2024 में बीजेपी के लिए क्यों जरूरी हैं अजित पवार? फैक्ट्स के जरिए समझिए महाराष्ट्र का पूरा गेम प्लान
NCP Political Crisis: अजित पवार की बगावत के बाद महाराष्ट्र की राजनीति नया करवट लेती दिखाई दे रही है. आइए देखते हैं बीजेपी ने ये कितना महत्वपूर्ण है.
Mararashtra NCP Crisis: लोकसभा चुनाव 2024 जैसे-जैसे नजदीक आ रहा है, राजनीति में गठजोड़, तोड़फोड़ और तख्तापलट का खेल तेज होता जा रहा है. एक तरफ पीएम मोदी के नेतृत्व में बीजेपी लगातार तीसरी बार सरकार बनाने के लिए कमर कसे हुए है और हर दांव खेलने को तैयार है. वहीं, दूसरी तरफ विपक्षी दलों का खेमा है, जो 2024 में किसी भी कीमत पर पीएम मोदी को रोकने के लिए जोर लगा है. महाराष्ट्र में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) में अजित पवार के नेतृत्व में हुई बगावत को भी इस नजरिए से देखने की जरूरत है और ये भी जानना जरूरी है कि आखिर अजित पवार को साध लेना बीजेपी के लिए कितना फायदेमंद होगा.
अजित पवार जब प्रफुल्ल पटेल और छगन भुजबल जैसे शरद पवार के विश्वस्त सिपहसालारों के साथ बगावत करके शिंदे सरकार में शामिल हुए तो कहा गया कि उन्होंने ईडी के डर में ऐसा किया. लेकिन सिर्फ अजित पवार को ही बीजेपी की जरूरत नहीं है, पिछले कुछ समय में तैयार हुआ राजनीतिक माहौल बताता है कि बीजेपी को भी 2024 के लिए अजित पवार की जरूरत है.
बीजेपी कई राज्यों में हुई कमजोर
बीजेपी इस समय बिहार, कर्नाटक और महाराष्ट्र में कमजोर हुई है. ये वही राज्य हैं, जहां पर 2019 के चुनावों में बीजेपी ने एकतरफा जीत हासिल की थी. 2019 में बीजेपी, एलजेपी और जेडीयू ने बिहार की 40 में से 39 सीटों पर कब्जा जमाया था लेकिन अब जेडीयू ने पाला बदल लिया है और वहां बीजेपी सत्ता से बाहर है. बीजेपी ने कर्नाटक में 28 में से 25 सीटें जीतीं, जबकि एक सीट उसके समर्थित उम्मीदवार को मिली, लेकिन कर्नाटक के हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों में बीजेपी को कांग्रेस के हाथों करारी हार का सामना करना पड़ा.
2024 में होगा महाराष्ट्र का पहला टेस्ट
महाराष्ट्र में बीजेपी और शिवसेना ने 2019 में राज्य की 48 लोकसभा सीटों में 41 पर कब्जा जमाया था. लंबे समय तक राज्य में सरकार चलाने वाली कांग्रेस को सिर्फ 1 सीट मिली, जबकि शरद पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी 4 सीटें जीतने में सफल रही. एक सीट ओवैसी की एआईएमआईएम के खाते में गई.
ऊपर दिए गए आंकड़े बताते हैं कि बीजेपी के लिए इन राज्यों में राह आसान नहीं है. खास तौर पर शिवसेना दो गुटों में बंट चुकी है और एक गुट बीजेपी के साथ है, लेकिन जनता किसके साथ है, इसका पहला टेस्ट लोकसभा चुनाव में ही होना है. हिंदी पट्टी, खासतौर पर यूपी में बीजेपी अपने सबसे कामयाब दौर में हैं. पूर्वोत्तर, पश्चिम बंगाल और ओडिशा में उसके लिए बहुत ज्यादा बढ़ना मुश्किल होगा. दक्षिण भारत अभी भी टेढ़ी खीर बना हुआ है.
सर्वे ने बढ़ाई बीजेपी की टेंशन
ऐसे में बीजेपी के लिए अपने पुराने गढ़ों को मजबूत करना सबसे जरूरी है. सीटों के लिहाज से देखें तो महाराष्ट्र इसमें पहले नंबर पर है. इसी साल जनवरी में इंडिया टुडे के मूड ऑफ द नेशन सर्वे में सामने आया था कि महा विकास अघाड़ी गठबंधन महाराष्ट्र में 34 सीट जीत सकता है. इसका मतलब है कि बीजेपी-शिवसेना (शिंदे गुट) को 14 सीटें मिलने वाली हैं. जाहिर है बीजेपी महाराष्ट्र में विपक्ष के सामने हाथ पर हाथ धरे नहीं बैठ सकती है. अजित पवार खेमे को साधने की ये सबसे बड़ी वजह है. अजित पवार के साथ प्रफुल्ल पटेल, छगन भुजबल, दिलीप वलसे पाटिल जैसे दिग्गज भी हैं, जो एनसीपी की रीढ़ कहे जाते हैं. ऐसे में 2024 के पहले इसे बीजेपी के लिए बड़ी सफलता माना जा सकता है. हालांकि, जनता किसके साथ है, इसका टेस्ट तो चुनाव में ही होगा.
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