इंदिरा गांधी के खिलाफ बगावत करके बने थे CM, सोनिया के खिलाफ छेड़ी जंग, जानें शरद पवार ने कैसे बनाई थी NCP
महाराष्ट्र में अजित पवार के शिंदे सरकार को समर्थन करने के बाद एनसीपी की जड़ें हिल गई हैं. भतीजे की बगावत का सामना कर रहे शरद पवार ने साल 1978 में खुद कांग्रेस के साथ बगावत की थी.
Maharashtra NCP Crisis: महाराष्ट्र में अजित पवार की बगावत ने एनसीपी की नींव हिलाकर रख दी है. अजित पवार ने रविवार (2 जुलाई) को शिंदे सरकार का समर्थन करते हुए चाचा शरद पवार की पार्टी एनसीपी को छोड़ दिया. इतना ही नहीं 8 अन्य एनसीपी नेता भी पार्टी का दामन छोड़कर बीजेपी गठबंधन में शामिल हो गए. यह कोई पहली बार नहीं है जब महाराष्ट्र की सियासत में इस तरह का रुख देखने को मिला हो. इससे पहले एनसीपी चीफ शरद पवार ने खुद कांग्रेस पार्टी से बगावत की थी और बाद में कांग्रेस से अलग होकर एनसीपी का गठन किया था.
आइए जानते हैं कि 50 सालों से राजनीति में एक्टिव शरद पवार ने साल 1978 और साल 1999 में ऐसा क्या किया था.
कैसे रखा था कांग्रेस पार्टी में कदम?
महाराष्ट्र के प्रवरनगर में गोवा की आजादी के लिए 1956 में शरद पवार ने एक विरोध मार्च का आह्वान किया था. दो साल बाद साल 1958 में शरद पवार यूथ कांग्रेस में शामिल हो गए और पार्टी के लिए अपने समर्थन का प्रदर्शन किया. अब धीरे-धीरे राजनीति में पवार की पकड़ मजबूत होती जा रही थी. युवा कांग्रेस में शामिल होने के चार साल बाद साल 1962 में पवार पुणे जिला युवा कांग्रेस के अध्यक्ष बने. इसके बाद विधायक के तौर पर शरद पवार ने महाराष्ट्र में सूखे से संबंधित मुद्दों को उठाया. वहीं शंकरराव चव्हाण की 1975-77 की सरकार के दौरान, शरद पवार ने गृह मामलों के मंत्री के रूप में भी काम किया.
साल 1977 में की पार्टी से बगावत
साल 1977 में कुछ ऐसा हुआ था, जिसके बाद कांग्रेस दो हिस्सों में बंट गई थी और पार्टी को दो अलग-अलग नामों में बांट दिया गया था. पहला नाम था कांग्रेस (I) और दूसरा था कांग्रेस (U).शरद पवार कांग्रेस (यू) का हिस्सा थे. उस दौरान इंदिरा गांधी राजनीति में एक्टिव थीं. अब साल 1978 में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव का भी वक्त था, जिसमें पार्टी के दोनों हिस्से एक दूसरे के खिलाफ लड़ रहे थे. इस दौरान किसी को पूर्ण बहुमत नहीं मिला, जिसके चलते जनता पार्टी के खिलाफ दोनों धड़ों ने वसंतदादा पाटिल के समर्थन में गठबंधन में सरकार बनाई.
गठबंधन में सरकार बनने के कुछ ही महीने बाद शरद पवार ने जनता पार्टी का समर्थन करते हुए कांग्रेस (यू) छोड़ दी और 1978 में महाराष्ट्र के सबसे कम उम्र के मुख्यमंत्री बन गए. इसके बाद 1987 में शरद पवार दोबारा कांग्रेस में लौट आए और 1988 में दोबारा सीएम बने. 1990 के विधानसभा चुनाव में पवार तीसरी बार और 1993 में चौथी बार मुख्यमंत्री बनाए गए.
कांग्रेस छोड़ एनसीपी की किया गठन
अब वक्त था साल 1999 का, जब पीए संगमा और तारिक अनवर के साथ शरद पवार को कांग्रेस से निकाल दिया गया, जिसे कांग्रेस के सोनिया गांधी के अध्यक्ष के रूप में विरोध के रूप में देखा गया. यही वो साल था जब पवार ने संगमा के साथ राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) की स्थापना की थी. इसके बाद 2004 में शरद पवार प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के अधीन कृषि मंत्री बने. वहीं 2014 लोकसभा चुनाव के बाद बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए की जीत के साथ ही शरद पवार ने अपना मंत्री पद भी खो दिया.
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