Maharashtra Politics Crisis: महाराष्ट्र में हुए शक्ति प्रदर्शन के बाद राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) पर फिलहाल अजित पवार का कब्जा हो गया है. पार्टी सुप्रीमो शरद पवार ने बुधवार (5 जुलाई) चुनाव आयोग में पार्टी के नाम और चुनाव चिन्ह पर अपना दावा किया. हालांकि, इस मामले में भी भतीजे अजित पवार चाचा शरद पर भारी पड़ते दिखे. उन्होंने महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम पद का शपथ लेने से दो दिन पहले यानी 30 मई को ही चुनाव आयोग में एनसीपी पर अपना दावा ठोंक दिया था.
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट में एक शख्स के हवाले से लिखा गया है कि एनसीपी में हुई टूट से पहले ही अजित पवार ने चुनाव आयोग का दरवाजा दिया था. इस शख्स ने दावा किया कि पार्टी के नाम और चुनाव चिन्ह के इस्तेमाल को लेकर अजित पवार ने चुनाव आयोग को 30 मई को लिखे अपने पत्र के साथ करीब 40 शपथ पत्र दिए थे, जिनमें सांसद, विधायक और एमएलसी शामिल थे.
एनसीपी में टूट से पहले ही पहुंच गए चुनाव आयोग
रिपोर्ट के मुताबिक, एनसीपी में हुई टूट के जानकार ने बताया कि अजित पवार की ओर से चुनाव आयोग को भेजे गए शपथ पत्रों पर 30 मई की तारीख दर्ज है. वहीं, चुनाव आयोग ने आधिकारिक रूप से बुधवार (5 जुलाई) को इस याचिका को स्वीकार किया. महाराष्ट्र में हुए शक्ति प्रदर्शन के बाद अजित पवार गुट के साथ 32 विधायक और शरद पवार गुट के साथ 15 विधायक होने की बात सामने आई है. वहीं, 6 विधायक अभी तक कोई फैसला नहीं कर पाए हैं कि वो किस गुट में शामिल होंगे.
मामले के जानकार ने बताया कि अजित पवार ने 2 जुलाई को एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली सरकार में डिप्टी सीएम पद की शपथ लेने से पहले ही सारी तैयारी कर ली थी. इतना ही नहीं, चुनाव आयोग के पास अजित पवार को एनसीपी का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने जाने का बिना तारीख लिखा एक प्रस्ताव भी भेज दिया गया था.
एनसीपी ने भी दाखिल किया कैविएट
महाराष्ट्र एनसीपी के अध्यक्ष जयंत पाटिल ने भी 3 जुलाई को एक कैविएट दाखिल किया था. जयंत पाटिल ने बगावत करने वाले एनसीपी के नौ नेताओं को अयोग्य घोषित करने की चुनाव आयोग से मांग की है. चुनाव आयोग अब इस मामले में नियमों के मुताबिक कार्रवाई को आगे बढ़ाएगा.
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