Raj Thackeray Politics: महाराष्ट्र में राज ठाकरे एक बार फिर अपनी पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) को मजबूत करने की कोशिशो में जुटे हैं. इस बार उन्होंने हिंदुत्व के मुद्दे पर खुलकर बोलना शुरू किया है और मस्जिदों में लगे लाउडस्पीकर को हटाने की मांग से इसकी शुरुआत की है. हालांकि ये पहली बार नहीं है जब राज ठाकरे ने ऐसी कोशिश की हो, इससे पहले भी उनके राजनीतिक फैसले खूब चर्चा में रहे. वहीं मुंबई से गिरफ्तार हुईं सांसद नवनीत राणा को लेकर भी यही कहा जा सकता है.
शिवसेना से अलग होकर बनाई पार्टी
जब बाल ठाकरे की विरासत बेटे उद्धव ठाकरे को मिल गई तो भतीजे राज ठाकरे ने अपना रास्ता अलग कर लिया. 2006 में राज ठाकरे ने शिवसेना से हटकर अपनी नई पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना का गठन किया. तब बाल ठाकरे जीवित थे. उसके बाद राज ठाकरे को राजनीतिक तौर पर खास कामयाबी नहीं मिली, लेकिन इनकी राजनीतिक निष्ठाएं लगातार बदलती रहीं.
पीएम मोदी की तारीफ और फिर आलोचना
जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे तो राज ठाकरे ने उनकी जमकर तारीफ की थी. यहां तक कि 2011 में वो 9 दिन तक गुजरात का विकास देखने के लिए गए थे. ये वो दौर था जब पीएम मोदी के कदम राष्ट्रीय राजनीति की तरफ बढ़ने लगे थे. लेकिन बीजेपी का गठबंधन शिवसेना से बना रहा और शिवसेना उद्धव के पास थी, तो राज ठाकरे ने 2014 के बाद प्रधानमंत्री मोदी की आलोचना भी शुरू कर दी.
राहुल गांधी की तरफ भी झुकाव
एक बार ऐसा समय आया कि बीजेपी-शिवसेना के गठबंधन के जवाब में राज ठाकरे राहुल गांधी के पक्ष में दिखने लगे. यहां तक कि उन्होंने राहुल गांधी के प्रधानमंत्री बनने तक की वकालत कर डाली. 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी-शिवसेना का गठबंधन कायम रहा तो राज ठाकरे शरद पवार के साथ चले गए. आज पवार को मुस्लिमपरस्त बताने वाले राज ठाकरे ने उस चुनाव में एनसीपी और कांग्रेस के लिए चुनाव प्रचार तक किया था. लेकिन अब दोनों के खिलाफ लगातार बयानबाजी कर रहे हैं और एक बार फिर बीजेपी की विचारधारा की तरफ उनका झुकाव देखा जा सकता है.
नवनीत राणा की पॉलिटिक्स में भी बदलाव
कहते हैं कि राजनीति में कोई किसी का स्थायी दोस्त या दुश्मन नहीं होता. अब निर्दलीय सांसद नवनीत राणा को ही लीजिए. 2019 के लोकसभा चुनाव में अगर राज ठाकरे एनसीपी और कांग्रेस का समर्थन कर रहे थे तो एनसीपी और कांग्रेस का समर्थन पाकर नवनीत राणा ने निर्दलीय ही अमरावती सीट जीत ली. लेकिन जब कांग्रेस-एनसीपी ने शिवसेना से हाथ मिलाया तो नवनीत राणा का रुझान हिंदुत्ववादी हुआ, थोड़ा बीजेपी की तरफ झुका हुआ. उनके तेवर के खिलाफ उद्धव सरकार ने राजद्रोह का मुकदमा कर दिया, जिसमें उनकी जमानत पर आज (2 मई) कोर्ट का फैसला आना था. लेकिन कोर्ट का ये फैसला अब बुधवार को आएगा. आज कोर्ट पूरा ऑर्डर लिख नहीं पाया और कल ईद की छुट्टी है. अदालत ने जमानत पर अपना फैसला सुरक्षित रखा है.
4 मई महाराष्ट्र के लिए बड़ा दिन
चार मई महाराष्ट्र की राजनीति में बहुत कुछ तय करेगा. 4 मई से राज ठाकरे का अल्टीमेटम शुरू हो रहा है. उन्होंने महाराष्ट्र सरकार को चेतावनी दी है कि अगर 4 मई तक लाउडस्पीकर नहीं हटाए गए तो वो सभी मंदिरों में दोगुनी आवाज में हनुमान चालीसा का पाठ करवाएंगे. औरंगाबाद में हुई अपनी रैली में राज ठाकरे ने ये अल्टीमेटम दिया. पहले उन्होंने 3 मई का अल्टीमेटम दिया था, लेकिन ईद होने के चलते इसे एक दिन आगे बढ़ा दिया गया. वहीं 4 मई को ही ये तय होगा कि नवनीत राणा जेल में रहेंगी या बाहर आएंगी. नवनीत राणा पर राजद्रोह का मुकदमा हुआ है. उन्होंने सीएम उद्धव के घर मातोश्री के बाहर हनुमान चालीसा पढ़ने का ऐलान किया था.
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