Maharashtra Politics Crisis: एनसीपी नेता अजित पवार के रविवार (2 जुलाई) को महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री बनने पर पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटिल ने कहा कि इस घटनाक्रम से मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की ताकत घट जाएगी. पाटिल अजित पवार के इस दावे पर जवाब देने के लिए मीडिया के सामने आए थे कि एनसीपी के सभी नेताओं का आशीर्वाद उनके (अजित) पास है. उन्होंने अजित पवार को पार्टी का समर्थन नहीं होने की बात कही.


जयंत पाटिल के दावे के मायने क्या हैं?


ताजा घटनाक्रम पर टिप्पणी करते हुए जयंत पाटिल ने दावा किया, ''अब उनकी (एकनाथ शिंदे ) अहमियत को कम करने के लिए अजित पवार को उस सरकार में शामिल किया गया है जो पहले से ही बहुमत में है.'' जयंत पाटिल के इस दावे को महाराष्ट्र को नया मुख्यमंत्री मिलने की संभावना के रूप में समझा जा रहा है. 


2024 से पहले बीजेपी के लिए गुड न्यूज है 'बगावत'


लोकसभा चुनाव 2024 से पहले एनसीपी में अजित पवार की वगावत बीजेपी के लिए इस लिहाज से गुड न्यूज है क्योंकि इससे विपक्षी एकता की कोशिश में लगे एनसीपी प्रमुख शरद पवार को जोर का झटका लगा है. 23 जून को पटना में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बीजेपी के खिलाफ रणनीति तैयार करने के लिए विपक्षी दलों की बैठक बुलाई थी, जिसमें एनसीपी प्रमुख शरद पवार भी शामिल हुए थे.


29 जून को पवार ने कहा था कि विपक्षी दलों की अगली बैठक अब 13-14 जुलाई को बेंगलुरु में होगी. उन्होंने यह भी कहा था कि विपक्ष की बैठक से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बेचैन हुए हैं, इसलिए निजी हमले किए जा रहे हैं. अजित पवार के कदम से घर में (एनसीपी) में ही विभाजन की स्थिति पैदा हो गई है. अजित को पाले में करके बीजेपी ने लोकसभा चुनाव के लिए सालभर से भी कम समय पहले उस विपक्षी एकजुटता को करारा जवाब दिया है जो उसके खिलाफ खड़ी हो रही है.


बीजेपी ने तैयार कर लिया शिंदे का विकल्प?


अजित पवार का साथ आना एनडीए को मजबूती प्रदान तो करेगा ही, साथ एक पार्टनर के रूप में बीजेपी के लिए शिंदे का विकल्प भी देगा. ऐसे में बीजेपी के लिए फायदे की ही स्थिति है कि उसके पास शिंदे पर अब नकेल कसने का मौका भी होगा. 


महाविकास अघाड़ी को झटका!


सूत्रों ने अजित पवार के पास 40 विधायकों का समर्थन होने की बात कही है. कुछ एक सांसद भी अजित के समर्थन में बताए जा रहे हैं. वहीं, अजित पवार के सरकार का हिस्सा बनने पर बीजेपी के खिलाफ खड़ा हुआ महाविकास अघाड़ी गठबंधन भी कमजोर होगा. माना जा रहा है कि चुनाव के लिए बचे कम समय से पहले ऐसी स्थिति बीजेपी के लिए फायदेमंद हो सकती है. हालांकि, एनसपी प्रमुख ने कहा है कि ऐसी स्थिति कोई पहली दफा नहीं है, वह फिर से एनसीपी को मजबूत कर लेंगे.


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