिफॉर्म बरामद की गई हैं.
द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, स्थानीय पुलिस ने अपने बयान में कहा कि गिरफ्तार किया गया आरोपी नासिक जिले का रहने वाला है. जब उससे पूछताछ की गई, तो आरोपी ने बताया कि वह बिना वैलिड लाइसेंस के सेना की नई कॉम्बैट यूनिफॉर्म को बेचने के लिए लेकर आया था. इस मामले में एक केस दर्ज कर लिया गया है और भिंगर कैंप पुलिस स्टेशन की तरफ से जांच की जा रही है. पुलिस इस मामले में अन्य आरोपियों की भी पहचान कर रही है.
जांच में क्या सामने आया है?
रक्षा सूत्रों ने बताया है कि पुलिस की जांच में सामने आया है कि नए कॉम्बैट पैटर्न वाले यूनिफॉर्म की अवैध बिक्री का एक बड़ा रैकट चल रहा है. यूनिफॉर्म को खुले बाजार में बेचा जा रहा है. इस रैकेट में दिल्ली और राजस्थान के कुछ लोग शामिल हैं.
क्या है नई यूनिफॉर्म की खासियत?
भारतीय सेना ने 15 जनवरी, 2022 को नई कॉम्बैट यूनिफॉर्म को लॉन्च किया था. धीरे-धीरे सेना की पुरानी वर्दी को नई यूनिफॉर्म से बदला जा रहा है. नई यूनिफॉर्म समकालीन लुक वाली है और कपड़े को हल्का, मजबूत, सांस लेने योग्य, जल्दी सूखने वाला और मेंटन रखने में आसान बनाया गया है. सेना की नई वर्दी में नए डिजाइन का इस्तेमाल किया गया है.
इस डिजाइन का सेना ने 10 साल की अवधि के लिए बौद्धिक संपदा अधिकार (आईपीआर) भी हासिल किया है, जिसे पांच सालों तक बढ़ाया भी जा सकता है. आसान भाषा में कहें तो सेना के अलावा इस डिजाइन का कोई अन्य व्यक्ति इस्तेमाल नहीं कर सकता है.
सेना ने आईपीआर हासिल करते हुए कहा था, 'आईपीआर इसलिए हासिल किया गया है, ताकि कोई भी गैरऑथराइज्ड वेंडर नए यूनिफॉर्म को न तो बना पाए और न ही बेच पाए. ऐसा करने की वजह से सुरक्षा खतरा पैदा होता है.'
कहां बिकती है सेना की वर्दी?
नई वर्दी केवल सेना की यूनिट संचालित कैंटीन में बेची जाएगी. इसमें कहा गया था कि आईपीआर की वजह से सेना के पास अब डिजाइन पर विशेष अधिकार हैं. वह डिजाइन के उल्लंघन और इस डिजाइन की वर्दी बनाने वाले के खिलाफ कानूनी मुकदमा दायर कर सकती है.
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