Maharashtra Politics Crisis: एनसीपी नेता अजित पवार ने रविवार (2 जुलाई) को पार्टी प्रमुख शरद पवार को चौंकाते हुए एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र सरकार में उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली. उनके इस कदम से महाराष्ट्र की सिसायत में एकदम से बड़ा उलटफेर हो गया. इससे पहले वह महाराष्ट्र विधानसभा में विपक्ष के नेता की जिम्मेदारी संभाल रहे थे और अब डिप्टी सीएम की.


शपथ लेने के बाद अजित पवार ने अपने कदम की वजह भी बताई. प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्तर के पहलुओं पर विचार करने के बाद सोचा कि विकास का समर्थन करना चाहिए. अधिकांश विधायकों की संतुष्टि के साथ और महाराष्ट्र की प्रगति के लिए ऐसा फैसला लिया है. उन्होंने दलील दी कि नागालैंड के 7 एनसीपी विधायक जब पार्टी के फैसले पर बीजेपी के साथ जा सकते हैं तो यहां क्यों नहीं.


अजित पवार को लेकर अटकलें सच साबित हुईं?


लंबे समय से ऐसी अटकलें चल रही थीं कि अजित पवार पार्टी में अपने कद को लेकर असंतुष्ट हैं और उनका झुकाव शिवसेना और बीजेपी की गठबंधन वाली सरकार को समर्थन देने की तरफ है. 2 मई की घटना के बाद से अजित पवार काफी असहज समझे जा रहे थे.


2 मई को एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने अपने पद से इस्तीफा देने की घोषणा की थी. शरद पवार के इस कदम के बाद पार्टी में उत्तराधिकार की लालसा अजित पवार ने जाहिर तो नहीं की थी लेकिन 5 मई को जब चाचा पवार ने इस्तीफा वापस ले लिया तो अजित के उत्तराधिकार की संभावना थम गई. 


शरद पवार ने पार्टी कार्यकर्ताओं की ओर उठ रही मांग को देखते हुए इस्तीफा वापस लेने की बात कही थी. इसके बाद 10 जून को एनसीपी के 25वें स्थापना दिवस के मौके पर शरद पवार ने पार्टी के संबंध में कुछ ऐसा फैसला लिया कि उसके बाद से अजित पवार नाराज माने जा रहे थे.


बेटी सुप्रिया सुले को कार्यकारी अध्यक्ष बनाकर सौंपा उत्तराधिकार!


10 जून को शरद पवार ने संगठन के नए पदाधिकारियों के नामों की घोषणा की तो उसमें अजित पवार का नाम नहीं था. पवार ने अपनी बेटी सुप्रिया सुले और पार्टी नेता प्रफुल्ल पटेल को कार्यकारी अध्यक्ष बनाने की घोषणा की.


सुप्रिया सुले को इसी के साथ महाराष्ट्र, हरियाणा, पंजाब, महिला, युवा और लोकसभा समन्वय की जिम्मेदारी दी गई. वहीं, प्रफुल्ल पटेल को मध्य प्रदेश, राजस्थान और गोवा की जिम्मेदारी सौंपी गई. बेटी सुप्रिया सुले को कार्यकारी अध्यक्ष बनाकर एक तरह से परोक्ष रूप से शरद पवार ने उन्हें अपना उत्तराधिकारी बना दिया.


भाई की नाराजगी की बात पर सुप्रिया सुले ने दिया था ये जवाब


मीडिया में ऐसी खबरें आईं कि अजित पवार नाखुश हैं. इस पर सुप्रिया सुले ने मीडिया में सफाई दी कि एक बहन होने के नाते वह चाहती है कि उनके भाई की सभी इच्छाएं पूरी हों. 22 जून को सुप्रिया सुले ने कहा, ''मैं भी चाहती हूं कि अजित दादा की इच्छाएं पूरी हों. यह संगठन का फैसला होगा कि अजित दादा को पार्टी में कोई पद दिया जाए या नहीं लेकिन मैं बहुत खुश हूं कि वह पार्टी के लिए काम करना चाहते हैं. हमारी पार्टी के कार्यकर्ताओं को प्रोत्साहन मिलेगा. उन्हें (एनसीपी का) प्रदेश अध्यक्ष बनाया जाएगा या नहीं, यह पार्टी पर निर्भर करता है लेकिन एक बहन होने के नाते मैं चाहती हूं कि मेरे भाई की सभी इच्छाएं पूरी हों.''


शरद पवार का बेटी मोह!


10 जून को अजित पवार को पद न देकर और सुप्रिया सुले को कार्यकारी अध्यक्ष बनाकर शरद पवार ने 22 दिनों बाद ऐसी स्थिति का सामना किया है जिसकी संभवत: उन्होंने कल्पना नहीं की होगी. अजित पवार का एकदम से महाविकास अघाड़ी की विरोधी शिंदे सरकार में चला जाना और कई विधायकों का उन्हें समर्थन होने की बात कहना चाचा शरद पवार के नेतृत्व पर हावी होने का संकेत देता है.


अजित पवार के इस कदम को बगावत के तौर पर देखा जा रहा. अब जब 2024 के लोकसभा चुनाव में ज्यादा वक्त नहीं रह गया है और शरद पवार विपक्षी एकता की कोशिशों में पुरजोर तरीके से लगे हैं, ऐसे में अजित पवार के कदम से एनसीपी में मची उथल-पुथल से पार्टी का भविष्य क्या होगा और खुद शरद पवार का करियर किस मोड़ पर आ गया है, इस बारे में एक अनिश्चितता खड़ी हो गई है. ऐसे में सवाल उठना लाजमी है कि क्या बेटी मोह में आकर अपने करियर की सबसे बड़ी चूक कर गए हैं शरद पवार?


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