Maharashtra: महाराष्ट्र के समंदर के पानी क्यों हुआ लाल? मछुआरों में खौफ, गांववालों ने लगाया ये गंभीर आरोप
Mumbai News: मुंबई के भोइसर तारापुर स्थित नांदगांव के लोगों का आरोप है कि प्रदूषित केमिकल वेस्ट की वजह से गांव का ग्राउंड वाटर लेवल भी प्रदूषित हो गया है.
Mumbai Palghar News: मुंबई के पालघर जिले में समुंदर का पानी लाल होना मछुआरों के लिए मुसीबत बनता दिख रहा है. भोइसर तारापुर स्थित नांदगांव के लोगों का आरोप है कि प्रदूषित केमिकल वेस्ट (Polluted Chemical Waste) की वजह से गांव का ग्राउंड वाटर लेवल भी प्रदूषित हो गया है.
दरअसल पालघर जिले के भोईसर तारापुर क्षेत्र सबसे बड़ा इंडस्ट्रियल एरिया माना जाता है. हजारों कंपनियां और फैक्टरी यहां पर रात दिन काम करती हैं. आरोप है कि कई फैक्ट्रियों से निकलने वाले केमिकल वेस्ट का ठीक से ट्रीटमेंट नहीं किया जाता. फैक्ट्री मालिक केमिकल वेस्ट के ट्रेड ट्रीटमेंट का खर्च बचाने के लिए उस केमिकल युक्त वेस्ट वाटर को सीधे समंदर में डाल रहे हैं. इस कारण समुंदर का पानी प्रदुषित हो रहा है और मछली का रोजगार बंद हो रहा है.
जरूरत से ज्यादा केमिकल वेस्ट...
गांव के सरपंच धीरज गवाड़ के मुताबिक एमआईडीसी इलाके की फैक्ट्रियों से जरूरत से ज्यादा केमिकल वेस्ट निकल रहा है. 20 इंच पाइप लाइन के जरिए केमिकल वेस्ट समंदर में डाला जा रहा है जो खतरे की वजह बन रहा है. उन्होंने बताया, गांव के आसपास जहां से केमिकल वेस्ट समंदर में डालने वाली पाइप लाइन गई है उस रास्ते में हमें कुछ उससे जुड़े हुए पाइप दिखाई दिए.
पर्यावरण एक्टिविस्ट विद्युत का कहना है कि, इस इलाके में पर्यावरण के लिए काम करने वाले पर्यावरण प्रेमियों की माने तो समंदर में जहरीला पानी पहुंचने की सबसे बड़ी वजह है महाराष्ट्र पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड का लापरवाह प्रशासन और एमआईडीसी प्रशासन. इनका फैक्ट्री चलाने वाले मालिकों पर कंट्रोल नहीं है और शायद भ्रष्टाचार इसकी सबसे बड़ी वजह है.
फैक्ट्री को शुरू करने की तभी इजाजत मिलती है जब...
दरअसल भोईसार तारापुर एमआईडीसी इलाके में किसी भी फैक्ट्री को शुरू करने की तभी इजाजत मिलती है जब महाराष्ट्र पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड इस बात से निश्चिंत हो जाता है कि कंपनी में केमिकल वेस्ट को ट्रीटमेंट करने वाला प्लांट लगाया गया है. फैक्ट्री से निकलने वाले केमिकल को पहले फैक्ट्री में ही ट्रीट किया जाता है उसके बाद उस केमिकल वेस्ट पानी को एमआईडीसी की तरफ से बनाए गए. Common effluent treatment plants (CETP) ट्रीटमेंट प्लांट में भेज दिया जाता है वहां पर दोबारा वह केमिकल वेस्ट ट्रीट होने के बाद समंदर में पानी डाला जाता है लेकिन यहां के जानकारों की माने तो बोइसर तारापुर एमआईडीसी इलाका एशिया में सबसे बड़ा औद्योगिक क्षेत्र है, हजार से ज्यादा फैक्ट्रियां यहां काम करती हैं लेकिन यहां से निकलने वाले केमिकल वेस्ट को ट्रीट करने के लिए सिर्फ दो CETP प्लांट लगाए गए हैं जिसमें एक पूरी तरह से बंद पड़ा हुआ है.
कंपनियों से निकलने वाले केमिकल वेस्ट को ट्रीटमेंट करने का जिम्मा एमआईडीसी ने यहां की दो संस्थाओं को सौंपा है. तारापुर एनवायरमेंट प्रोटक्शन सोसायटी ( TEPS) और तारापुर इंडस्ट्रियल मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (TIMA). जिसके संचालक यहां की फैक्ट्रियों के मालिक ही हैं. इन मालिकों ने कहा की केमिकल वेस्ट ट्रीटमेंट होने के बाद ही समंदर में भेजा जाता है लेकिन कुछ दिनों से समंदर में लाल रंग के केमिकल वेस्ट की घटना देखने को मिल रही है जिसकी जांच की जा रही है.
जानकारों की माने तो केमिकल वेस्ट को लेकर के जो कंपनियां और एमआईडीसी लापरवाही सालों से करती आ रही हैं इसको देखते हुए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल इन पर करीब दो करोड़ों की पेनल्टी पहले भी लगा चुका है.
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