बहुमत के बावजूद MVA सरकार विधानसभा अध्यक्ष पद का नहीं करा सकी चुनाव, राज्यपाल ने सरकार के प्लान पर फेरा पानी
Maharashtra : महाराष्ट्र विधानसभा के शीतकालीन सत्र में भी विधानसभा अध्यक्ष पद का चुनाव प्रचंड बहुमत वाली महा विकास आघाड़ी की सरकार नहीं करा सकी. कांग्रेस राज्यपाल पर राजनीति करने का आरोप लगा रही है.
Maharashtra Assembly Speaker Election: महाराष्ट्र विधानसभा के शीतकालीन सत्र में भी विधानसभा अध्यक्ष पद का चुनाव प्रचंड बहुमत वाली महा विकास आघाड़ी की सरकार नहीं करा सकी. चुनाव के लिए सरकार ने नियम में बदलाव किया, कैबिनेट से प्रस्ताव पास कर राज्यपाल के पास चुनाव की तारीख तक भेजी लेकिन राज्यपाल ने कानूनी सलाह के बाद सीएम को भेजे पत्र में सरकार के प्लान पर पानी फेर दिया. 170 विधायकों का समर्थन का दावा करने वाली उद्धव ठाकरे के नेतृत्व की महा विकास आघाड़ी सरकार लगातार तीसरे विधानसभा सत्र में विधानसभा को पूर्णकालिक अध्यक्ष नहीं दे सकी.
महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष पद के लिए चुनाव
पांच दिवसीय शीतकालीन सत्र के पहले दिन अध्यक्ष पद का चुनाव में बदलाव करने का प्रस्ताव पारित किया. जिसके तहत अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए सीक्रेट बैलेट से नहीं तो वॉइस वोटिंग से अध्यक्ष चुना जाएगा. सरकार का दावा था कि इससे हॉर्स ट्रेडिंग पर रोक लगेगी इसलिए नियम बदला जा रहा है. विधानसभा से नियम को बदलने के बाद चुनाव के लिए राज्यपाल को कैबिनेट से प्रस्ताव भी भेजा गया. जानकारी के मुताबिक़ राज्यपाल ने कानूनी सलाह लेने के बाद इस पर कुछ सवाल खड़े कर दिए हैं. कांग्रेस के लिए यह बड़ा झटका माना जा रहा है लेकिन कांग्रेस इन सब के लिए राज्यपाल पर राजनीति करने का आरोप लगा रही है.
राज्यपाल ने सरकार के प्लान पर फेरा पानी
5 फरवरी 2021 को तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष नाना पटोले ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था. 10 महीनों से यह पद खाली है. इस बीच 3 विधानसभा के सत्र हो चुके हैं. जानकारों का मानना है कि सरकार में शामिल शिवसेना और एनसीपी अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए फिलहाल ज्यादा अनुकूल नहीं है. जबकि कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए नाम तक निश्चित नहीं कर सकी है. हालांकि बीजेपी महाराष्ट्र सरकार से सवाल कर रही है कि अगर 170 विधायकों का समर्थन सरकार को है तो फिर सीक्रेट बैलट से चुनाव करने के लिए सरकार क्यों घबरा रही है.
जुलाई के विधानसभा सत्र में बीजेपी के 12 विधायकों को निलंबित किया जा चुका है. सरकार अगर इस सत्र में सीक्रेट बैलट से भी चुनाव कराती तो भी सरकार के बहुमत को देखते हुए विधानसभा अध्यक्ष पद के चुनाव में कोई धोखा नहीं रहता. 12 बीजेपी के निलंबित विधायकों ने पहले ही सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है और इसकी सुनवाई फरवरी में होनी है. अगर 12 विधायकों के निलंबन को सुप्रीम कोर्ट से स्थगित किया जाता है तो बीजेपी के लिए बड़ी जीत होगी जबकि सरकार की मुश्किल अगले सत्र में अध्यक्ष पद के चुनाव के दौरान बढ़ सकती है.